एचसीएस अनिल नागर बर्खास्त, हरियाणा लोक सेवा आयोग में उपसचिव रहते बेची नौकरियां
हरियाणा लोक सेवा आयोग में उपसचिव रहते एचसीएस अनिल नागर पर डेंटल सर्जन की नौकरियों में पैसे लेने का आरोप लगा है। एचसीएस नागर ने पोस्ट के हिसाब से रेट तय कर रखे थे। अनिल नागर को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। एचसीएस और डेंटल सर्जन की नौकरियां लगवाने के लिए पैसे लेने के आरोपित एचसीएस अधिकारी अनिल नागर को हरियाणा सरकार ने मंगलवार को बर्खास्त कर दिया है। अनिल नागर हरियाणा लोक सेवा आयोग में उपसचिव के पद पर कार्यरत था। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार करने के बाद सरकार ने नागर को निलंबित कर दिया था। अनिल नागर की वजह से प्रदेश सरकार की नौकरियों में शुचिता पर आंच आई है।
पूरे विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया और सरकार की भर्ती प्रक्रिया पर अंगुली उठाई है। इससे सरकार अनिल नागर से खासी नाराज है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेश के बाद मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एचसीएस अनिल नागर को सरकारी सेवाओं से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने अनिल नागर को बर्खास्त करने के आदेश हरियाणा कांग्रेस के पंचकूला में प्रदर्शन से पहले जारी कर दिए हैं। सरकारी नौकरियों में पैसे लेने के आरोप लगाते हुए सबसे पहले आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा गोमूत्र व गोबर से उसे पवित्र किया। इसके बाद जयहिंद पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर यह प्रदर्शन कर रहे हैं।
जयहिंद ने अब मंत्रियों के जिलों में भागवत गीता पर हाथ रखकर कसम खिलवाने की मुहिम चला रखी है। उनका कहना है कि यदि नौकरियों में पर्ची-खर्ची नहीं चलती तो मंत्री गीता पर हाथ रखकर कसम आएं। जयहिंद के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में युवक कांग्रेस ने पंचकूला में प्रदर्शन किया। दीपेंद्र हुड्डा अब 19 दिसंबर को सोनीपत में जन आक्रोश रैली भी करने जा रहे हैं। युवक कांग्रेस के बाद हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल, प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के नेतृत्व में प्रदेश भर के कांग्रेसियों ने मंगलवार को पंचकूला में हरियाणा लोक सेवा आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया।
एचसीएस अनिल नागर की बर्खास्तगी को 17 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र से भी जोड़कर देखा जा रहा है। 'नौकरियों के लिए पैसा' प्रकरण को लेकर विपक्ष द्वारा शीतकालीन सत्र में 'काम रोको प्रस्ताव' लाया जाना है। ऐसे में सरकार ने सदन में विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए अनिल नागर को पहले ही बर्खास्त कर दिया है।
प्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य भर में अच्छा संदेश गया है। मुख्य सचिव संजीव कौशल द्वारा जारी पांच पेज के बर्खास्तगी आदेश में सरकार ने मान लिया कि अनिल नागर नौकरियों के लिए पैसे लेता था, लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काम बरसों से चल रहा था और हमारी सरकार ने इस बरसों पुराने कोढ़ को जड़ से खत्म करने की पहल की है।
पूरे मामले की तह में जा रही हरियाणा सरकार
एचसीएस अनिल नागर को सरकारी सेवाओं से बर्खास्त (टर्मिनेट) करने से पहले प्रदेश सरकार ने हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) से पूरे मामले में रिपोर्ट हासिल की है। टर्मिनेट करने के मुख्य सचिव संजीव कौशल के आदेश में यह भी कहा गया है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और पूरे घटनाक्रम को लेकर और तथ्य जुटाने के लिए अनिल नागर को हटाया जाना जरूरी था। चूंकि नागर एचपीएससी में पावरफुल पद पर रहा है, ऐसे में उसके अधीनस्थ काम करने वाला स्टाफ भी कोई जानकारी देने को तैयार नहीं था। आमतौर पर कर्मचारियों में अधिकारी के प्रति डर का भी माहौल रहता है। उसे बर्खास्त किए बिना मामले की तह में जाना मुश्किल था।
नागर, नवीन और अश्विनी ने पैसे लेने की बात कबूली
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने अनिल नागर के अलावा भिवानी के नवीन तथा झज्जर के अश्विनी शर्मा को भी नौकरियों के लिए पैसे लेने के मामले में गिरफ्तार किया है। तीनों ने पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने नौकरियों के लिए पैसे लि थेए। डेंटल सर्जन की भर्ती के लिए कई उम्मीदवारों से सेटिंग की गई। एचसीएस प्री-एग्जाम को पास करवाने के लिए भी सौदा हुआ था। तीनों के कब्जे से विजिलेंस ब्यूरो ने तीन करोड़ पांच लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। सरकारी नौकरियों में पदों के हिसाब ने इन लोगों ने रेट तय किए हुए थे।
एचसीएस मामले पर पर सुनवाई 15 दिसंबर तक स्थगित
उधर, साल 2004 में चयनित एचसीएस अधिकारियों के मामले की सुनवाई 15 दिसंबर तक स्थगित हो गई है। हाई कोर्ट ने मंगलवार को सभी पक्षों के आग्रह पर यह आदेश जारी किया। इस मामले में पहले ही हरियाणा सरकार कोर्ट को बता चुकी है कि 2004 की भर्ती की सभी अधिकारियों की सेवा समाप्त करने का सरकार ने निर्णय लिया है और सेवा नियमों के तहत सबको कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा 27 फरवरी 2016 को हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर नियुक्ति दी गई थी। तब 38 उम्मीदवारों में से 23 को एचसीएस (कार्यकारी शाखा) के पद पर नियुक्ति दी गई थी, जिसमें से 19 एचसीएस (कार्यकारी शाखा) के रूप में कार्यरत हैं और दो उम्मीदवारों को डीएसपी के पद पर नियुक्ति के लिए अनुशंसित किया गया था।
इस मामले में ध्यान रखने की बात यह है कि जिन अधिकारियों को सरकार ने सेवा से हटाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दे दी है, जिस पर जल्द ही सुनवाई हो सकती है।पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के राज में चयनित 102 एचसीएस अधिकारियों में से 38 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने ज्वाइनिंग दी थी। तब 23 एचसीएस व एचसीएस एलाइड सेवा के अधिकारियों ने ज्वाइन किया था, लेकिन अब 21 ही कार्यरत हैं।
बाकी अधिकारियों ने अलग-अलग कारणों से प्रदेश सरकार की सेवाओं को ज्वाइन नहीं किया था। ओमप्रकाश चौटाला के राज में हुई इस भर्ती के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार आई। तब हुड्डा ने इन एचसीएस अफसरों को ज्वाइनिंग नहीं दी और जांच बैठा दी थी। पानीपत के तहसीलदार डा. कुलदीप मलिक समेत 22 चयनित एचसीएस उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में केस दायर कर रखा है कि जब 38 एचसीएस को ज्वाइनिंग के लिए सरकार तैयार थी तो उसी तर्ज पर बाकी एचसीएस को भी ज्वाइन करना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह 38 एचसीएस को नौकरी से हटाएगी या फिर बाकी चयनित 64 एचसीएस को नौकरी ज्वाइन कराई गई, जिस पर प्रदेश सरकार ने हलफनामा कोर्ट में दायर किया ।