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CBI जांच से पहले गुरुग्राम एंबिएंस मॉल को मिली छूट, मनोहर सरकार ने 1975 से कानून बदला

हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन विधेयक 2020 में संशोधन से गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल (Ambience Mall) सहित अन्य बिल्डरों के लाइसेंस में बदलाव को छूट मिल गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 11:22 AM (IST)
CBI जांच से पहले गुरुग्राम एंबिएंस मॉल को मिली छूट, मनोहर सरकार ने 1975 से कानून बदला
CBI जांच से पहले गुरुग्राम एंबिएंस मॉल को मिली छूट, मनोहर सरकार ने 1975 से कानून बदला

चंडीगढ़ [बिजेंद्र बंसल]। गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल (Ambience Mall) सहित अन्य बिल्डरों के लाइसेंस में बदलाव को छूट मिल गई है। हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन विधेयक 2020 में संशोधन के 3ए प्रावधान से अब नगर आयोजना निदेशक को किसी भी भू-खंड में निर्माण के लाइसेंस में बदलाव, संशोधन, निलंबित या लाइसेंस वापस लेने की तारीख 30 जनवरी 1975 से मानी जाएगी।

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गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल का निर्माण भी रिहायशी भू-खंड पर हुआ है। 2001 में आवंटित इस भूखंड में 2010 में बदलाव किया गया था। पहले यह अधिकार नगर आयोजना विभाग के निदेशक को नहीं था। इससे एंबिएंस माॅल सहित ऐसे बदलावों कराने वाले बिल्डरों को भी राहत मिलेगी। विभिन्न सरकारों के कहने पर जिन अधिकारियों ने ये बदलाव किए थे, उन्हें भी राहत मिलेगी।

गुरुग्राम में रिहायशी भू-खंड और भवन निर्माण के लाइसेंस पर एंबिएंस मॉल के निर्माण की जांच कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ कर रही है। सीबीआइ को चूंकि यह जांच छह माह के अंदर पूरी करके कोर्ट को रिपोर्ट देनी है, इसलिए सरकार ने समय रहते हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन अधिनियम 1975 में बदलाव किया है। सीबीआइ ने इस मामले में जांच शुरू भी कर दी है। इसके तहत एंबिएंस मॉल के मालिक राज सिंह गहलोत के घर-संस्थानों पर सीबीआइ जांच कर चुकी है। एंबिएंस माॅल का यह मामला हाईकोर्ट में एक याचिका द्वारा गुरुग्राम के अमिताभ सेन ने उठाया था।

अवैध कॉलोनी पनपने का रास्ता बंद करने को सख्त कानून

रजिस्ट्री घोटाले से सीख लेकर राज्य की भाजपा-जजपा सरकार ने अब कृषि योग्य भूमि पर अवैध कॉलोनियों के पनपने का रास्ता पूरी तरह बंद कर दिया है। रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता के अलावा सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनिमय (द्वितीय संशोधन व विधिमान्यकरण) विधेयक 2020 पारित करा लिया है।

1975 में बने इस कानून के तहत अब तक 2 कनाल (1200 वर्ग गज) कृषि योग्य भूमि से कम की रजिस्ट्री कराने के लिए नगर आयोजना विभाग से अनापत्ति प्रमाण (एनओसी) पत्र लेना होता था। अब एक एकड़ से कम भूमि की रजिस्ट्री कराने के लिए यह एनओसी लेनी होगी। हालांकि किसी भी अदालत से पारिवारिक, विरासत, उत्तराधिकारी की जमीन के बंटवारे या कानूनी आदेश पर एनओसी लेने की छूट होगी। एनओसी की यह छूट उन पुराने भूखंडों पर भी होगी जिनके मालिक अपने पूरे मालिकाना हक को बेच रहे हों।

किसी भू-मालिक की भूमि से सटी एक एकड़ से कम जमीन की खरीददारी के लिए भी एनओसी की जरूरत नहीं होगी। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह संशोधन विधेयक विधानसभा में रखा। उन्होंने यह भी साफ किया कि आवेदन के 14 दिन के अंदर यदि संबंधित विभाग से एनओसी नहीं मिलती है तो भूमि का बिना एनओसी के भी विनिमय हो सकेगा। 

विधानसभा के मानसून सत्र में 13 विधेयक चर्चा के लिए रखे गए और 12 पारित हुए। पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 भी प्रस्तुत किया गया, जिस पर अगले सत्र में चर्चा करने का निर्णय लिया गया। 

संशोधन विधेयकों से बने ये नए कानून 

  • कोविड-19 से चरमराई अर्थव्यवस्था के मद्देनजर ग्रामीण विकास के लिए अब अधिसूचित मार्केट बिकने वाले फल-सब्जी पर एक फीसद ग्रामीण विकास शुल्क लगेगा। 
  • 15 मीटर से ऊंचे भवनों में बिजली गुल होने पर लिफ्ट रुकने से फंसे यात्रियों को निकालने की जिम्मेदारी तय की गई है और बचाव संयंत्र लगाने अनिवार्य किए गए हैं। 
  • 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया, आपदा प्रबंधन अधिनियम, के अनुरूप ही अग्निशमन योजना की मंजूरी के लिए आवेदन हो सकेगा। 
  • अब सामाजिक, धाॢमक, न्यास, सामाजिक संस्थाओं को दो हजार वर्ग गज और नंदीशाला-गोशाला तथा बेसहारा पशुओं के लिए पांच एकड़ तक नगर निगम की भूमि का आवंटन की जा सकेगी। 
  • नवगठित नगर निगम के चुनाव पांच वर्ष छह माह के अंदर अवश्य कराने जरूरी होंगे। 
  • नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका में सीधे चुने गए मेयर,चेयरमैन के खिलाफ चुने हुए पार्षद अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकेंगे। 
  • जिला मुख्यालय पर नगर पालिका की बजाए नगर परिषद होगी,इसके लिए नगर परिषद के लिए तय जनसंख्या का सिद्धांत लागू नहीं होगा।इसके तहत अब नूंह मुख्यालय पर नगर पालिका के स्थान पर नगर परिषद बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। 
  • नगर पालिका और नगर परिषद के कर, उपकर वसूलने के लिए कार्यकारी अधिकारी को ज्यादा अधिकार होंगे। 
  • सिनेमा घरों की तरह डिजीटल नेटवॄकग साइट पर भी मनोरंजन शुल्क अधिनियम, 2019 अधिसूचित किया है

यह 12 विधेयक हुए पारित 

  • हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2020 
  • हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक 2020 
  • हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2020 
  • हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन)विधेयक, 2020 
  • हरियाणा मूल्य वॢधत कर (संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल हैं। 

बिल्डरों में अटके 15 हजार 726 करोड़, सिर्फ 39 के लाइसेंस रद

कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार के 15 हजार 726 करोड़ रुपये पर बिल्डर कुंडली मारे हुए हैं। लंबे समय से बाहरी विकास शुल्क (ईडीसी) तथा राज्य बुनियादी ढांचा विकास शुल्क (एसआइडीसी) जमा नहीं कर रहे बिल्डरों में सिर्फ 39 के लाइसेंस रद किए गए हैं। हालांकि डिफाल्टर बिल्डरों से इस दौरान 675 करोड़ रुपये की वसूली हुई है।

इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला द्वारा पूछे सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से सदन के पटल पर रखे जवाब में बताया गया है कि बिल्डरों पर बाह्य विकास शुल्क के 14 हजार 458 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें आठ हजार 38 करोड़ रुपये की मूल राशि है और एक हजार 660 करोड़ रुपये ब्याज तथा चार हजार 758 करोड़ रुपये जुर्माने के हैं।

इसी तरह बुनियादी ढांचा विकास शुल्क के  818 करोड़ रुपये बिल्डर नहीं दे रहे जिसमें 410 करोड़ रुपये की मूलराशि है और 10 करोड़ रुपये ब्याज तथा 398 करोड़ रुपये जुर्माने के हैं। सितंबर 2018 से ईडीसी के तहत 653 करोड़ रुपये और एसआइडीसी के तहत 24 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। 

मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया है कि डिफाल्टर बिल्डरों पर कार्रवाई की कड़ी में 342 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। बकाया शुल्क जमा नहीं करने वाले बिल्डरों की भवन निर्माण योजना, सेवा योजना के अनुमान, लाइसेंस के नवीनीकरण, कब्जा प्रमाणपत्र, आंशिक समापन प्रमाणपत्र, पूर्णतया समापन प्रमाणपत्र को मंजूरी नहीं दी जा रही। बकाया राशि की वसूली के लिए और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।


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