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GRP सिपाहियों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, मूल काडर में भेजने के आदेश पर रोक बरकरार

हाई कोर्ट ने जीआरपी सिपाहियों को राहत देते हुए उन्हें जीआरपी मूल काडर में भेजने के आदेश पर रोक जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 17 मार्च तक स्थगित कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 05:18 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 05:18 PM (IST)
GRP सिपाहियों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, मूल काडर में भेजने के आदेश पर रोक बरकरार

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जीआरपी सिपाहियों को राहत देते हुए उन्हें जीआरपी मूल काडर में भेजने के आदेश पर रोक जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 17 मार्च तक स्थगित कर दी है। मामले में सरकार ने जवाब दायर करने के लिए कुछ समय देने की मांग की। जिस पर कोर्ट ने सरकार को समय देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

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मामले में सरकार ने हाई कोर्ट में कहा कि यह याचिका खारिज की जाए। इससे पहले हरियाणा के डीआइजी- प्रशासन एसके गुप्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि जीआरपी का एक अलग कैडर होता है, जबकि जिला पुलिस का अलग, इसलिए जीआरपी सिपाहियों को जिला पुलिस में नहीं रखा जा सकता।

डीआइजी ने हाई कोर्ट को बताया कि जीआरपी का अलग कैडर होने के चलते इसके लिए सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक अलग नियुक्ति होती है, लेकिन इंस्पेक्टर पद स्टेट कैडर का पद है। जीआरपी के सिपाही को जिला पुलिस में न तो वरिष्ठता व न ही प्रमोशन दिया जा सकता है। यह दोनो चीज उनको केवल उनके मूल कैडऱ में ही दी जा सकती है।

जिलास्तर पर पुलिस में जीआरपी से काम लेना अनुचित व पुलिस नियम के खिलाफ था, इसलिए इन सभी को उनके मूल कैडर में वापस भेजा जा रहा है। इनके नियुक्ति में यह साफ है कि इनकी नियुक्ति जीआरपी के लिए हो रही है। ऐसे में जिला पुलिस में इनकी तैनाती गलत है।

बता दें, वर्ष 2004 में हरियाणा में जीआरपी के 350 पदों पर हुई भर्ती में घोटाले को लेकर हाई कोर्ट मेंं लंबे समय तक सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया था कि इन कांस्टेबलों को विभिन्न जिलोंं में भेज दिया गया है। इसके बाद सरकार ने कहा था कि अपराधिक मामले में किसी भी कांस्टेबल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था, जिस कारण सरकार उन्हें नौकरी से नहीं हटा सकती है।

वहीं डीजीपी ने गत 3 जनवरी को एक आदेश जारी कर इन सभी को वापस जीआरपी मेंं भेजने के ओदश जारी कर दिए। इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा वे वर्ष 2006 से जिलों में ड्यूटी दे रहे हैं और विभिन्न प्रमोशन के कोर्स भी कर चुके हैं। इतने लंबे समय बाद उन्हें वापस मूल विभाग में भेजना उनके साथ अन्याय होगा और उनके करियर के लिए सही नहीं रहेगा। हाई कोर्ट ने याची पक्ष को सुनने के बाद हरियाणा सरकार व डीजीपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही अगली सुनवाई तक डीजीपी के आदेश पर भी रोक लगा दी थी।

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