'अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन', अनुसूचित जाति विभाजन नीति को हाईकोर्ट में चुनौती; नायब सरकार से मांगा जवाब
हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों को वर्गीकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में इस अधिसूचना को असंवैधानिक और मनमाना बताया गया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है और यह पुराने और संदिग्ध स्रोतों पर आधारित है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों को वर्गीकृत करने के लिए 13 नवंबर 2024 को जारी अधिसूचना को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हरियाणा प्रदेश महासभा ने याचिका दायर करते हुए इस अधिसूचना को असंवैधानिक और मनमाना बताया है।
याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है, वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति। यह वर्गीकरण हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग द्वारा 16 अगस्त 2024 को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के आधार पर किया गया। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह रिपोर्ट मात्र दो सप्ताह में तैयार की गई और यह किसी ठोस और मापनीय आंकड़ों पर आधारित नहीं है।
प्रतिनिधित्व के आधार पर SC का वर्गीकरण
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (लोक सेवाओं में समान अवसर) का उल्लंघन करती है। अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण केवल राज्य सेवाओं में उनके प्रतिनिधित्व के आधार पर किया गया है। इस प्रतिनिधित्व का आंकड़ा भी पुराने और संदिग्ध स्रोतों, जैसे परिवार पहचान पत्र व अन्य गैर विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है।
विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए मांगा समय
याचिका में कहा गया कि यह अधिसूचना मनमानी है और इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कौन-सी जातियों को वंचित और सामाजिक रूप से उन्नत श्रेणी में क्यों रखा गया। जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने जब सरकार से इस मामले में जवाब मांगा तो राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल अंकुर मित्तल ने अदालत से समय की मांग की, ताकि विस्तृत जवाब दाखिल किया जा सके।
17 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इस पर कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि सुनवाई से तीन दिन पहले सरकार एक स्पष्ट हलफनामा दाखिल करे और उसकी कॉपी याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराए। अदालत ने यह भी माना कि हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग इस मामले में एक आवश्यक पक्ष है। आयोग को मामले में पक्षकार बनाया जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
बता दें कि हरियाणा सरकार अनुसूचित जाति के लोगों की सूची में बदलाव की तैयारी में है। अनुसूचित जातियों में तीन जातियां ऐसी हैं, जिनके नाम विवादित माने जा रहे हैं। कई साल से इस सूची को बदलने की मांग की जा रही है, लेकिन अब करीब 12 साल बाद हरियाणा सरकार ने इस सूची में बदलाव के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।

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