अवैध खनन पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- यह मानव जाति के खिलाफ बड़ा अपराध, आराेपित रहम के हकदार नहीं
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अवैध खनन में शामिल व्यक्ति की अग्रिम जमानत की मांग को खारिज करते हुए कड़ी टिप्पणी की। कहा कि अवैध खनन मानव जाति के खिलाफ बड़ा अपराध है। ऐसे लोग किसी भी तरह की राहत के हकदार नहीं हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने माना है कि अवैध खनन मानव जाति के खिलाफ एक बड़ा अपराध है और ऐसे मामलों में आरोपित किसी भी तरह की राहत के हकदार नहीं हैं। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी अवैध खनन में शामिल एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए की। अवैध खनन के आरोपित इस व्यक्ति पर यह भी आरोप है कि उसने अवैध खनन रोकने वाले अधिकारियों पर दूसरे लोगों के साथ मिलकर हमला किया।
कोर्ट ने कहा कि अवैध तरीके से खनिजों को निकालना पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है, जो वस्तुतः पूरी मानव जाति को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरती जा सकती, बल्कि इस तरह के अपराधों में आराेपित को हिरासत में लेकर जांच करने की आवश्यकता है।
हाई कोर्ट के जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल ने पंचकूला निवासी सलामू की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिए हैं। सलामू ने पुलिस स्टेशन पिंजौर में खनन अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में दर्ज मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत मांगी थी।
खनन अधिकारी पंचकूला की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। आरोप के अनुसार तीन फरवरी 2022 की सुबह करीब साढ़े नौ बजे खनन अधिकारियों ने शिकायत मिलने पर गांव बुर्ज कोटिया में घग्गर नदी का निरीक्षण किया। वहां देखा गया कि दो जेसीबी मशीन नदी से अवैध रूप से बजरी निकाल रही थीं और उसे ट्रैक्टर और टिप्पर में लोड कर रही थीं।
सरकारी वाहन को देख वहां मौजूद लोग भागने लगे। खनन अधिकारी की टीम ने जेसीबी मशीन का पीछा किया लेकिन इसी बीच सरकारी वाहन के सामने काले रंग की महिंद्रा स्कार्पियो आ गई, जिसमें सलामू व अन्य लोग सवार थे। आरोप है कि 8-10 लोगों ने सरकारी वाहन पर पथराव कर दिया, जिससे आगे की खिड़की का शीशा टूट गया। जेसीबी मशीन का पीछा करते हुए माइनिंग गार्ड ने एक वीडियो भी बनाया।
अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्राथमिकी में याचिकाकर्ता का कहीं नाम नहीं है और उसे झूठा फंसाया गया है। जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि काले रंग की महिंद्रा स्कार्पियो में आरोपित सवार था।
अपराध की गंभीर प्रकृति को देखते हुए अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि अगर याचिकाकर्ता आज से 10 दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करता है और नियमित जमानत के लिए आवेदन करता है तो ट्रायल कोर्ट उस पर विचार करेगा।
अवैध खनन मानव जाति के लिए क्यों है खतरा
अवैध खनन से निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़कर शुद्ध वायु को दूषित करती है। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। जिससे बीमारियां शरीर में घर बना लेती हैं। इस खनन का प्रभाव हमारे पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से पड़ रहा है।
नदियों व तालाबों से खनन कर लाई गई रेत या बालू का परिवहन खुले वाहनों में किया जाता है। जो हवा के साथ उड़कर पर्यावरण को दूषित करती है। रेत के सूक्ष्म कण हवा में फैलने से वह सांस लेने पर हमारे शरीर के अंदर चले जाते है जो हमारे फेफड़ों में एकत्र हो जाता है। इससे हमारे शरीर में बीमारियां होने लगती हैं।
हाई कोर्ट में सेना ने भी माना अवैध खनन देश के लिए भी खतरा
पंजाब में सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध खनन के एक मामले में सेना ने हाई कोर्ट में जवाब दायर कर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पंजाब के सीमावर्ती जिलों में अवैध खनन, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा प्रायोजित सक्रिय ड्रग तस्करों, आतंकवादियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों के लिए सुविधाजनक स्थिति बना रहा है।
सेना द्वारा यह भी दावा किया गया है कि अनियोजित और अनियंत्रित खनन से प्राकृतिक जल निकासी में परिवर्तन हो सकता है और यहां तक कि नदी की धारा भी बदल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप सेना की चौकियां अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाढ़ की चपेट में आ सकती हैं।