रेवाड़ी दुष्कर्म मामले के बाद सख्त हुई सरकार; लापरवाही पर नपेंगे अफसर, एसपी की जवाबदेही तय
रेवाड़ी की मेधावी छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सख्ती दिखाने के बाद पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा शुरू हो गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। रेवाड़ी की मेधावी छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सख्ती दिखाने के बाद पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा शुरू हो गई है। सोमवार को पुलिस प्रमुख बीएस संधू ने डीजीपी-एडीजीपी रैंक के अफसरों के साथ ही आइजी और सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रू-ब-रू होकर ग्राउंड रिपोर्ट तलब की। पुलिस महानिदेशक ने विशेष रूप से महिला अपराध में शामिल लोगों से सख्ती से निपटने और उन्हें कठोर सजा दिलाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
डीजीपी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित शिकायतों को तत्काल सभी पुलिस स्टेशनों में पंजीकृत किया जाना चाहिए। किसी भी चूक को गंभीरता से लिया जाएगा और संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने चेतावनी देते हुए कहा कि या तो फील्ड अफसर बेहतर प्रदर्शन करें अन्यथा सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहे। प्रत्येक पुलिस अधिकारी सतर्कता के साथ सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना न हो।
पुलिस महानिदेशक मुख्यालय, केके मिश्रा ने कहा कि रेवाड़ी मामले में पुलिस अधिकारी व कर्मचारी के स्तर पर किसी भी तरह की लापरवाही या चूक का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। अगर किसी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जिला एसपी को अधिक सक्रिय और संवेदनशील होना चाहिए और सभी परिस्थितियों में अपराध को कम किया जाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच में तेजी लाने और जघन्य अपराधों का शीघ्र ट्रायल कराकर कठोर सजा दिलाने पर जोर दिया। बैठक में एडीजीपी अपराध पीके अग्रवाल, एडीजीपी सीआइडी अनिल कुमार राव और एसपी क्राइम अगेंस्ट वुमन मनीषा चौधरी मौजूद थे।
दुष्कर्म पीडि़ता से मिले हुड्डा और दलाल के खिलाफ बैठाई जांच
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल द्वारा रेवाड़ी की दुष्कर्म पीडि़ता से मुलाकात पर सरकार ने जांच बैठा दी है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि दोनों नेताओं द्वारा चिकित्सकों की सहमति के बिना पीडि़ता से जबरदस्ती मिलने व डाक्टरों को धमकाने के मामले की जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों द्वारा मना करने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व विधायक करण दलाल अस्पताल में घुस कर पीडि़ता से मिले। यह न केवल प्रोटोकॉल के विपरीत है, बल्कि चिकित्सकों को धमकाकर अराजकता फैलाने की कोशिश की गई। डॉक्टरों की अनुमति के बिना तो पुलिस एवं जांच टीम भी पीडि़त के बयान नहीं ले सकती।