पूर्व विधायकों की नाराजगी दूर करने में जुटी हरियाणा भाजपा, धनखड़ ने संभाला मोर्चा
हरियाणा भाजपा पूर्व विधायकों की नाराजगी दूर करने में जुट गई है। ये नेता पिछले साल चुनाव से पहले अन्य दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा के प्रदेश प्रधान ने इन पूर्व विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए मोर्चा संभाला है।
चंडीगढ़, जेएनएन। टिकट की चाह में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायकों की नाराजगी दूर करने की कवायद पार्टी ने शुरू कर दी है। इसका जिम्मा हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को सौंपा गया है। धनखड़ इन पूर्व विधायकों से अलग- अलग बातचीत कर उन्हें कृषि विधेयकों के विरुद्ध बने माहौल के खिलाफ लड़ने को तैयार कर रहे हैं। इन पूर्व विधायकों ने धनखड़ को कह दिया कि वह किसानों, युवाओं और महिलाओं के बूते ही चुनाव जीतते आए हैं। जो राजनीतिक दल उनके हित की बात नहीं करेगा, उसके लिए मुश्किलें खड़ी होना तय है।
चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायकों से बारी-बारी से की जा रही बातचीत
विधानसभा चुनाव से पूर्व करीब दो दर्जन विधायक और पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हुए थे। इनमें से कई को टिकट मिल गए थे तो अधिकतर टिकट से वंचित रह गए थे। भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद से यह पूर्व विधायक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब कृषि विधेयकों के विरोध की बात आई तो इन पूर्व विधायकों ने सिर जोड़ लिए तथा पार्टी पर किसानों की बात सुनने का दबाव बढ़ा दिया।
इसे लेकर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा, पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल, पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, पूर्व विधायक बूटा सिंह, कांग्रेस के पूर्व विभाग भाग सिंह छातर और भाजपा के पूर्व सीपीएस श्याम सिंह राणा ने बुधवार को पंचकूला के जिमखाना क्लब में बैठक भी की।
पूर्व विधायकों ने कहा हम साइड लाइन हैं, यह मुद्दा नहीं, किसानों को उनका हक मिले
बैठक के बाद रामपाल माजरा और परमिंदर सिंह ढुल ने दावा किया कि बाकी पूर्व विधायक भी उनके संपर्क में हैं और जल्द ही एक बड़ी मीटिंग का आयोजन कर किसानों, व्यापारियों, कर्मचारियों, युवाओं तथा महिलाओं के हक में आवाज बुलंद की जाएगी। यह पूर्व विधायक हालांकि किसानों के मुद्दों को जोरदार ढंग से उठा रहे हैं, लेकिन वास्तव में पार्टी तथा सरकार में अपनी सुनवाई नहीं होने से नाराज हैं। उनकी दलील है कि कार्यकर्ता और लोग काम चाहते हैं। वे ही नहीं होंगे तो आक्रोश बढ़ना स्वाभाविक है।
इन पूर्व विधायकों की मीटिंग की सूचना मिलने के बाद ओमप्रकाश धनखड़ ने बृहस्पतिवार सुबह अपने पंचकूला निवास पर दो पूर्व विधायकों परमिंदर सिंह ढुल और बलवान सिंह दौलतपुरिया से अलग-अलग बातचीत की। रामपाल माजरा को इस बातचीत में शामिल नहीं किया गया। संभावना जताई जा रही है कि बातचीत का यह क्रम आगे भी चलता रहेगा। इससे पहले बुधवार की रात को रामपाल माजरा और इनेलो छोड़कर कांग्रेस में चले गए अशोक अरोड़ा के बीच मंत्रणा हुई। दोनों पुराने दोस्त हैं और इस मुलाकात को भी उन्होंने मित्रता वाली मुलाकात करार दिया है। यदि यह पूर्व विधायक भाजपा से किनारा करते हैं तो राजनीतिक गलियारों में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। वैसे भी बरोदा विधानसभा का चुनाव सिर पर है।
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'हमने गुप्त नहीं खुलकर की बैठक'
'' हमने कोई गुप्त बैठक नहीं की थी। जो किया डंके की चोट पर किया। आगे भी करेंगे। कृषि विधेयकों के बाद किसानों में नाराजगी है। यह कृषि विधेयक किसानों के हक में नहीं है। एमएसपी व मंडी को लेकर केंद्र सरकार को एक अलग से विधेयक लाना चाहिए। किसानों की आशंकाओं को दूर किया जाए। भाजपा में हम साइड लाइन हैं, यह कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दा किसान, कर्मचारी और रोजगार है। यही बात हमने धनखड़ साहब से मिलकर बताई है।
- परमिंदर सिंह ढुल, पूर्व विधायक, जुलाना।
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'एमएसपी ही बचा रही किसानों को'
'' कई पूर्व विधायक हमारे संपर्क में हैं। आने वाले दिनों में भी बैठक होगी। हमारी कोशिश है कि हम पूर्व विधायकों के ग्रुप की तरफ से किसानों, कर्मचारियों व रोजगार के मुद्दे उठाएं। उनकी आवाज बनें। अगर यह विधेयक किसानों के हित में हैं तो वह सड़कों पर क्यों खेड़े हैं। हम किसान की बात नहीं करेंगे तो वह हमें छोड़ देंगे। हम किसानों को अकेला कैसे छोड़ सकते हैं। एमएसपी ही किसानों को बचा रही है।
- रामपाल माजरा, पूर्व विधायक, पाई एवं कलायत।