बांड पालिसी के खिलाफ हरियाणा के मेडिकल स्टूडेंट्स के पक्ष में उतरी IMA, सीएम ने बातचीत के लिए बुलाया
हरियाणा में बांड पालिसी के खिलाफ मेडिकल स्टूडेंट हड़ताल पर हैं। इन पक्ष में आइएमए भी उतर आई है। वहीं हरियाणा के सीएम मनोहर लाल अब मामले को खुद देखेंगे। उन्होंने स्टूडेंट्स को बातचीत के लिए बुलाया है।
जेएनएन, चंडीगढ़/नई दिल्ली। हरियाणा में मेडिकल छात्रों की बांड पालिसी को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। राज्य में एमबीबीएस स्टूडेंट सरकार के फैसले को लेकर हड़ताल पर हैं। अब सीएम मनोहर लाल ने इन छात्रों को बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलाया है। वहीं, बांड पालिसी को लेकर अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने भी अपना विरोध दर्ज किया है।
आइएमए से जुड़े पदाधिकारियों ने प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बांड पालिसी को तत्काल वापस लेने का आग्रह किया है। पलवल और गुरुग्राम में बांड पालिसी के खिलाफ ओपीडी बंद नहीं की गई। हालांकि यहां के डाक्टर मेडिकल छात्रों के साथ खड़े थे। बांड पालिसी के विरोध में एमबीबीएस के छात्र पीजीआइ में लगातार 29 दिन से धरना दे रहे हैं।
वहीं, आंदोलनकारी एमबीबीएस छात्रों की हड़ताल खत्म कराने के लिए अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं मोर्चा संभालेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन हड़ताली एमबीबीएस छात्रों को तीसरे दौर की बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलाया है। मुख्यमंत्री 30 नवंबर को स्वयं आंदोलनकारी एमबीबीएस छात्रों से बातचीत करेंगे। उम्मीद की जा सकती है कि उस दिन एमबीबीएस छात्रों का आंदोलन खत्म हो सकता है।
हरियाणा के पांच सरकारी कालेजों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं प्रदेश सरकार की सात साल की बांड अवधि और 40 लाख रुपये की बांड राशि का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है, ताकि एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र हरियाणा के अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे सकें। यह बांड एक एग्रीमेंट है, जिसमें बैंक शामिल है। पढ़ाई पूरी करने के बाद यदि कोई डाक्टर सात साल तक हरियाणा में अपनी सेवाएं देगा तो उससे बांड की 40 लाख रुपये की राशि वसूली नहीं की जाएगी।
यदि कोई छात्र पढ़ाई पूरी करते ही हरियाणा से बाहर अपनी सेवाएं देने के लिए चला जाता है तो उसे 40 लाख रुपये की राशि देनी होगी। मेडिकल के छात्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार डाक्टरों की अपने अस्पतालों में नौकरी की गारंटी दे। इसके साथ ही बांड की अवधि एक साल की जाए और बांड की राशि को घटाकर 10 लाख रुपये किया जाए।
इस मुद्दे पर मेडिकल के छात्रों की हरियाणा सरकार के अधिकारियों के साथ दो दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ी। 29 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हरियाणा के दौरे पर आ रही हैं। वह 30 नवंबर को वापस दिल्ली लौट जाएंगी। उनके जाते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल मोर्चा संभाल लेंगे और चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में दोपहर बाद तीन बजे आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करेंगे।
रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) रोहतक के अध्यक्ष डा. अंकित गुलिया और डा. प्रीति वर्मा के अनुसार रविवार की बैठक में एमबीबीएस विद्यार्थियों ने सरकार के समक्ष सरकारी अस्पतालों में कंपलसरी सर्विस (गारंटिड नौकरी) का प्रस्ताव रखा था। सरकार के अधिकारियों ने इसे ठुकरा दिया है।
एक तरफ हरियाणा सरकार सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी का हवाला दे रही है और दूसरी तरफ डाक्टरों को कंपलसरी नौकरी देने को तैयार नहीं है। अधिकारी नौकरी देने की जिम्मेदारी लिए बिना ही अपनी 40 लाख की बांड पालिसी को जायज ठहरा रहे हैं।
डा. अंकित व प्रीति वर्मा के अनुसार हम हर एक एमबीबीएस ग्रेजुएट् के लिए कंपलसरी नौकरी चाहते हैं। इसके तहत सभी सरकारी मेडिकल कालेजों से पास आउट होने वाले एमबीबीएस ग्रेजुएट्स को एक वर्ष तक सरकारी अस्पतालों में नियुक्त किया जाएगा और डाक्टर को वहां एक वर्ष तक कार्य करना होगा।
अगर कोई विद्यार्थी सरकार की नियुक्ति को ठुकराता है तो उसे इसकी एवज में 10 लाख रूपए देने होंगे। लेकिन अचंभे की बात है कि इस प्रस्ताव को सरकार के अधिकारियों ने ठुकरा दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार की मंशा सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी पूरा करना नहीं, बल्कि बांड के नाम पर विद्यार्थियो से पैसे लेना है।