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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में शुरू की सर्वधर्म समभाव की एक अनोखी पहल

अमर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाएंगे। साथ ही महापुरुषों ने जो समानता का संदेश दिया है उसे साकार करने के लिए सरकार ऐसी योजनाएं बना रही है जिनसे हर व्यक्ति का जीवन स्तर ऊंचा उठ सके।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 11:40 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 11:40 AM (IST)
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में शुरू की सर्वधर्म समभाव की एक अनोखी पहल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल (मध्य में) ने प्रदेश में शुरू की है सर्वधर्म समभाव की एक अनोखी पहल। फाइल

पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा का नाम जुबान पर आते ही एक ऐसे प्रदेश की तस्वीर मन-मस्तिष्क के सामने उभरने लगती है, जहां सत्य और धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण का स्वयं आगमन हुआ था। उन्होंने कुरुक्षेत्र की धरती पर आकर जन्म-जन्मांतर के दुख-पाप नष्ट कर देने वाली श्रीमद्भगवद् गीता जी का उपदेश दिया। हरियाणा का मतलब, हरि का आना। पुराने समय में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रह्मोप्देश के नाम से भी जाना जाता था। यह नाम हरियाणा की भूमि पर ब्रह्मा के उद्भव पर आधारित हैं अर्थात आर्यो का निवास, वैदिक संस्कृतियों एवं अन्य संस्कारों के उपदेशों का घर। विभिन्न लोगों और जातियों के बीच मिलकर समग्र भारतीय संस्कृति के निर्माण में हरियाणा का योगदान अपने तरीके से उल्लेखनीय रहा है। महत्वपूर्ण रूप से इस क्षेत्र को पृथ्वी पर स्वर्ग के रूप में सम्मानित किया गया है।

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रोहतक जिले के बोहर गांव से मिले शिलालेख के अनुसार कभी इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से भी जाना जाता था। 1337 में सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के दौरान के पत्थरों पर ‘हरियाणा’ शब्द अंकित मिला है। यह शब्द हरिबंका से आता है और हरि की पूजा और भगवान इंद्र से जुड़ा हुआ है। चूंकि यह सूखा भूभाग है, इसलिए वहां के लोग हमेशा इंद्र (हरि) की बारिश के लिए पूजा करते थे। ऋग्वेद में भी हरियाणा का जिक्र है, जहां हरियाणा नाम को योग्यता के लिए राजा वासुराजा विशेषण के रूप में प्रयोग करते थे। वासुराजा ने इस क्षेत्र पर शासन किया और इस तरह से इस क्षेत्र को उसके बाद हरियाणा के नाम से जाना जाने लगा।

हम हरियाणा के नाम के अतीत में इसलिए गए, क्योंकि मौजूदा भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में सर्वधर्म समभाव की एक अनोखी पहल शुरू की है। सबसे पहले इसकी शुरुआत 2019 में तब हुई थी, जब सभी धर्मो के अनुयायियों को विधानसभा में बुलाकर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। यह किसी से छिपा नहीं है कि हरियाणा सरकार हरियाणा एक-हरियाणवी एक के सूत्र वाक्य के साथ सबका साथ-सबका विकास की राह पर चल रही है। जातिवाद और क्षेत्रवाद की वर्जनाएं काफी हद तक टूटी हैं। इस कड़ी में सभी धर्मो, वर्ग और जातियों के महापुरुषों के सम्मान में राज्य स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्वधर्म समभाव की पहल को गति देने का काम किया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गीता जयंती मनाने वाली मनोहर सरकार बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर जयंती, संत रविदास जयंती और वाल्मीकि जयंती के राज्य स्तरीय आयोजन कर चुकी है। हाल ही में गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्सव, गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव और गुरु तेग बहादुर जी के 401वें प्रकाशोत्सव का आयोजन किया गया। पूरे प्रदेश में इन आयोजनों से सर्वधर्म समभाव की ऐसी खुशबू फैली कि हर कोई इसमें समाता चला गया। यह सिलसिला अब महर्षि कश्यप जयंती और संत कबीर जयंती पर पहुंच गया है। गत दिनों ही करनाल में महर्षि कश्यप जी की राज्य स्तरीय जयंती मनाई गई है। अब रोहतक में संत कबीर की जयंती मनेगी। इन कार्यक्रमों के आयोजन से प्रदेश में सामाजिक वैमनस्यता को खत्म करने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही जातिवाद और वर्गवाद पर कड़ी चोट होती है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साफ किया है कि प्रदेश सरकार संत-महापुरुषों के नाम पर शुरू हुईं सार्वजनिक सभाओं, समारोहों और सेमिनारों सहित अन्य कार्यक्रमों का सिलसिला बरकरार रखेगी। इससे धार्मिक गुरुओं और संतों की शिक्षाओं, विचारधाराओं और दर्शन को समाज में बेहतर तरीके से प्रचारित किया जा सकेगा। दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान दिवस 26 दिसंबर को हर वर्ष वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]


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