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सरकारी डॉक्टरों को निजी क्‍लीनिक चलाना पड़ेगा महंगा, हाई कोर्ट का सरकार को नोटिस

हरियाणा में सरकारी डॉक्‍टरों को निजी क्‍लीनिक चलाना महंगा पड़ेगा। अब यह मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है और सरकार को नोटिस जारी किया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:39 PM (IST)
सरकारी डॉक्टरों को निजी क्‍लीनिक चलाना पड़ेगा महंगा, हाई कोर्ट का सरकार को नोटिस
सरकारी डॉक्टरों को निजी क्‍लीनिक चलाना पड़ेगा महंगा, हाई कोर्ट का सरकार को नोटिस

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में अब सरकारी डॉक्‍टरों को निजी क्‍लीनिक चलाना महंगा पड़ेगा। मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। सरकारी डयूटी से अवकाश लेकर निजी क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों के खिलाफ दायर याचिका पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने यह नोटिस स्वास्थ्य महानिदेशक, रेवाड़ी के सिविल सर्जन और मेडिकल काउंसिल हरियाणा के रजिस्ट्रार को भी जारी किया है। इस मामले में 13 अगस्त को जवाब पेश करने को कहा गया है।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

एडवोकेट विनीत जाखड़ द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हरियाणा में सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर ड्यूटी से नदारद रह कर निजी क्लीनिक चला रहे है। रेवाड़ी का जिक्र करते हुए जाखड़ ने कहा है कि सिर्फ रेवाड़ी में ही 21 सरकारी डॉक्टरों द्वारा निजी क्लीनिक चलाए जा रहे हैं। इसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में आम लोगों का स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती।

जाखड़ ने रेवाड़ी के सिविल सर्जन पर ड्यूटी से नदारद रहने वाले डॉक्टरों की सरपरस्ती करने का आरोप लगाया है। याचिका में सरकारी डॉक्टर के खिलाफ सीएम विंडो में शिकायत दर्ज करवाने का जिक्र करते हुए कहा है कि शिकायत के बाद स्वास्थ्य निदेशालय ने इस डॉक्टर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। मगर ना तो इस डॉक्टर ने अब तक ड्यूटी ज्वाइन की है और ना ही जुर्माने का भुगतान किया है।

सरकारी पदों पर बैठे इन डॉक्टरों के अस्पतालों में बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स की अनदेखी के आरोप लगाते हुए जाखड़ ने कहा है कि इन अस्पतालों में बायो-मेडिकल वेस्ट के निष्पादन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है और ये अस्पताल अपने आस-पास प्रदूषण की समस्या उत्पन्न करते हैं।

निजी अस्पताल चलाने वाले इन सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन डॉक्टरों का नाम राज्य के मेडिकल रजिस्टर से काटा जाना चाहिए। याची ने मेडिकल काउंसिल से भी इनके लाइसेंस रद किए जाने की मांग की है।


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