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मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार का स्वास्थ्य के मोर्चे पर सही कदम

आयुष्मान कार्डों को आधार से जोड़ने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। प्रदेश में अस्पताल में भर्ती होने के समय 100 प्रतिशत बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण करने की व्यवस्था की गई है ताकि किसी तरह से फर्जीवाड़े की आशंका को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalPublished: Wed, 23 Nov 2022 03:09 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 03:09 PM (IST)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार का स्वास्थ्य के मोर्चे पर सही कदम
गुरुग्राम के मानेसर में आयुष्मान भारत योजना की लाभार्थी ज्योति को गोल्डन कार्ड वितरित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल। जागरण

पंचकुला, अनुराग अग्रवाल। किसी भी देश और प्रदेश की तरक्की के लिए दो चीजें आवश्यक होती हैं...उचित शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार अपने राज्य में पहली से बारहवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा का बंदोबस्त कर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की पटकथा पहले ही लिख चुकी है। अब बारी है लोगों के उत्तम स्वास्थ्य की। करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले हरियाणा प्रदेश में आधी आबादी ऐसी है, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है। यानी उनकी सालाना आय एक लाख 80 हजार रुपये अथवा उससे बहुत कम है। ऐसे लोगों के लिए किसी भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल में बढ़िया इलाज कराना एक सपना मात्र है। गरीबों के इस सपने को सरकार ने साकार करने का काम किया है।

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केंद्र सरकार के मानदंड के अनुसार ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के तहत लाभार्थी परिवारों का चयन उनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति तथा जनगणना-2011 के आधार पर किया जाता है। इसके अनुसार हरियाणा में 15 लाख 51 हजार 798 परिवार इस योजना में चिह्नित किए गए थे, लेकिन इनमें से सिर्फ नौ लाख का डाटा ही सत्यापित हो पाया था। इन्हीं नौ लाख परिवारों को योजना का लाभ मिल रहा था।

मुख्यमंत्री के सामने जब यह बात आई कि केंद्र के मानदंड के मुताबिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले लोग सिर्फ वही हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख 20 हजार रुपये या उससे कम है तो उन्होंने अधिकारियों को बुलाया और गरीबी के लिए आर्थिक सीमा को बढ़ाकर सीधे एक लाख 80 हजार रुपये वार्षिक कर दिया। यानी प्रदेश में एक लाख 80 हजार रुपये वार्षिक अथवा इससे कम आय वाले जितने भी लोग होंगे, वे गरीबी रेखा के दायरे में आएंगे और उन्हें पांच लाख रुपये वार्षिक का मुफ्त इलाज उपलब्ध हो सकेगा।

इसका नतीजा यह हुआ कि राज्य में 20 लाख परिवार ऐसे बढ़ गए, जिन्हें भविष्य में आयुष्मान योजना का लाभ मिल सकेगा। अब प्रदेश में 29 लाख परिवारों के करीब सवा करोड़ सदस्य ऐसे हो गए हैं, जिन्हें राज्य के किसी भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल में पांच लाख रुपये वार्षिक के हिसाब से मुफ्त इलाज की सुविधा मिल सकेगी। ढाई करोड़ की आबादी वाले राज्य में अब सवा करोड़ लोग बीमारी होने की स्थिति में बढ़िया से बढ़िया अस्पताल में अपना मुफ्त इलाज करा सकेंगे।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दो दिन पहले ही गुरुग्राम के मानेसर में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड वितरित कर स्वस्थ हरियाणा-चिरायु हरियाणा अभियान की शुरुआत की है। 31 दिसंबर तक सभी को जरूरतमंदों को यह कार्ड मिल जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब दिव्यांग का इलाज भी इसी योजना में समाहित कर दिया गया है। यह निर्बल वर्ग के लोगों के लिए सरकार का एक श्रेष्ठ उपहार है, जिसके आगे बाकी सारे उपहार फेल हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत हरियाणा में कुल 715 अस्पताल सूचीबद्ध किए गए हैं, जिनमें 539 निजी अस्पताल और 176 सरकारी अस्पताल हैं।

इस लिहाज से देखा जाए तो हरियाणा के हर जिले में इस योजना से जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। 1500 तरह की बीमारियों का इलाज इस योजना के जरिये हो रहा है। अब तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 580.77 करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम हरियाणा सरकार द्वारा निपटाए जा चुके हैं। साल 2021 के दौरान शीघ्र क्लेम भुगतान के लिए हरियाणा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से प्रशंसा पत्र भी मिल चुका है।

आयुष्मान कार्डों को आधार से जोड़ने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। प्रदेश में अस्पताल में भर्ती होने के समय 100 प्रतिशत बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण (नवजात शिशुओं और आपात स्थितियों को छोड़कर) करने की व्यवस्था की गई है, ताकि किसी तरह से फर्जीवाड़े की आशंका को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। हरियाणा के स्वास्थ्य ढांचे की अगर बात करें तो आयुष्मान योजना के तहत कवर होने वाले इलाज के अलावा आज प्रदेश में 228 प्रकार के आपरेशन, 70 प्रकार के टेस्ट और 21 प्रकार की दंत चिकित्सा सेवा मुफ्त उपलब्ध है। साथ ही 541 तरह की दवाइयां भी मुफ्त दी जा रही हैं। प्रदेश के अस्पतालों में डाक्टरों की कमी किसी से छिपी नहीं है, जिसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने की घोषणा की है, ताकि हर साल करीब 1700 डाक्टर हरियाणा को उपलब्ध हो सकें। जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन राज्य बाकी प्रदेशों की अपेक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुलंदियों को छूते देर नहीं लगाएगा।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]


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