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Haryana-Punjab water dispute: उम्मीद नहीं कि पंजाब SYL नहर के लिए राजी होगा

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा भले ही पंजाब के साथ बातचीत का एक और प्रयास कर ले जो आखिरी होगा लेकिन उम्मीद नहीं है कि SYL नहर के निर्माण के लिए राजी होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 01:34 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 01:54 PM (IST)
Haryana-Punjab water dispute: उम्मीद नहीं कि पंजाब SYL नहर के लिए राजी होगा
Haryana-Punjab water dispute: उम्मीद नहीं कि पंजाब SYL नहर के लिए राजी होगा

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा भले ही पंजाब के साथ बातचीत का एक और प्रयास कर ले, जो आखिरी होगा, लेकिन उम्मीद नहीं है कि पंजाब सतलुज यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए राजी होगा। हरियाणा की भाजपा सरकार SYL नहर निर्माण के लिए पंजाब को मनाने की कई बार कोशिश कर चुकी है, लेकिन पंजाब न तो बाकी बची नहर बनाने को राजी हुआ और न ही SYL नहर का पानी देने को तैयार हो पाया। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय भी पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करने के लिए तैयार नहीं कर पाया। पंजाब को मनाने की तमाम कोशिशें बेकार होने के बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी और आग्रह किया था कि अब वह ही अपने आदेश को लागू कराने में मदद करें।

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सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2016 को SYL नहर निर्माण को लेकर हरियाणा के हक में फैसला दिया था। इस फैसले के बावजूद पंजाब नहीं चाहता कि हरियाणा को पानी मिले। पंजाब सरकार कई बार यह संकेत दे चुकी कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए फालतू पानी नहीं है, जबकि हरियाणा अपने हिस्से का पानी मांग रहा है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हरियाणा ने कई बार प्रयास किए कि पंजाब को किसी तरह इस फैसले पर अमल के लिए राजी कर लिया जाए, लेकिन इसमें उसे कोई सफलता नहीं मिली।

हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने राज्य सरकार की ओर से अपने तमाम प्रयासों की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है। हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कह दिया कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश लागू कराने में सफल नहीं हो पाए, क्योंकि पंजाब का रुख सही नहीं है। इसलिए हरियाणा के हक में जो फैसला 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था, उसे खुद सुप्रीम कोर्ट लागू कराए।

हरियाणा की इस अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार को एक आखिरी मौका दिया है। इस बार भी यदि तीनों के बीच कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाती तो 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस फैसला सुना सकता है।

एडवोकेट जनरल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कापी आनी बाकी है। कानूनी व तकनीकी तौर पर इस आदेश का अध्ययन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों के मुताबिक हरियाणा सरकार केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और पंजाब सरकार को एक बार फिर मसले के समाधान के लिए अप्रोच करेगी। अन्यथा 3 सिितंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विकल्प खुला है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट में SYL नहर निर्माण मसले की सुनवाई ऐसे समय में चल रही है, जब राज्य में अक्टूबर में चुनाव होने हैैं। 10 से 15 सितंबर के बीच राज्य में चुनाव आचार संहिता लग सकती है। इससे पहले 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस केस में हरियाणा के हक में आए फैसले को लागू करने के आदेश दे सकता है। राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो ने भी SYL नहर निर्माण के लिए अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में बड़ा आंदोलन खड़ा किया। इसके बावजूद भाजपा को इस पूरे मामले में राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद है।

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