Move to Jagran APP

एनसीआर में शामिल जिलों में एक पखवाड़े पहले ही लागू हुआ ग्रेप, उद्योगपति बोले- इंडस्ट्री को होगा नुकसान

एनसीआर में एक पखवाड़े पहले यानी 15 अक्टूबर के बजाय 1 अक्टूबर से ही ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) सख्ती से लागू हो गया है। इसका उद्योग-धंधों पर असर पड़ना तय है। उद्योगपति जनरेटर सेट तक नहीं चला सकेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Kamlesh BhattPublished: Sun, 02 Oct 2022 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 08:04 PM (IST)
एनसीआर में एक पखवाड़े पहले लागू हुआ ग्रेप। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) को वायु प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के नाम पर ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) सख्ती से लागू हो गया है। इस साल ग्रेप को लागू करने में कुछ नियमों में बदलाव किया गया है। सबसे पहला और बड़ा बदलाव तो यह है कि हर साल ग्रेप को 15 अक्टूबर से लागू किया जाता था, लेकिन इसे 15 दिन पहले यानी पहली अक्टूबर से ही एनसीआर में लागू कर दिया गया है।

loksabha election banner

एनसीआर के दायरे में आने वाले हरियाणा के पांच जिलों के उद्यमियों में इन नियमों के लागू होने पर आक्रोश है। ग्रेप के नियम लागू होते ही उद्यमी जनरेटर तक नहीं चला सकेंगे। इसका परिणाम यह होगा कि नियमित बिजली नहीं मिलने की स्थिति में फैक्ट्रियां बंद होने की स्थिति में पहुंच जाएंगी और उद्यमियों को भारी नुकसान होगा।

उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर ग्रेप लागू होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उद्यमियों को होने वाले नुकसान की जानकारी दी है। जैन ने कहा कि कोयला आधारित उद्योग एवं 100 केवीए से अधिक क्षमता वाले जनरेटर से चलने वाले उद्योगों पर बंद होने की तलवार लटक गई है।

इसके मद्देनजर उद्यमियों को ग्रेप के नियम लागू करने के लिए समय सीमा में राहत दी जानी चाहिए। कमीशन आफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) के इन आदेश से उद्योगपतियों में हड़कंप मचा हुआ है और सभी उद्योग बर्बाद होने से नहीं बच सकेंगे।

बायलर को एक दम पीएनजी गैस पर शिफ्ट करना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें एक वर्ष या दो वर्ष का समय दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही एक करोड रुपये जुर्माना या जुर्माना न भरने पर पांच वर्ष की सजा का प्रविधान भी तर्कसंगत नहीं है।

ग्रेप के लागू होने के बाद बड़ी सोसाइटियों, अस्पताल, होटलों में लगे एस्केलेटर और लिफ्ट को चलाने के लिए सिर्फ दो घंटे ही डीजल जनरेटर चलाने की छूट होगी। जैसे-जैसे एक्यूआइ बढ़ेगा वैसे-वैसे पाबंदियां और भी बढ़ती जाएंगी।

औद्योगिक इकाइयां चाहती हैं कि उन्हें डीजल जनरेटर सेट चलाने की छूट दी जाए अन्यथा उन पर विपरीत असर पड़ेगा। एक्यूआइ 300 से अधिक होने पर सीएनजी, पीएनजी और एलपीजी जनरेटर के संचालन पर ही छूट रहेगी। साथ ही ऐसे जनरेटर जिनमें आरइसीडी और ड्यूल फ्यूल किट लगी है, उन्हें चलाने पर छूट रहेगी। दोनों डिवाइस के लगने से डीजल इंजन से प्रदूषण 90 प्रतिशत कम हो जाता है।

ग्रेप लागू होने से यह रहेगी सख्ती

ग्रेप लागू होने के बाद कूड़ा जलाने पर पूरी तरीके से रोक रहेगी और कूड़ा जलाने वाले पर जुर्माना लगाया जाएगा। निर्माण सामग्री को ढक कर रखना होगा। सड़कों को नियमित रूप से मशीन से सफाई कर पानी का छिड़काव करना होगा। निमार्णाधीन साइट पर एंटी स्माग गन लगानी होगी।

एक्यूआइ 400 के ऊपर पहुंचने पर निर्माण और ध्वस्तीकरण का काम बंद कर दिया जाएगा। इसके साथ साथ होटल व ढाबों में तंदूर, लकड़ी व कोयले का उपयोग ईंधन के रूप में करने पर पाबंदी होगी। अस्पताल में से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करना होगा।

सीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने पीएनजी गैस के बायलर चलाने के लिए प्रशिक्षित लेबर उपलब्ध है। एपीएम सीधा 800 से 80 पर लाना संभव एवं व्यावहारिक नहीं है। जैन ने एनसीआर के सभी सांसदों से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के सामने पुरजोर पैरवी करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.