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हरियाणा में सात वर्ष में 7% बढ़ा बाल विवाह का ग्राफ, कच्ची उम्र में गर्भवती हो रही बालिका वधू

हरियाणा में पिछले सात वर्ष में बाल विवाह का ग्राफ सात प्रतिशत बढ़ा है। इके कारण लड़कियां कच्ची उम्र में गर्भवती हो रही हैं। राज्य में किशोर गर्भधारण के मामले 3.5 प्रतिशत से बढ़कर पहुंचे 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गए हैं।

By Sudhir TanwarEdited By: Kamlesh BhattPublished: Thu, 06 Oct 2022 09:57 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 09:57 AM (IST)
हरियाणा में बाल विवाह का ग्राफ बढ़ा। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में कोरोना काल में बाल विवाह में बढ़ोतरी के कारण किशोरियों के कच्ची उम्र में गर्भवती होने के मामले बढ़े हैं। पिछले सात वर्षों में बाल विवाह का ग्राफ सात प्रतिशत बढ़ा है तो किशोरियों के गर्भधारण में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

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खासकर देश के अत्यधिक पिछड़े क्षेत्रों में शामिल मेवात और हिसार में बाल विवाह के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। बाल विवाह पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक मेवात और हिसार में बाल विवाह और कम उम्र में किशोरियों के गर्भधारण के अधिकतर मामले गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों से जुड़े हैं। इनमें कई जातियां ऐसी हैं जिनमें बाल विवाह की परंपरा है।

यहां वर्ष 2020 के बाद बाल विवाह में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2015-2016 में बाल विवाह की दर 12.5 प्रतिशत थी जो 2019-20 में बढ़कर 19.4 प्रतिशत हो गई। अगले साल में यह दर लगभग समान रही।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2019 में बाल विवाह के 20 मामले सामने आए थे जो 2020 में बढ़कर 33 पर पहुंच गए। इसके अगले साल भी बाल विवाह के 33 केस दर्ज किए गए।

नाबालिग बच्चियों को खरीदकर यहां लाने और शादी करने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं, बच्चों की तस्करी का धंधा भी लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में बच्चों की तस्करी के छह मामले सामने आए थे जिनमें तीन लड़कियां और तीन लड़के थे।

वर्ष 2020 में यह ग्राफ बढ़कर सात पर पहुंच गया। बाक्सबच्चों की तस्करी तीन गुणा बढ़ीवर्ष 2021 में बच्चों की तस्करी में तीन गुणा बढ़ोतरी हो गई जब बच्चों की चोरी के 21 मामले सामने आए। इनमें 20 लड़कियां और एक लड़का शामिल हैं। इसी तरह बच्चों की गुमशुदगी में भी बढ़ोतरी हुई है।

पिछले तीन सालों में बच्चों के लापता होने के मामले 17 प्रतिशत बढ़े हैं। वर्ष 2019 में बच्चों के गुम होने के 2815 मामले सामने आए, जबकि 2021 में 2343 केस दर्ज हुए।

पोस्को एक्ट के तहत दर्ज केस

वर्ष                मामले

2019           2074

2020          1853

2021          2249


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