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हरियाणा में बड़े बदलाव के संकेत दे रही भाजपा नेताओं की नड्डा परिक्रमा, कई नेता कर चुके मुलाकात

हरियाणा के भाजपा नेता लगातार शीर्ष नेतृत्व से मिल रहे हैं। यह किसी बड़े बदलाव का संकेत है। हालांकि नेता बैठक के बाद बाहर निकलकर कुछ बता नहीं रहे लेकिन राजनीतिक पंडित इन मुलाकातों को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 04:29 PM (IST)
हरियाणा में बड़े बदलाव के संकेत दे रही भाजपा नेताओं की नड्डा परिक्रमा, कई नेता कर चुके मुलाकात
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात करते केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह । फोटो : इंटरनेट मीडिया

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि उन्हेंं अभी अपने मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल नहीं करना है, लेकिन हरियाणा भाजपा के नेता लगातार शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं । संसद भवन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके नए कार्यालय में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह राज्य के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला और सांसद रमेश कौशिक ने अलग से मुलाकात की। इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने भी राव इंद्रजीत सिंह से मुलाक़ात की।

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ये नेता पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद सिर्फ इतना ही बताते हैं कि किसान आंदोलन को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि राजनीति समझने वाले लोगों के गले से ये बात बिलकुल नहीं उतर रही है। इसका कारण है कि हरियाणा में जिन नेताओं को अपनी या अपने समर्थकों की कुर्सी सुरक्षित करनी है, वही नेता शीर्ष नेतृत्व से बार बार मिल रहे हैं।

इस बात की पुष्टि राजनीति के जानकार भी करते हैं। उनका कहना कि राजनीति में शिष्टाचार भेंट सिर्फ कहने की बात होती है। भेंट के दौरान होती सारी राजनीतिक बाते हैं, लेकिन उन्हेंं न भेंट करने वाला नेता स्वीकार करता है, न वह नेता स्वीकार करता है जिससे भेंट की जाती है। अब इस शिष्टाचार भेंट को तीनों कृषि सुधार कानूनों के विरोध में हरियाणा में चल रहे आंदोलन पर चर्चा करने से जोड़ दिया जाता है, लेकिन कोई नेता यह नहीं बताता कि आंदोलन को लेकर चर्चा क्या हुई और इसके समाधान के बारे में क्या सोचा गया है।

इससे स्पष्ट है कि कुछ बात तो ऐसी है जो ये नेता बताना नहीं चाहते। रही बात बदलाव की तो उसके बारे में किसी को पता नहीं होता, जब बदलाव हो जाता है तभी पता चलता है। हाल ही में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुछ नए सांसदों को शामिल किया जाना और कुछ पुराने मंत्रियों का आउट होना इसका प्रमाण है। लोग जिनके नामों का कयास लगा रहे थे, वे चर्चा में ही नहीं थे।


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