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हाई कोर्ट का फीस वसूली पर कड़ा रुख, कहा- निजी स्कूलों को इतनी जल्दी क्यों

ह‍रियाणा में निजी स्‍कूलाें में फीस वसूली पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि निजी स्‍कूल फीस को लेकर इतनी जल्‍दी में क्‍यों हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 08:10 AM (IST)
हाई कोर्ट का फीस वसूली पर कड़ा रुख, कहा- निजी स्कूलों को इतनी जल्दी क्यों

चंडीगढ़, जेएनएन। निजी स्कूलों को फीस मामले में  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है। हाई कोर्ट ने निजी स्‍कूलों को फीस वसूली को लेकर कोई राहत देने से इन्‍कार कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि निजी स्‍कूलों को फीस को लेकर इतनी जल्‍दी में क्‍यों है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि याचिका पर फैसले से पहले अभिभावकों को सुनना जरूरी है।फिलहाल इस मामले में कोई जल्दी भी नहीं है लिहाजा सुनवाई 7 सितंबर तक स्थगित कर दी है।

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हाई कोर्ट ने कहा-मामला में जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं, अभिभावकों को सुनना जरूरी

जस्टिस रामेंद्र जैन ने निजी स्कूलों की संस्था सर्व विद्यालय संघ की याचिका पर सुनवाई शुरू की तो कहा कि मामले में अभिभावकों का पक्ष भी सुना जाना जरुरी है। इस पर संघ ने आपत्ति जताई और कहा कि उनको पंजाब की तर्ज पर 70 फीसदी फीस लेने की छूट लेने की इजाजत दी जाए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि अभिभावक भी इस मामले में एक पक्ष हैं ऐसे में उन्हेंं सुने बिना कैसे कोई निर्णय किया जा सकता है और निजी स्कूलों को फीस वसूली की इतनी जल्दी क्यों है।

स्कूलों की तरफ से कहा गया कि उनके पास स्टाफ को वेतन देने के अलावा कई खर्च है वो कैसे भुगतान करे। इस लिए वो फीस लेने की इजाजत मांग रहे है। स्कूलों की तरफ से  कहा गया  कि इस मामले की जुलाई के पहले सप्ताह सुनवाई हो सकती है जिस पर हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में कोई जल्दी नहीं है और सुनवाई सितंबर में ही होगी।

ज्ञात रहे कि सर्व विद्यालय संघ हरियाणा व अन्य ने दायर याचिका में कहा है की लॉकडाउन से सिर्फ छात्रों के अभिभावक ही प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि निजी स्कूल भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। वही मामले में अभिभावकों की संस्था ने भी एडवोकेट प्रदीप रापडिय़ा के जरिए अर्जी दायर कर कहा है कि लॉकडाउन होने के कारण अभिभावकों की आय भी प्रभावित हुई है। बहुत सारे अभिभावक या तो बेरोजगार हो गए हैं या आय बहुत कम बची है।

उन्‍होंने कहा कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर-लाभ के इरादे से स्थापित की गई हैं, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रूपए का रिजर्व फंड है। अर्जी में हरियाणा सरकार के उन आदेशों का भी हवाला दिया गया है जिनके अनुसार प्रत्येक निजी स्कूल को हर साल ऑडिट बैलेंस सीट निदेशालय के समक्ष जमा कराने के आदेश दिए हुए हैं। लेकिन अधिकांश निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग के समक्ष ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराई है। पहले इन निजी स्कूलों से बैलेंस शीट मांगी जाए।

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इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ने फीस बढ़ोतरी पर रोक के आदेश को दी चुनौती

चंडीगढ़ में निजी स्कूलों की संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चंडीगढ़ प्रशासन के 3 जून को उस आदेश को चुनौती दे दी है जिसमें चंडीगढ़ ने निजी स्कूलों को बिना इजाजत के फीस बढ़ोतरी न करने के लिए कहा है। जस्टिस बीएस वालिया ने याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन के सलाहकार, शिक्षा सचिव, डाईरेक्टर स्कूल एजुकेशन और जिला शिक्षा अधिकारी को 1 जुलाई के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ने याचिका में कहा है कि उनकी संस्था में शहर के 78 निजी स्कूल हैं। इन सबके लिए चंडीगढ़  प्रशासन ने 3 जून को आदेश जारी कर कहा है कि कोई भी निजी स्कूल प्रशासन की इजाजत के बिना स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता है। ट्यूशन फीस भी सत्र 2019-20 में जो थी वही सत्र 2020-21 में भी रहेगी इसमें बिना इजाजत लिए बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है।

याची संस्था ने हाईकोर्ट को बताया कि निजी स्कूलों ने एक्ट के तहत गत वर्ष दिसंबर माह में ही वर्ष 2020 -21 का फीस स्ट्रक्चर पहले ही प्रशासन को जमा करा दिया था।  इसलिए अब 3 जून को यह आदेश जारी करना कि निजी स्कूल अब बिना प्रशासन की इजाजत के ट्यूशन फीस नहीं बढ़ा सकते हैं, गलत है।


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