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आढ़तियों का दबाव नहीं मानेगी सरकार, आगे भी फसलों की पेमेंट सीधे किसानों के खाते में

आढ़तियों के भारी दबाव के बावजूद हरियाणा सरकार अपने कदम वापस नहीं खीचेगी और किसानों को फसलों का सीधा भुगतान जारी रहेगा। आगे भी फसलों की पेमेंट किसानों के खातों में सीधे जाएगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 08:59 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 08:59 AM (IST)
आढ़तियों का दबाव नहीं मानेगी सरकार, आगे भी फसलों की पेमेंट सीधे किसानों के खाते में

चंडीगढ़, जेएनएन। पिछले तीन सालों से किसानों की फसल का भुगतान सीधे उनके खातों में डालने का प्रयास कर रही हरियाणा सरकार इस बार आढ़तियों के दबाव में नहीं आएगी। गेहूं के भुगतान में देरी को आधार बनाते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि इस बार धान की फसल का पूरा भुगतान सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा। यानी इस बार फसल की भुगतान प्रक्रिया से आढ़ती पूरी तरह बाहर होंगे।

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कोरोना महामारी के चलते गेहूं भुगतान को लेकर मजबूरी में थ्री-टायर सिस्टम अपनाना पड़ा था सरकार को

हरियाणा सरकार इसी बार से गेहूं का भुगतान सीधे किसानों के खाते में डालना चाहती थी, लेकिन आढ़ती ऐसा नहीं करने पर अड़ गए। उन्होंने दलील दी कि निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए आढ़तियों ने किसानों को काफी कर्ज दे रखा है। यदि किसानों को सीधे पेमेंट चली गई तो वह आढ़तियों का पैसा लौटाने में आनाकानी कर सकते हैं। चूंकि कोरोना महामारी का दौर था और सरकार आढ़तियों के साथ किसी तरह का विवाद नहीं चाहती थी, लिहाजा आढ़तियों की बात मान ली गई।

प्रदेश सरकार ने गेहूं के भुगतान के लिए इस बार थ्री-टायर सिस्टम अपनाया। गेहूं का भुगतान पहले आढ़ती के पास गया। फिर आढ़ती ने किसान से अपने कर्ज की कटौती के लिए सहमति ली। इस सहमति के बाद पैसा काटकर बाकी भुगतान आढ़ती ने वापस सरकार के पूल में भेजा। फिर पूल (प्राइवेट एजेंसी) के जरिये यह पैसा किसान के खाते में गया। इससे भुगतान में काफी देरी हुई है। प्रदेश सरकार अभी तक आढ़तियों को साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है, लेकिन अभी भी 2900 करोड़ रुपया ऐसा है, जो किसानों के खाते में नहीं पहुंचा है, जिसके ब्याज समेत भुगतान के लिए सरकार इन आढ़तियों को अब नोटिस देने जा रही है।

मंडी से मिल तक धान पहुंचाने की निगरानी प्राइवेट ट्रांसपोर्टर करेगा, घोटाले रोकने को वाहन में लगेगा जीपीएस

हरियाणा सरकार ने अब धान की फसल के भुगतान के लिए किसी तरह के दबाव में नहीं आने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और कृषि मंत्री जेपी दलाल से सहमति के बाद खाद्य एवं आपूॢत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि इस बार धान की फसल का पूरा पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा। यदि आढ़ती किसी तरह का विरोध करते हैं तो उससे निपटने की पूरी तैयारी सरकार की है। सरकार इस बार भी गेहूं की खरीद के लिए किसान संगठनों व नए युवाओं को खड़ा करने के लिए तैयार हो गई थी।

मंडी से मिल तक ट्रांसपोर्टर पहुंचाएंगे धान, वाहन में लगेगा जीपीएस

हरियाणा सराकर ने पिछली बार हुए धान घोटाले से सबक लेते हुए इस बार पारदर्शीता बनाए रखने की भी रणनीति तैयार की है। पिछली बार आढ़तियों ने धान की फसल आने से पहले ही उसे खरीदी हुई दिखा दिया और बाद में उसकी पूॢत करने की कोशिश की, लेकिन फिजिकल वैरीफिकेशन में यह घोटाला पकड़ा गया, जिसके बाद मिलों से 90 करोड़ रुपये की वसूली भी की गई। इस बार धान की खरीद के बाद उसे मंडी से मिल कंपाउंड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिलरों की नहीं होगी।

इसके लिए राज्य सरकार ट्रांसपोर्टरों को हायर करेगी। इसके बावजूद यदि कोई त्रुटि रहती है तो उसे दूर करने की कार्य योजना तैयार की जाएगी। खाद्य एवं आपूॢत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि मंडी से मिल तक माल पहुंचाने के लिए जिन ट्रांसपोर्टरों को जिम्मेदारी दी जाएगी, उन्हेंं वाहन में जीपीएस सिस्टम लगाने को कहा जाएगा, ताकि सरकार भी उसकी निगरानी करती रहे।

चना, बाजरा, सरसों और सूरजमुखी का भुगतान सीधे तो धान का क्यों नहीं

हरियाणा के कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि प्रदेश सरकार ने इस बार गेहूं की पेमेंट का जो सिस्टम अपनाया, उससे किसानों के मन में संतोष नहीं हुआ। किसानों को बाजरा, सरसों, चना और सूरजमुखी की फसल का भुगतान सीधे उनके खातों में दिया जा रहा है तो फिर धान की फसल का भुगतान क्यों नहीं दिया जा सकता। खाद्य एवं आपूॢत सचिव पीके दास के अनुसार प्रदेश सरकार को गेहूं के भुगतान के लिए थ्री-टायर मैकेनिज्म इस बार मजबूरी में अपनाना पड़ा था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

आढ़तियों व किसानों के रिश्ते खराब करना चाह रही सरकार : गर्ग

हरियाणा व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग का कहना है कि सरकार आढ़तियों व किसानों के बरसों से चले आ रहे रिश्तों को खराब करना चाहती है। आढ़ती हमेशा से ही किसानों का एटीएम रहे हैं। किसानों की हर जरूरत को समय-समय पर आढतियों ने पूरा किया है। आढ़ती से लिए जाने वाले पैसे को किसान साल भर इस्तेमाल करते हैं और फसल पर थोड़ा थोड़ा कटवाते हैं। जब सरकार किसानों को सीधे पेमेंट देने लगेगी तो आढ़तियों के सामने अपने पैसे वापसी को लेकर काफी संकट खड़ा हो जाएगा। यह स्थिति किसी सूरत में ठीक नहीं है।


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