हरियाणा में चौटाला शासन में चयनित 21 HCS व HPS अफसरों की सेवाएं खत्म करेगी सरकार
हरियाणा सरकार में 2004 में ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में भर्ती के 19 HCS व दो HPS अफसरों की सेवाएं समाप्त करने का फैसला किया है। सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई थी।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार 2004 में चयनित 19 HCS (हरियाणा सिविल सर्विस) व दो HPS (हरियाणा पुलिस सर्विस) अधिकारियों को नौकरी पर बरकरार रखने के बजाय उनकी सेवाएं खत्म करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के राज में चयनित 102 HCS अधिकारियों में से 38 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने ज्वाइनिंग दी थी। तब 23 HCS व HCS एलाइड सेवा के अधिकारियों ने ज्वाइन किया था, लेकिन अब 21 ही कार्यरत हैं। बाकी अधिकारियों ने अलग-अलग कारणों से प्रदेश सरकार की सेवाओं को ज्वाइन नहीं किया था।
हरियाणा सरकार 19 HCS व दो HPS अधिकारियों को नौकरी से निकालने के साथ ही उन 22 HCS अधिकारियों को भी ज्वाइनिंग नहीं कराएगी, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में केस दायर कर 38 HCS की तर्ज पर बाकी बचे 64 HCS अधिकारियों को भी ज्वाइनिंग देने का दबाव प्रदेश सरकार पर बना रखा है। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में हलफिया बयान देकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
हरियाणा सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट में हलफिया बयान दिया। 30 नवंबर को यह हलफनामा हाई कोर्ट में दायर किया गया है। उस समय मुख्य सचिव के पद पर विजयवर्धन थे। हाई कोर्ट ने इस हलफनामे को रिकार्ड पर ले लिया है। प्रदेश सरकार ने कोर्ट में मान लिया कि 2004 की HCS चयन की भर्ती प्रक्रिया अनियमितताओं से भरी पड़ी है, लेकिन सरकार इस बात का जवाब गोल कर गई कि 2016 में 102 में से 38 HCS को ज्वाइनिंग के लिए वह क्यों राजी हुई थी।
ओमप्रकाश चौटाला के राज में हुई इस भर्ती के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार आई। तब हुड्डा ने इन HCS अफसरों को ज्वाइनिंग नहीं दी और जांच बैठा दी थी। पानीपत के तहसीलदार डा. कुलदीप मलिक समेत 22 चयनित HCS उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में केस दायर कर रखा है कि जब 38 HCS को ज्वाइनिंग के लिए सरकार तैयार थी तो उसी तर्ज पर बाकी HCS को भी ज्वाइन कराना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह 38 HCS को नौकरी से हटाएगी या फिर बाकी चयनित 64 HCS को नौकरी ज्वाइन कराएगी, जिस पर प्रदेश सरकार ने हलफनामा कोर्ट में दायर किया है।
17 साल बाद पता चला भर्ती में अनियमितताओं का
हरियाणा सिविल सेवा में चयन के 17 साल व नियुक्ति के पांच साल बाद सरकार को पता चला कि 2004 की HCS भर्ती की पूरी चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी व अनियमितता हुई थी। मुख्य सचिव के हलफनामे के अनुसार, प्रदेश सरकार द्वारा पूरे मामले पर विचार किया गया और यह निष्कर्ष निकाला कि HPS द्वारा 102 उम्मीदवारों के चयन की पूरी प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गई थी। इसलिए केवल कुछ उम्मीदवारों का चयन भेदभावपूर्ण होगा। इस कारण राज्य सरकार ने हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) और अन्य संबद्ध सेवाओं से ऐसे अधिकारियों की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय लिया है।
सरकार ने कहा, सभी को कारण बताओ नोटिस दिए
हरियाणा सरकार की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि उन सभी HCS को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा 27 फरवरी 2016 को हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर नियुक्ति दी गई थी। तब 38 उम्मीदवारों में से 23 को HCS (कार्यकारी शाखा) के पद पर नियुक्ति दी गई थी, जिसमें से 19 HCS (कार्यकारी शाखा) के रूप में कार्यरत हैं और दो उम्मीदवारों को डीएसपी के पद पर नियुक्ति के लिए अनुशंसित किया गया था। इन HCS अफसरों का जवाब आने के बाद उन्हें सरकार कोर्ट में पेश कर सकती है। इस बात की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि जिन HCS अधिकारियों की नौकरी जाएगी, वह कोर्ट से स्टे आर्डर ले आएं।
विभिन्न सेवाओं में ज्वाइन नहीं कर पाए अधिकारी
हरियाणा सरकार के हलफनामे के अनुसार आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए सात उम्मीदवारों की अनुशंसा की गई थी, लेकिन उनमें से केवल दो ही कार्यरत हैं। बीडीपीओ के पद पर नियुक्ति के लिए छह उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, लेकिन उनमें से कोई भी इस पद पर ज्वाइन नहीं किया। इस तरह 38 अभ्यर्थियों में से आज मात्र 23 अभ्यर्थी ही सेवा में हैं।
सरकार ने कहा, खारिज की जाए 22 HCS की याचिका
हरियाणा सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के साथ ही इस मुद्दे पर चल रही याचिका को खारिज करने का आग्रह किया है। सरकार ने कहा कि जिन उम्मीदवारों ने यह याचिका दायर की है, भर्ती में उन पर लगे गंभीर आरोपों के चलते 2016 में नियुक्ति नहीं दी गई थी और अब वे नियुक्ति के लिए दावा नहीं कर सकते। हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने वीरवार को हलफनामे को रिकार्ड पर लेते हुए मामले में बहस शुक्रवार तक स्थगित कर दी।
चौटाला राज में 2002 में 65 HCS की भर्ती का मामला अभी भी विचाराधीन
कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने वर्ष 2002 में HCS भर्ती में धांधली को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर इस भर्ती के पहले 12 और उसके बाद 53 HCS अधिकारियों के भर्ती रिकार्ड हाई कोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार के रूम में जांचे गए थे, जिसके बाद जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की गई थी, जिसमें बड़ी धांधलियों की बात कही गई थी। यह मामला पिछले 19 साल से हाई कोर्ट में विचाराधीन है और जिस पर भविष्य में सुनवाई नजर नहीं आ रही। हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा कि जांच रिपोर्ट व जिन उत्तर पुस्तिका से छेड़छाड़ का आरोप है व जिन उम्मीदवारों को फायदा दिया गया है, वह पूरी जानकारी दी जाए।