निर्णय की घड़ी: समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले सुनवाई पूरी, 11 काे आ सकता है बड़ा फैसला
पानीपत में वर्ष 2007 में दिल्ली से लाहौर जानेवाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए धमाके के मामले की कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में 11 मार्च को बड़ा फैसला आ सकता है।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। विशेष एनआइए अदालत में पानीपत के बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस ट्रेन धमाका मामले में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत इस मामले मेें 11 मार्च को फैसला सुना सकती है। संभावना जताई जा रही है कि अदालत इस मामले में बड़ा फैसला सुना सकती है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी हुई। इस मामले में 12 साल बाद फैसला अाएगा। समझौता एक्सप्रेस धमाके में 16 बच्चों सहित 68 लोगों की मौत हो गई।
समझौता एक्सप्रेस धमाके में 16 बच्चों सहित 68 लोगों मौत हो गई
बता दें कि 18 फरवरी 2007 को पानीपत के पास दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में बम धमाका हुआ था। इससे ट्रेन की दो बाेगियों में भीषण आग लग गई थी और 68 लोग जिंदा जल गए थे। काफी संख्या में यात्री झुलसे थे। इनमें अधिकतर पाकिस्तान के रहनेवाले थे।
कोर्ट में पेश होने पहुंचे असीमानंद।
बुधवार को पंचकूला की विशेष एनआइए अदालत में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में सुनवाई हुई। आज कोर्ट में मामले में मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी पेश हुए। सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट सजा के बारे में 11 मार्च को सुनवाई होगी।
यह ट्रेन दिल्ली और लाहौर के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलती है। 18 फरवरी 2007 को ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। वह पानीपत से पहले दिवाना स्टेशन के पास पहुंची तो ट्रेन की दो जनरल बाेगियों में अचानक विस्फोट हुआ और उनमें आग लग गई। इससे 68 लोगों की मौत हो गई और करीब 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।मारे जानेवालों में ज़्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए लोगों मे 16 बच्चे थे।
बुधवार को पंचकूला स्थित विशेष एनआइए कोर्ट में इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी हुई। एनआइए की ओर से गवाहियां पूरी करने के बाद फाइनल बहस पहले की गई थी। इसके बाद बचाव पक्ष ने अपना पक्ष रखा। शनिवार को एनआइए और बचाव पक्ष के बीच फाइनल बहस पूरी हो गई। इसके बाद आज पूरे मामले में फाइनल बहस हुई।
बचाव पक्ष ने फाइनल बहस में कहा कि एनआइए द्वारा जिस आरडीएक्स के सैंपल मध्य प्रदेश के जंगलों से छह साल बाद लिए गए थे, उस समय उसमें कुछ नहीं बचा होगा। मिट्ठी में कैमिकल नहीं बचते। एनआइए ने कोर्ट में दावा किया था कि आरोपितों द्वारा ब्लास्ट के लिए जो आरडीएक्स प्रयोग किया गया था, उसका टेस्ट 2006 में जंगल में किया गया था। इसके सैंपल 2012 में लिए गए थे।
बचाव पक्ष ने कहा कि मिट्टी में नाइट्रेट होते हैं, इसलिए आरडीएक्स जैसे कैमिकल होने का सवाल ही नहीं होता। इसलिए एनआइए की सभी दलीलें बेबुनियाद हैं। बचाव पक्ष के वकील मनबीर राठी ने बताया कि समझौता एक्सप्रेस में भारत आए पाकिस्तानियों को एनआइए द्वारा गवाह बनाया गया था, लेकिन कई बार सम्मन के बाद भी वे गवाही के लिए नहीं आए। इसके बाद गवाहों की सूची से उनके नाम हटा दिए गए।
कुल 211 गवाह एनआइए ने किए पेश, पाक गवाह नहीं आए
इस मामले में एनआइए की ओर से 211 गवाह पेश किए गए। बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया, केवल अपने दस्तावेज ही कोर्ट में पेश किए थे। इस मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया, लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए।
पानीपत में हुआ था धमाका
2001 के संसद हमले के बाद से बंद की गई ट्रेन सेवा को जनवरी 2004 में फिर से बहाल किया गया था। 19 फरवरी 2007 को दर्ज पुलिस एफआइआर के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को रात 11. 53 बजे दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास धमाका हुआ। इसकी वजह से ट्रेन के दो जनरल कोच में आग लग गई थी। यात्रियों को दो धमाकों की आवाज़ें सुनाई दी, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बों में आग लग गई। मारे जाने वाले लोगों में 16 बच्चे शामिल थे, मृतकों में चार रेलवेकर्मी भी थे। बाद में पुलिस को घटनास्थल से दो ऐसे सूटकेस बम मिले, जो फट नहीं पाए थे।
2010 को मामला एनआइए को सौंपा
20 फरवरी, 2007 को प्रत्यक्षदर्शियों के ब्यानों के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए। ऐसा कहा गया कि ये दोनों लोग ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए। इसके बाद धमाका हुआ। पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नक़द इनाम देने की भी घोषणा की थी। हरियाणा सरकार ने इस केस के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया था।
15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी। पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी। ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खऱीदी गई थीं। बाद में इसी तर्ज पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़े हुए बताए गए थे।
समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को एक हिंदू कट्टरपंथी संगठन अभिनव भारत के शामिल होने के संकेत मिले थे। 26 जुलाई 2010 को मामला एनआइए को सौंपा दिया गया। इसमें स्वामी असीमानंद को मामले में मुख्य अारोपित बनाया गया था।
2011 में पांच के खिलाफ चार्जशीट
एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे। बाद में एनआइए ने पंचकूला विशेष अदालत के सामने एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की। 24 फरवरी 2014 से इस मामले में सुनवाई हुई।
अगस्त 2014 समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद को जमानत मिल गई। कोर्ट में जांच एजेंसी एनआइए असीमानंद के खिलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई। उन पर वर्ष 2006 से 2008 के बीच भारत में कई जगहों पर हुए बम धमाकों को अंजाम देने से संबंधित होने का आरोप है। असीमानंद के खिलाफ़ मुकदमा उनके इकबालिया बयान के आधार पर बना था लेकिन बाद में वह ये कहते हुए अपने बयान से मुकर गए कि उन्होंने वो बयान टॉर्चर की वजह से दिया था।
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बचाव पक्ष के वकील ने कहा, हमने बड़ी मजबूती से अपनी दलील रखी
बचाव पक्ष के वकील मनबीर राठी ने बताया कि एनआइए अदालत द्वारा बहस पूरी होने के बाद अब फैसले के लिए 11 मार्च की तिथि निर्धारित कर दी है। हमने अपना पक्ष बड़ी मजबूती के साथ पेश किया है और उम्मीद है कि फैसला अच्छा ही आएगा।