Move to Jagran APP

गुरुग्राम दुष्कर्म मामले में हाई कोर्ट ने की आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, तल्ख टिप्पणी भी की

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुग्राम में हुए एक दुष्कर्म मामले के आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत का उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़़न और असुविधा से बचाना है न कि आरोपी को।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 04:05 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 04:05 PM (IST)
गुरुग्राम दुष्कर्म मामले में हाई कोर्ट ने की आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, तल्ख टिप्पणी भी की
दुष्कर्म के आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। अग्रिम जमानत का उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़न और असुविधा से बचाना है और यह केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जानी चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने दुष्कर्म के एक आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

loksabha election banner

गुरुग्राम निवासी प्रवीण कुमार ने सेेक्टर 40 गुरुग्राम पुलिस स्टेशन में दर्ज दुष्कर्म मामले में गिरफ्तारी से बचने लिए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अग्रिम जमानत मासूम लोगों को प्रताड़ना से बचाने के लिए होती है न कि किसी अपराधी को पुलिस इंटेरोगेशन से बचाने के लिए। अग्रिम जमानत को अपराधी को ढाल की तरह इस्तेमाल करने नहीं दिया जा सकता है। अगर इस तरह अग्रिम जमानत दी जाती है कि केस की जांच ही प्रभावित होगी।

प्रवीण कुमार पर आरोप है कि उसने उत्तर प्रदेश की गुरुग्राम में रहने वाली 20 साल की एक लड़की को नृत्य और गायन का अवसर देने के बहाने उसे होटल में बुला दुष्कर्म किया। उसने इस पूरे दुष्कृत्य की वीडियो बना ली और लड़की को धमकी दी कि वह इसके बारे में वह अपने परिवार या पुलिस को जानकारी देने की कोशिश करेगी तो वह उसका यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर डाल देगा। बावजूद इसके लड़की ने इस पूरी घटना कोई पुलिस को शिकायत कर दी।

पुलिस ने 14 अक्टूबर को आरोपित के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दी थी। आरोपित ने पहले जिला अदालत से अग्रिम जमानत की मांग की थी, जिसे 10 नवंबर को रद कर दिया गया था। जिला अदालत से अग्रिम जमानत रद होने के बाद आरोपी ने अब हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत ख़ारिज करते हुए कहा कि आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या की धमकी देने जैसे संगीन आरोप हैं। कोई आरोपित अग्रिम जमानत को अपनी ढाल की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.