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प्रदूषण के लिए जिम्मेदार इको ग्रीन कंपनी पर अधिकारी और विधायक मेहरबान

गलती कंपनी की और जुर्माने के रूप में राशि हरियाणा सरकार को भुगतनी पड़ रही है। कंपनी को अफसरों व नेताओं का संरक्षण हासिल है। करीब चार हजार करोड़ के बजट के बावजूद सफाई की हालत सुधर नहीं रही है।

By JagranEdited By: Kamlesh BhattPublished: Thu, 29 Sep 2022 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 10:28 AM (IST)
प्रदूषण के लिए जिम्मेदार इको ग्रीन कंपनी पर अधिकारी और विधायक मेहरबान
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के बड़े शहरों में प्रदूषण के लिए सीधे तौर पर इको ग्रीन एनर्जी नाम की कंपनी जिम्मेदार है। इस कंपनी के पास न केवल गुरुग्राम बल्कि फरीदाबाद, लखनऊ व भोपाल समेत कई बड़े शहरों में सफाई का जिम्मा है। यह कंपनी लंबे समय से अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर रही और शहरी निकाय विभाग के अधिकारी आंख बंद किए इस कंपनी को मनमानी करने की इजाजत दे रहे हैं।

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार को सौ करोड़ रुपये का जो जुर्माना लगाया है, उसके लिए भी इको ग्रीन एनर्जी कंपनी ही जिम्मेदार है। गलती इस कंपनी ने की और भुगतना सरकार को पड़ रहा है। बड़ा सवाल य़ह खड़ा हो रहा कि बार-बार गलतियां करने के बावजूद शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों की इस कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है।

बताया जाता है कि इस कंपनी को न केवल अधिकारियों, बल्कि कई राजनेताओं का संरक्षण हासिल है। कंपनी की पहुंच विधानसभा की विभिन्न कमेटियों में कार्यरत विधायकों तक सीधे है, जो चंडीगढ़ में उसकी ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। इन विधायकों ने कंपनी में घुसपैठ करते हुए थोड़े-थोड़े ठेके ले रखे हैं, जिनसे उनकी अतिरिक्त आमदनी का सिस्टम बना हुआ है।

इको ग्रीन कंपनी के पास गुरुग्राम व फरीदाबाद समेत कई शहरों में सफाई का ठेका है, लेकिन यह कंपनी आज तक लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है। कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों का इतना दुस्साहस है कि जब उसके खराब काम की शिकायत की जाती है तो न केवल पार्षदों को धमकाया जाता है, बल्कि लोगों के साथ मारपीट तक की जाती है।

गुरुग्राम नगर निगम के तहत आने वाले एरिया की सफाई समेत अन्य कार्यों के लिए करीब चार हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित है, लेकिन इतने बजट के बावजूद आज तक न तो गुरुग्राम में जल निकासी अवरुद्ध रहने की समस्या का स्थाई समाधान हो पाया है और न ही सफाई का पुख्ता बंदोबस्त हुआ है।

एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पर्यावरणविद विवेक कंबोज, वैशाली राणा चंद्रा और पूनम यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में यहां तक कह दिया कि इको ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड यदि अपना कार्य सही ढंग से नहीं कर रही है तो अनुबंध की शर्तों के मुताबिक कार्रवाई कर एजेंसी को बदल दिया जाए। वैसे ही यह चाइनीज कंपनी है।

अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 जनवरी को होनी है, लेकिन तब तक पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ग्रीन एनर्जी कंपनी के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है, यह देखने वाली बात है। एनजीटी ने गुरुग्राम के बंधवाड़ी सोलिड वेस्ट प्लांट पर कचरा डालने पर प्रतिबंध लगा रखा है। हरियाणा सरकार को आदेश दिए गए हैं कि आसपास कोई वैकल्पिक जमीन तलाश की जाए। यदि कोई प्लांट लगाने की आवश्यकता है तो इनवायरमेंट क्लीयरेंस के चक्कर में नहीं पड़ें। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए नया प्लांट लगाया जाए।

इस आधार पर एनजीटी ने अपनाया सख्त रवैया

एनजीटी ने एक जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने रिपोर्ट दी कि बंधवाड़ी में मौके पर 38 मीटर ऊंचा कचरे का पहाड़ है। वहां 33 लाख टन कचरा पड़ा है। फरीदाबाद से 900 टन प्रतिदिन और गुरुग्राम से 1100 टन प्रतिदिन कचरा पहुंच रहा है। 15 हजार टन प्रतिदिन कचरा निपटान के उपकरण लगाने थे, जिसकी अनुपालना नहीं हुई। दिसंबर 2023 में सारा कचरा ट्रीट करने की बात तो कही जा रही है, लेकिन धरातल पर इस दिशा में कोई काम होता नहीं दिखाई दे रहा है, जिस पर एनजीटी ने सख्त रवैया अपनाया है।


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