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विस में मंत्री विज के साथ खड़ी नजर आई पूरी सरकार

करीब 23 साल बाद पहली बार शुरू हुए हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंत्री विज -महिला एसपी विवाद की खूब गूंज रही। पूरी भाजपा सरकार जहां मंत्री अनिल विज के समर्थन में खड़ी नजर आई, वहीं ब्यूरोक्रेसी के प्रति सरकार ने अपना रवैया सख्‍त बताया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 06:53 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 07:18 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। करीब 23 साल बाद पहली बार शुरू हुए हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंत्री विज -महिला एसपी विवाद की खूब गूंज रही। पूरी भाजपा सरकार जहां मंत्री अनिल विज के समर्थन में खड़ी नजर आई, वहीं ब्यूरोक्रेसी के प्रति सरकार ने अपना रवैया सख्त बताया।

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हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गूंजा मंत्री-एसपी विवाद

इस विवाद में सत्तारूढ़ भाजपा को न केवल प्रमुख विपक्षी दल इनेलो का समर्थन हासिल हुआ, बल्कि आजाद विधायक तक सरकार के पाले में खड़े नजर आए। दस साल तक सत्ता चला चुकी कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई।

भाजपा सरकार ने दिए ब्यूरोक्रेसी के प्रति भविष्य में और कड़े फैसलों के संकेत

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने मंत्री की पीठ ठोंकते हुए साफ कह दिया कि अफसर की कोई जाति या लिंग नहीं होता। उन्हें चेयर का सम्मान तो हर हाल में करना ही पड़ेगा। सदन में मुख्यमंत्री के इस रुख से साफ हो गया कि सरकार ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसने को लेकर खासी गंभीर है।

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल।

विधानसभा में मंत्री-एसपी विवाद पर करीब एक घंटे तक गर्मा-गर्मी होती रही। विवाद को जातीय रंग देने के कांग्रेस के प्रयास सिरे नहीं चढ़े। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने प्रश्नकाल के तुरंत बाद फतेहाबाद की पूर्व एसपी संगीता कालिया को दलित और महिला बताते हुए उनके अपमान का मुद्दा उठाया। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सफाई देनी चाही तो कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, कर्ण सिंह दलाल, आनंद सिंह दांगी और राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी में जमकर बहस हुई।

विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि ऐसे मुद्दे पर चर्चा सदन का समय बर्बाद करने से अधिक कुछ नहीं है। गीता भुक्कल ने मंत्री विज को गब्बर बताते हुए उनसे एसपी से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगने का आग्रह किया। इस पर सदन में हंगामा हो गया। पूरे मामले में मुख्यमंत्री का रुख सामने आने के बाद यह मुद्दा शांत पड़ गया।

जब स्पीकर ने की मंत्री की तरफदारी

विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर ने विज का समर्थन करते हुए कहा कि मंत्री की ड्यूटी जनहित साधने की है। यदि उनके सामने कोई शिकायत आई है तो उसका समाधान करना उनकी ड्यूटी बनती है। वे अफसरों को कोई भी निर्देश दे सकते हैैं।

एसपी के खिलाफ दर्ज हो सकता है मुकदमा

मंत्री विज ने सदन में कहा कि वे सरकार का हिस्सा हैं और उनके सामने ही एसपी ने शिकायकर्ताओं को धमकाया है, जिस पर उनके खिलाफ मुकदमा तक दर्ज हो सकता है पर मैंने ऐसा नहीं किया।

सीएम बोले, हमने तो सिर्फ ट्रांसफर किया कोई सजा नहीं दी

मुख्यमंत्री ने सदन में यहां तक कहा कि सरकार ने एसपी का ट्रांसफर किया है, उन्हें कोई सजा नहीं दी। इसलिए पूरे मामले को जातियों के आधार पर बांटकर देखना उचित नहीं है। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि सदन की कार्यवाही स्पीकर की आज्ञा के विपरीत चलेगी तो क्या वे अपने मार्शलों की मदद से अमर्यादित आचरण करने वालों को बाहर नहीं निकलवा देंगे।


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