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हरियाणा में गरमाएगी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति, हुड्डा समर्थक आशान्वित

कांग्रेस में वर्किंग कमेटी में शामिल नेताओं को अध्यक्ष बनाने का प्रावधान नहीं है। इससे अब हुड्डा समर्थक खासे उत्साहित हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 07:08 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 06:23 PM (IST)
हरियाणा में गरमाएगी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति, हुड्डा समर्थक आशान्वित
हरियाणा में गरमाएगी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति, हुड्डा समर्थक आशान्वित

जेएनएन, चंडीगढ़। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हरियाणा के चार नेताओं को शामिल कर लिए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष पद की लड़ाई पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इर्द-गिर्द घूम रही है। हुड्डा समर्थक विधायक चाहते हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तर्ज पर हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस की बागडोर सौंपी जाए। 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे पर हुड्डा और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच काफी तनातनी हुई थी, जिसका नतीजा पार्टी आज तक भुगत रही है।

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कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हरियाणा से चार नेताओं कु. सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को शामिल किया गया है। चारों कद्दावर नेता हैं और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जाते हैं। सोनिया गांधी जब कांग्रेस अध्यक्ष थीं और अब राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी नीतिगत निर्णय ले चुकी है कि जिस नेता को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल किया जाएगा वह राज्य में अध्यक्ष नहीं बन सकेगा।

हुड्डा समर्थकों का तंवर पर आरोप है कि उन्होंने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में न तो जिला अध्यक्ष बनाए और न ही ब्लाक अध्यक्षों की घोषणा की। हालांकि तंवर का दावा है कि 200 से 250 पदाधिकारियों की घोषणा को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो उन्होंने प्रदेश कमेटी बनाने के साथ ही ग्रास रूट पर संगठन खड़ा किया है, लेकिन हुड्डा समर्थक इसे मानने को तैयार नहीं हैं और कई बार कांग्रेस हाईकमान के समक्ष तंवर खेमे द्वारा हुड्डा समर्थक विधायकों की अनदेखी के आरोप लगा चुके हैं।

लड़ाई के केंद्रबिंदु हुड्डा और तंवर

हरियाणा से चार नेताओं की वर्किंग कमेटी में एंट्री के बाद अब अध्यक्ष पद के दावेदारों में दो-चार नाम ही बचे हैं। इनमें हुड्डा और तंवर तो प्रमुख हैं ही, साथ ही कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव और हुड्डा समर्थक कुलदीप शर्मा व गीता भुक्कल को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। यदि अध्यक्ष पद हुड्डा खेमे को मिलता है तो उनके विधायकों की कोशिश हुड्डा को ही अध्यक्ष बनवाने की होगी, लिहाजा लड़ाई का केंद्र बिंदु अब हुड्डा और तंवर ही हैं। हालांकि हुड्डा समर्थक विधायकों के विरोध के बावजूद तंवर बिना किसी बाधा के अपनी साइकिल चला रहे हैं। उन्होंने वीरवार को हुड्डा के गढ़ी सांपला किलोई हलके से इसके तीसरे चरण की शुरुआत भी कर दी है।

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आरपार की लड़ाई का मन बना चुके हुड्डा समर्थक

हुड्डा समर्थक इस बात के पक्ष में कतई नहीं हैं कि तंवर पूर्व मुख्यमंत्री को उनके इलाके में चुनौती दें। लिहाजा तंवर के खिलाफ मोर्चेबंदी ज्यादा बढ़ गई है। इस मोर्चेबंदी का ही नतीजा है कि अब हुड़्डा समर्थक आरपार की लड़ाई लडऩे का मन बना चुके और पिछले तीन दिनों से दिल्ली दरबार में डेरा डालकर तंवर के खिलाफ और हुड्डा के पक्ष में लामबंदी कर रहे हैं।

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