हरियाणा में HC का बड़ा फैसला: घर खरीदने वाले उपभोक्ता कानून और रेरा दोनों में राहत के हकदार
पंजाब एवं हरियाणा हाई काेर्ट ने घर खरीदने वाले उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि घर खरीदार एक साथ रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) 2016 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत राहत पाने का हकदार हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने घर खरीदने वाले लोगों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया है घर खरीदार (होम बायर) एक साथ रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) 2016 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत राहत पाने का हकदार हैं।
हाईकोर्ट ने घर खरीदने वाले लोगों के विवादों से जुड़े मामले में सुनाया बड़ा फैसला
हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस अवनीश झंगन की खंडपीठ ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि यदि किसी व्यक्ति की शिकायत उपभोक्ता फोरम के समक्ष लंबित है तो उसे रेरा के तहत एडजुकेटिंग आफिसर (निर्णय देने वाला अधिकारी) के समक्ष शिकायत करने का अधिकार नहीं रहता।
कोर्ट ने कहा कि धारा 71(1) में ऐसे प्रावधान हैं, जो एक व्यक्ति को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत उपभोक्ता फोरम में लंबित अपनी शिकायत वापस लेने और रेरा के एडजुकेटिंग आफिसर के समक्ष अपनी शिकायत लेकर जाने के लिए सक्षम बनाते हैं। इसलिए यह एक व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं है कि उपभोक्ता फोरम के समक्ष लंबित उसकी शिकायत एडजुकेटिंग आफिसर को हस्तांतरित की जाए। वह व्यक्ति अधिनियम की धारा 88 के आधार पर एक साथ दोनों जगह से राहत हासिल कर सकता है।
कोर्ट ने एडजुकेटिंग आफिसर और रेरा अथारिटी की शक्तियों के दायरे को किया स्पष्ट
कोर्ट ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि यदि उपभोक्ता फोरम के समक्ष शिकायत वापस ले ली जाती है और उसे एडजुकेटिंग आफिसर के समक्ष पेश किया जाता है तो राहत का दायरा मुआवजे या ब्याज तक ही सीमित होगा। इसलिए उसे सोच-समझकर फैसला लेना होगा। बाकी की राहतों के लिए उसे अथारिटी के समक्ष जाना होगा।
हाई कोर्ट ने यह फैसला एडजुकेटिंग आफिसर और रेरा अथारिटी की शक्तियों के दायरे को स्पष्ट करते हुए सुनाया। बेंच रेरा के तहत प्री-डिपोजिट शर्त तथा एडजुकेटिंग आफिसर की भूमिका के संबंध में हरियाणा नियमावली के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी।
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