माता भीमेश्वरी देवी मंदिर को अपने अधीन लेगी हरियाणा सरकार, पढ़ें क्या है इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में महाभारतकालीन माता भीमेश्वरी देवी (Mata Bhimeshwari Devi Temple) के बेरी (झज्जर) स्थित मंदिर का संचालन हरियाणा सरकार अपने अधीन लेने का फैसला ले सकती है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार महाभारतकालीन माता भीमेश्वरी देवी के बेरी (झज्जर) स्थित मंदिर का संचालन अपने अधीन लेने वाली है। हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को होने वाली बैठक में माता भीमेश्वरी देवी मंदिर का संचालन प्रदेश सरकार के अधीन हो जाने के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।
इसके अलावा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल के उस प्रस्ताव को अब मंजूरी देने का निर्णय लिया है, जिसमें सात कनाल आठ मरला जमीन बाबा श्याम खाटू के नाम पर बनने वाली धर्मशाला व वृद्धाश्रम के लिए दी जानी प्रस्तावित थी।
हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को सुबह 11 बजे सचिवालय में होने वाली बैठक में आठ साल बाद हुड्डा सरकार के इस फैसले को अमल में लाया जा सकता है। यह जमीन पशुपालन विभाग की है। सात अगस्त 2014 को हुई हुड्डा मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया था कि धर्मशाला व वृद्धाश्रम के लिए सात कनाल आठ मरला जमीन बीर बाबरान विकास ट्रस्ट हिसार को दी जाएगी।
उसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और हुड्डा सरकार चली गई तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार आ गई। तब से यह प्रस्ताव अधर में लटका हुआ था। अब सोमवार की बैठक में इस प्रस्ताव को नए सिरे से पेश किया जाने वाला है, जिसमें यह बदलाव किया गया है कि पहले जो जमीन बीर बाबरान विकास ट्रस्ट हिसार को दी जाने वाली थी, अब उसे श्याम बाबा खाटू मंदिर ट्रस्ट को प्रदान किया जा सकता है।
इसी तरह, बेरी के सुप्रसिद्ध प्राचीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर का अधिगृहण सरकार मंत्रिमंडल की बैठक में करेगी। बेरी में वर्ष में दो बार लगने वाले मेले में प्रदेश ही नहीं, बल्कि दूरदराज से लाखों भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि मां भीमेश्वरी देवी की अनुकंपा का ऐसा असर है कि सच्चे मन से मंगल कामना करने पर पूरी होती है।
बेरी कस्बा महाभारत कालीन है। कौरव व पांडवों की कुलदेवी हिंगलाज पर्वत, जो अब पाकिस्तान में है, उस पर निवास करती थीं। महाभारत युद्ध को देखते हुए कुंती ने भीम को पहले कुलदेवी का आशीर्वाद लेने के लिए कहा। भीम हिंगलाज पर्वत पहुंचे और मां की अराधना आरंभ की। माता ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए व अराधना का कारण पूछा तो भीम ने महाभारत के युद्ध के बारे में बताते हुए साथ चलने की प्रार्थना की।
बताते हैं कि मां इस शर्त पर चलने को तैयार हुई कि रास्ते में कंधे से नीचे नहीं उतारेंगे। मां की प्रतिमा मान भीम अपने कंधे पर विराजमान कर चल पड़े। बेरी पहुंचने पर जंगल में वृक्ष के समीप बाय नामक तालाब के नजदीक भीम को लघुशंका की इच्छा हुई और उस दौरान मां की शर्त को भूल बैठे।
उन्होंने मां को वहीं रख दिया। लघुशंका से निवृत होकर तालाब में स्न्नान कर जब मां को अपने कंधे पर विराजमान करना चाहा तो प्रतिमा टस से मस न हुई। इसके बाद भीम मां का आशीर्वाद लेकर युद्ध के लिए चले गए। यहीं बना मंदिर भीमेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
बेरी स्थित मां भीमेश्वरी का मंदिर में मां की मूर्ति एक और मंदिर दो हैं। यहां दिन के समय में बाहर वाले मंदिर में पूजा होती है और रात में भीतर वाले मंदिर में। जब मां ने भीम का अनुरोध ठुकरा दिया, उस दौरान यहां दुर्वासा ऋषि ठहरे हुए थे।
उन्हें जब इस घटनाक्रम का पता चला तो वे मां के पास पहुंचे और अनुरोध किया कि संतों के बनाए हुए आश्रम में आकर सेवा स्वीकार करें। मां ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। उसके बाद दिन में वहां पर दुर्वासा ऋषि मां की पूजा अर्चना करने लगे। ऋषि दुर्वासा दोनों समय बेरी में आरती के लिए आते थे। आज भी परंपरा के मुताबिक दिन में बाहर वाले मंदिर में और रात के समय में भीतर वाले मंदिर में मां की पूजा अर्चना की जाती है।
हरियाणा सिविल सर्विस रूल्स में होगा बदलाव
हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को सचिवालय में होने वाली बैठक में 19 एजेंडों पर चर्चा होगी। इनमें से करीब एक दर्जन एजेंडे जमीनों की अदला-बदली के हैं। इसके अलावा राज्य सरकार हरियाणा सिविल सर्विस (लीव) रूल्स 2016 में बदलाव को मंजूरी मिलेगी। बैठक में कैग की रिपोर्ट और बोर्ड एवं निगमों की रिपोर्ट को भी मंजूरी प्रदान की जाएगी।