हरियाणा सरकार का एक और बड़ा फैसला, CM नायब सैनी ने क्लर्क और स्टेनो टाइपिस्ट की बढ़ाई सैलरी; अब कितना मिलेगा वेतन?
हरियाणा सरकार ने बोर्ड-निगमों सरकारी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं में कार्यरत सभी क्लर्क और स्टेनो टाइपिस्ट के लिए वेतनमान में वृद्धि की घोषणा की है। अब इन कर्मचारियों को 21 हजार 700 रुपये का वेतनमान मिलेगा। इस निर्णय से राज्य के हजारों कर्मचारियों को लाभ होगा। इससे क्लर्कों और स्टेनो टाइपिस्टों में खुशी की लहर है। नायब सरकार ने बड़ी खुशखबरी दी है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में अब बोर्ड-निगमों, सरकारी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं में कार्यरत सभी क्लर्क और स्टेनो टाइपिस्ट को भी 21 हजार 700 रुपये का वेतनमान मिलेगा।
प्रदेश सरकार ने पिछले साल आठ फरवरी और 15 मार्च को सरकारी विभागों के क्लर्कों और स्टेनो टाइपिस्ट के लिए संशोधित किए गए वेतनमान को बोर्ड-निगमों, सरकारी कंपनियों और सहकारी समितियों में भी लागू कर दिया है।
वित्त विभाग ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और बाेर्ड-निगमों में अब भी क्लर्क और स्टेनो टाइपिस्ट को 19 हजार 800 रुपये का वेतनमान दिया जा रहा है। सरकार के आदेश के बाद इन कर्मचारियों को एफएलए (फंक्शन पे लेवल)- 2 की बजाय एफएलए-तीन का लाभ मिलेगा।
लिपिकों और स्टेनो को ही एफएलए-तीन में शामिल किया जाएगा
27 साल की सेवा के बाद एक इंक्रीमेंट भी दी जाएगी। हालांकि ज्वाइनिंग के बाद प्रोबेशन पीरियड में कंप्यूटर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करने वाले लिपिकों और स्टेनो को ही एफएलए-तीन में शामिल किया जाएगा। सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निदेशक मंडल के अनुमोदन के बाद संशोधित वेतनमान लागू करने का निर्देश दिया गया है।
कर्मचारियों के पक्ष में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
वहीं, दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत के तहत नगर परिषद, जींद के कर्मचारियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
अदालत ने नगर परिषद कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन देने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि वेतन में अंतर की राशि तीन महीने के भीतर संबंधित प्राधिकरण द्वारा कर्मचारियों को दी जाए।
यह मामला उन कर्मचारियों से जुड़ा है, जिन्हें शुरू में नगर परिषद, जींद द्वारा नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें राज्य सरकार के तहत प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया।
इन कर्मचारियों ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन दिया जाए।
नगर परिषद कर्मचारियों को मिलेगा राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान कार्य करने के बावजूद उन्हें समान वेतन नहीं दिया जा रहा था। कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार कर लिया और नगर परिषद के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन देने का आदेश जारी किया।
इससे पहले, राम चंदर बनाम हरियाणा राज्य मामले में, हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने यह स्पष्ट किया था कि नगर परिषद के कर्मचारियों को दिए जाने वाले संशोधित वेतनमान की प्रभावी तिथि एक जनवरी 1994 होगी, न कि एक अप्रैल 1999।
याचिका के दौरान, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि वेतन का अंतर (डिफरेंशियल अमाउंट) नगर परिषद द्वारा चुकाया जाना चाहिए, क्योंकि कर्मचारी शुरू में नगर परिषद द्वारा नियुक्त किए गए थे।
वेतन में अंतर की राशि का भुगतान
वहीं, नगर परिषद ने दावा किया कि प्रतिनियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को वेतन राज्य सरकार से मिला था, इसलिए यह राशि राज्य सरकार द्वारा दी जानी चाहिए। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को लेकर कोई विवाद नहीं है।
अदालत ने यह निर्देश दिया कि जिस प्राधिकरण और विभाग ने संबंधित अवधि के दौरान वेतन का भुगतान किया था, वही वेतन में अंतर की राशि का भुगतान करेगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस राशि पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं लगाया जाएगा।
आदेश में कहा गया कि संबंधित प्राधिकरण तीन महीने के भीतर इस राशि का भुगतान सुनिश्चित करे। हाई कोर्ट के इस फैसले से अन्य विभागों में कार्यरत समान स्थिति वाले कर्मचारियों को भी बड़ी राहत मिल सकती है।
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