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हरियाणा विधानसभा को पेपरलेस बनाने में पंजाब का अड़ंगा

हरियाणा विधानसभा को पेपरलेस बनाने में पंजाब का अड़ंगा फंस गया है। पंजाब हरियाणा को जगह नहीं दे रहा, जिससे पेपरलेस के लिए कंप्यूटर व अन्य सामान रखने के लिए जगह नहीं मिल रही।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 06:46 PM (IST)
हरियाणा विधानसभा को पेपरलेस बनाने में पंजाब का अड़ंगा

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा को पेपरलेस बनाने के लिए जगह कम पड़ने के कारण इसे अब पेपरलेस बनाना आसान नहीं होगा। पंजाब ने अपने पास जमीन की अधिकता के बावजूद हरियाणा को तीन कमरे देने से इन्कार कर दिया है, जिस कारण विधानसभा को पेपरलेस बनाने की परियोजना अधर में लटक गई। इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच तकरार बढऩे के आसार हो हैं।

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काबिले गौर है कि एक ही बिल्डिंग में चल रही हरियाणा और पंजाब विधानसभा में पंजाब के पास कुल एरिया का 80 फीसद और हरियाणा के पास मात्र 20 फीसद ही है। जगह की कमी के कारण हरियाणा के विधानसभा सचिवालय को अपनी फाइलें गलियारों में रखी अलमारियों में खपानी पड़ रही हैं।

हरियाणा विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल गुर्जर ने 2014 में विधानसभा का पूरा सिस्टम पेपरलेस बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए हिमाचल  विधानसभा का दौरा भी किया गया। विधानसभा सचिवालय ने परियोजना पर  काम शुरु किया। सर्वे करने वाली एजेंसी ने विधानसभा सचिवालय से छह कमरों की मांग की। लेकिन हरियाणा छह कमरों का बंदोबस्त नहीं कर पाया। इन कमरों में सर्वर, हाईटेक कंप्यूटर व इंटरनेट से लैस वर्क स्टेशन बनाया जाना था। हरियाणा ने इस अड़चन को दूर करने के लिए पंजाब से कमरे मांगे थे, लेकिन उसका रवैया कतई भी सकारात्मक नजर नहीं आया।

पंजाब ने दिया अपने यहां विधानसभा परिषद बनने का तर्क

पंजाब का तर्क है कि उसके यहां विधानसभा परिषद कभी भी काम करना शुरू कर सकती है। इसलिए उसके लिए जगह की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में हरियाणा को जगह नहीं दी जा सकती।

पंजाब ने हरियाणा को दिया था विधानसभा परिषद वाला हाल

विधानसभा परिसर में मूल रूप से एक सदन संयुक्त पंजाब के लिए बना था। हरियाणा के अलग राज्य बनने पर उसे परिसर में विधानसभा परिषद वाला हाल विधानसभा के लिए दे दिया गया था। तब से हरियाणा विधानसभा सदन की कार्यवाही छोटे से हाल में करता आ रहा है।

पंजाब कर रहा हरियाणा के साथ समझौते की अनदेखी

पंजाब व हरियाणा के बीच नियमानुसार किसी भी इमारत में 60 व 40 के अनुपात में हिस्सेदारी का समझौता है। यह व्यवस्था सिविल सचिवालय में तो अपनाई गई है, लेकिन विधानसभा परिसर में इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

हैरिटेज बिल्डिंग के कारण बंधे हुए हरियाणा के हाथ

विधानसभा परिसर को हैरिटेज का दर्जा मिला हुआ है। इस कारण इमारत के अंदर कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। जगह की कमी के कारण अस्थायी केबिन जरूर बनाए जा सकते हैं। तब चंडीगढ़ प्रशासन अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। इसलिए हरियाणा चाहकर भी अपने हिस्से की बिल्डिंग में अतिरिक्त निर्माण नहीं कर सकता।

हरियाणा और पंजाब के बीच बरसों से चल रहा टकराव

हरियाणा के मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर ने स्वयं पंजाब के पिछले विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल के साथ बैठक कर हरियाणा के लिए जगह मांगी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी तरह तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी संसदीय कार्य मंत्री के आफिस के लिए पंजाब से बात की थी लेकिन, तब भी कोई फायदा नहीं हुआ था। हरियाणा ने कुछ अंदरुनी बदलाव कर संसदीय कार्य मंत्री के लिए कमरा बनवा लिया था।

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