रोडवेज कर्मचारियों को अल्टीमेटम, बगैर वर्दी नजर आए तो लगेगा जुर्माना
चालक-परिचालकों के साथ ही बस अड्डों और वर्कशॉप में तैनात स्टाफ तथा उड़नदस्तों में शामिल टिकट चेकर के लिए ड्रेस पहनना अनिवार्य किया गया है।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। रोडवेज कर्मचारी यूनियन नेताओं को काम पर लगाने के बाद अब परिवहन निदेशालय ने बगैर वर्दी के ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है। चालक-परिचालकों के साथ ही बस अड्डों और वर्कशॉप में तैनात स्टाफ तथा उड़नदस्तों में शामिल टिकट चेकर के लिए ड्रेस पहनना अनिवार्य किया गया है। 15 दिसंबर के बाद बिना वर्दी नजर आने वाले कर्मचारियों पर जुर्माना और विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
परिवहन निदेशक ने इस संबंध में सभी रोडवेज महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। नियमानुसार रोडवेज के टिकट चेकिंग स्टाफ, चालक-परिचालकों, लिपिक व अन्य स्टाफ को ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनना अनिवार्य है, लेकिन अधिकतर कर्मचारी सादा कपड़ों में नजर आते हैं। यह स्थिति तब है जब विभाग सभी कर्मचारियों को वर्दी के लिए भत्तों का भुगतान करता है।
बस अड्डों पर तैनात स्टाफ के वर्दी में नहीं होने से जहां यात्रियों को पूछताछ सहित अन्य कार्यों में दिक्कत होती है, वहीं बसों में चालक-परिचालक की पहचान नहीं हो पाती। सबसे ज्यादा परेशानी रोडवेज के टिकट चेकिंग स्टाफ के साथ आती है जिसमें कर्मचारी अमूमन वर्दी नहीं पहनते। कई मामलों में तो अपनी जगह दूसरे कर्मचारियों को चेकिंग के लिए भेज दिया गया। वर्दी में ड्यूटी देने की शर्त से ऐसे कर्मचारियों पर नकेल कसी जा सकेगी।
नए परिचालकों को डिपो हुए अलॉट, बढ़ेंगे बसों के फेरे
हाल ही में भर्ती नौ सौ से अधिक परिचालकों को परिवहन निदेशालय ने डिपो अलॉट कर दिए हैं। मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र लेने के बाद ये कंडक्टर ड्यूटी संभाल लेंगे जिससे बसों के फेरे बढ़ाए जा सकेंगे। सिरसा को सर्वाधिक 80 कंडक्टर मिले, जबकि फरीदाबाद को 75, हिसार को 69, पलवल को 61 व झज्जर को 58 परिचालक मिले हैं। फिलहाल गुरुग्राम के हिस्से 2, पंचकूला को 5, सोनीपत को छह और जींद को 11 कंडक्टर ही मिल पाए हैं।