मकान देने की नीति तैयार, सरकार करेगी पीपीपी माडल से सपना साकार
जल्द ही लोगों का अपने घर का सपना साकार होगा। पीपीपी माडल के तहत कालोनियां विकसित की जाएंगी। लाभार्थी को प्रारंभिक दौर में लीज तो 15 साल बाद मालिकाना हक दिया जाएगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर लंबे समय से झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे लोगों को आवासीय कालोनी बनाकर मकान देने की नीति तैयार की जा रही है। नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में ऐसे हजारों लोगों को सरकार निजी-सार्वजनिक (पीपीपी) भागीदारी की तर्ज पर कालोनी विकसित कर छत मुहैया कराएगी। शुरू में लीज पर तो 15 साल बाद लाभार्थी को मकान का मालिकाना हक दिया जाएगा।
कालोनी निर्माण शुरू होने से लेकर उसके पूरा होने तक ठेकेदार अथवा बिल्डर ऐसे लाभार्थियों को मासिक किराया देंगे, ताकि वे अस्थायी तौर पर अपना रिहायशी बंदोबस्त कर सकें। इससे गरीब व जरूरतमंद लोगों को जहां आवास मिलेगा, वहीं जमीनों की कमी से जूझ रही सरकार को कब्जे वाली जमीनें खाली कराने में मदद मिलेगी।
शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन के अनुसार शहरों में सरकारी जमीन पर अवैध बस्तियों में रहने वाले लोगों को उसी स्थान पर आवासीय कालोनी विकसित करने की नीति तैयार की गई है। इन लोगों को मकान देने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इन कालोनियों में आवास की क्षमता और उनके निर्माण के संबंध में दिशा-निर्देश बाद में तय किए जाएंगे।
मकान बनने तक एक से तीन हजार रुपये मासिक किराया
निकाय मंत्री के मुताबिक ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत ठेकेदार बिल्डर का चयन किया जाएगा, जो प्रोजेक्ट शुरू करने से लेकर उसके पूरा होने तक योजना के लाभार्थियों को मासिक किराये का भुगतान करेंगे। गुरुग्राम व फरीदाबाद नगर निगम में प्रति परिवार तीन हजार रुपये, जबकि अन्य नगर निगम में प्रति परिवार दो हजार रुपये, नगर परिषद में 1500 रुपये और नगर पालिका में एक हजार रुपये मासिक किराये का भुगतान किया जाएगा।
समितियां करेंगे निगरानी
मंत्री कविता जैन के अनुसार लाभार्थी को आवास मुहैया कराने की प्रक्रिया की निगरानी नगर निगम में आयुक्त और नगर परिषद व पालिकाओं में उपायुक्त की अध्यक्षता में समितियां करेंगी। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संबंधित पालिका आवासीय कालोनी में आवासीय कल्याण संघ (आरडब्ल्यूए) की स्थापना करवाएगी, जो आवासीय परिसर से संबंधित रखरखाव की जिम्मेदारी निभाएगी। इस परिसर में व्यवसायिक परिसर निर्माण की बिक्री ठेकेदार अथवा बिल्डर अपने स्तर पर करेगा।
लीज व मालिकाना हक के लिए भी राशि तय
कविता जैन के अनुसार अलाटमेंट प्रक्रिया के तहत प्रत्येक लाभार्थी को अलॉट आवास की लीज के लिए गुरुग्राम-फरीदाबाद निगम में 20 हजार रुपये, अन्य नगर निगमों में 15 हजार रुपये, परिषद में 12 हजार और पालिका में 10 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। प्रत्येक लाभार्थी को 15 साल के बाद मालिकाना हक पाने के लिए गुरुग्राम व फरीदाबाद निगम में एक लाख रुपये, अन्य नगर निगमों में 75 हजार रुपये, नगर परिषद में 50 हजार और पालिका में 25 हजार रुपये का भुगतान करना होगा।
यह भी पढ़ेंः गरीबी में तपकर कुंदन बनी ये बेटियां, आज देश विदेश में कमा रही नाम