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राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे हरियाणा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, पढ़ें क्या है कानूनी वजह

Presidential Election हरियाणा के नवनिर्वाचित राज्यसभा के दो सदस्य राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान नहीं कर सकेंगे। दरअसल नवनिर्वाचित दोनों सदस्यों के निर्वाचन की अधिसूचना दो अगस्त को जारी होगी। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 11 Jun 2022 04:43 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jun 2022 08:52 PM (IST)
राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे हरियाणा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, पढ़ें क्या है कानूनी वजह
कृष्णपाल पंवार व कार्तिकेय शर्मा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा से भाजपा प्रत्याशी कृष्ण लाल पंवार और भाजपा-जजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा राज्यसभा का चुनाव जीत गए हैं। जीत का प्रमाणपत्र मिलने के बावजूद दोनों नवनिर्वाचित सांसद 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। इनकी जगह दुष्यंत गौतम और सुभाष चंद्रा ही मतदान करेंगे जिनका कार्यकाल पहली अगस्त तक है।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी आरके नांदल ने मतगणना के तुरंत बाद दोनों विजेताओं को निर्वाचन प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया। कानून मंत्रालय द्वारा निर्वाचन की अधिसूचना 50 दिन बाद यानी दो अगस्त को जारी की जाएगी जिसके बाद दोनों का छह वर्षों का कार्यकाल शुरू होगा। इस तरह पंवार और कार्तिक अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में सांसद के तौर पर वोट नहीं डाल पाएंगे।

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खास बात यह कि इलेक्शन सर्टिफिकेशन में कार्तिकेय शर्मा का नाम कार्तिक शर्मा दर्शाया गया है। कारण यह कि उन्होंने कार्तिक शर्मा के नाम से राज्यसभा चुनाव लड़ा था। अंबाला शहर विधानसभा हलका, जो अंबाला संसदीय (लोकसभा) क्षेत्र में पड़ता है, की मौजूदा मतदाता सूची में उनका नाम कार्तिक शर्मा दर्शाया गया है।

राज्यसभा पहुंचने वाले तीसरे निर्दलीय बने कार्तिकेय

कार्तिकेय शर्मा प्रदेश से निर्दलीय के तौर पर निर्वाचित होने वाले तीसरे राज्य सभा सदस्य हैं। उनसे पहले अगस्त 2004 में सरदार त्रिलोचन सिंह और अगस्त 2016 में सुभाष चंद्रा निर्दलीय के तौर पर राज्य सभा पहुंचे थे।

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दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत निर्दलीय के तौर पर जीता सांसद या विधायक कार्यकाल के दौरान किसी भी राजनीतिक दल या पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल नहीं हो सकता है। हालांकि वह सदन में सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन सरकार का समर्थन कर सकता है।


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