हरियाणा विधानसभा की कमेटी ने अफसरों से कहा, दलित व पिछड़े बच्चों को तुरंत दें स्मार्ट फोन
विधानसभा की कमेटी ने राज्य के अफसरों से कहा है कि ऑनलाइन शिक्षा के लिए दलित बच्चों को तुरंत स्मार्ट फोन देने को कहा है। कमेटी ने कहा है कि इन बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। हरियाणा समेत देश के बाकी राज्यों में कोरोना महामारी के चलते 15 अगस्त तक स्कूल खुलने के आसार नहीं है। केंद्र समेत राज्य सरकारों का पूरा फोकस बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराने पर टिका है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा कि गरीब खासकर दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों की पढ़ाई बिना स्मार्ट फोन के कैसे हो पाएगी। ऐसे में हरियाणा विधानसभा की कमेटी ने राज्य के अधिकारियों से कहा है कि दलित और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को तुरंत स्मार्ट फोन देने काे कहा है।
कमेटी ने कहा- दलित, पिछड़े और गरीब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में आ रही बाधाएं
हरियाणा विधानसभा की अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कमेटी ने दलित व पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की स्मार्ट फोन की अनुपलब्धता की वजह से प्रभावित हो रही पढ़ाई को गंभीरता से लिया है। जननायक जनता पार्टी के विधायक ईश्वर सिंह इस कमेटी के अध्यक्ष हैैं। वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैैं। ईश्वर सिंह के नेतृत्व वाली इस कमेटी ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को इन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन उपलब्ध कराने की संभावनाएं तलाश कर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। कमेटी के इस निर्देश के बाद अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
विभागीय अधिकारियों से 15 दिन में तलब की रिपोर्ट, सरकार के स्तर पर होगा फैसला
विधानसभा की एससी-बीसी कमेटी के चेयरमैन और गुहला से जजपा विधायक ईश्वर सिंह ने कमेटी की पहली बैठक में ऑनलाइन कक्षाओं के जरिये हो रही पढ़ाई का मुद्दा उठाया था। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 22 लाख छात्र हैं जिनमें से 60 फीसद से अधिक पिछड़ा व दलित वर्ग से हैं। इन गरीब बच्चों के घर न स्मार्ट फोन हैं और न टैबलेट और लेपटाप। जब कमेटी ने महकमे आला अधिकारियों से पूछा कि गरीब छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
इसके बाद कमेटी के कई सदस्यों ने सुझाव दिया कि वंचित छात्रों को स्मार्ट फोन दिए जाने चाहिए। इस पर एससी-बीसी कमेटी के चेयरमैन ने विभागीय अफसरों को गरीब छात्रों को स्मार्ट फोन देने का निर्देश देते हुए 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है। हालांकि स्मार्ट फोन देने का फैसला सरकार के स्तर पर ही होगा क्योंकि इसके लिए भारी भरकम बजट की जरूरत होगी।
कोरोना महामारी के कारण पिछले दिनों लागू लॉकडाउन के कारण प्रदेश सरकार वित्तीय संकट में घिरी हुई है। ऐसे में यह कदम उठाना आसान नहीं लगता है। वहीं, कमेटी के चेयरमैन ईश्वर सिंह का तर्क है कि महामारी के कारण जब सभी स्कूल बंद हैं और सरकार की ओर से बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है तो आखिर एससी-बीसी वर्ग के बच्चों को क्यों हक से वंचित रखा जा रहा। ऐसे में शैक्षिक रूप से पिछड़ा यह वर्ग और पिछड़ जाएगा। विधानसभा की इस कमेटी में विधायक जगदीश नायर, लक्ष्मण नापा, सत्यप्रकाश, रेणुबाला, शीशपाल सिंह, रामकरण काला और धर्मपाल गोंदर सदस्य हैं।
अध्यापकों को रखना पड़ेगा रिपोर्ट कार्ड, ऑनलाइन पीटीएम
प्रदेश में 15 अप्रैल से एजुसेट, स्वयंप्रभा और टीवी चैनलों के साथ ही शिक्षकों द्वारा वाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। अब सभी अध्यापकों को डायरी बनानी होगी जिसमें विद्यार्थियों से संपर्क, उनकी शैक्षणिक प्रगति सहित तमाम गतिविधियों की रिपोर्ट बनाते हुए स्कूल मुखिया से हस्ताक्षर कराने होंगे। सभी शिक्षकों के लिए एजुसेट तथा एनसीईआरटी के चैनलों पर विषय और कक्षावार प्रसारण देखना जरूरी कर दिया गया है। इसी के अनुसार गृह कार्य दिया जाएगा। इसके अलावा नियमित रूप से ई-पीटीएम भी आयोजित की जाएंगी।
फीस जमा नहीं करने पर नाम काट सकते निजी स्कूल
अभिभावकों द्वारा ट्यूशन फीस जमा न कराने पर अब निजी स्कूल छात्र का नाम काट सकते हैं। शिक्षा विभाग ने इसके लिए संशोधित गाइडलाइन जारी की है। पहले 1 जून को जारी आदेश में कहा गया था कि फीस जमा न कराने पर कोई भी निजी स्कूल किसी बच्चे का नाम नहीं काट सकता और न किसी को ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित रखा जा सकता है। अब इस आदेश को वापस ले लिया गया है।
हालांकि प्राइवेट स्कूल बिल्डिंग फंड, मेंटेनेंस फंड, एडमिशन फीस, कंप्यूटर फीस सहित अन्य फंड नहीं ले सकते। ट्यूशन फीस भी मासिक आधार पर ली जा सकती है और इसमें कोई इजाफा नहीं किया जा सकता। प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों की मानें तो अप्रैल में 40 फीसद अभिभावकों ने ही फीस जमा कराई थी। जून में केवल 20 फीसद बच्चों ने फीस दी है।