बोर्ड के खराब परीक्षा परिणाम पर भुक्कल ने शिक्षा मंत्री को घेरा, कहा- शिक्षा पर न हो राजनीति
हरियाणा में खराब रिजल्ट पर पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने सरकार को घेरा। भुक्कल ने दसवीं का रिजल्ट खराब रहने के आधा दर्जन कारण गिनाए।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने दसवीं के खराब रिजल्ट पर हैरानी जताते हुए राज्य की भाजपा सरकार को इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता में आए चार साल बीत गए। इन चार सालों में भी भाजपा ने शिक्षा की स्थिति को बदतर कर दिया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री जिम्मेदार हैैं।
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा अक्सर कहते हैैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल में खामियां थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी ऐसी ही भाषा बोलते हैैं। अब उन्हें समझ लेना चाहिए कि पिछली सरकार को गए चार साल हो गए। इन चार सालों में भाजपा ने क्या कुछ किया है। उन्हें अपनी उपलब्धि के बारे में बताना चाहिए।
गीता भुक्कल ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में समस्त शिक्षक आंदोलनरत रहे। शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम लिए गए। नए दाखिले कराने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुए। करीब 600 स्कूल बंद कर दिए गए। एक भी नया माडल स्कूल नहीं खोला गया। पहले मासिक टेस्ट होते थे, जिन्हें बंद कर दिया गया है। सेमेस्टर प्रणाली बंद हो चुकी है। हमने आठवीं का बोर्ड शुरू करने की सिफारिश की थी, जिसे आज तक लागू नहीं किया गया है, जबकि शिक्षा मंत्री विधानसभा में कहते थे कि बोर्ड दोबारा शुरू किया जाएगा।
गीता भुक्कल ने कहा कि शिक्षा पर राजनीति करना उचित नहीं है। दसवीं की परीक्षा में 50 फीसदी बच्चों का पूरी तरह से फेल हो जाना इस बात का परिचायक है कि सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हो चुकी, क्योंकि शिक्षा व स्वास्थ्य दो क्षेत्र ऐसे हैैं, जिन पर काम करने की जरूरत होती है और दोनों ही क्षेत्र अनदेखी के शिकार हैैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि हम गीता पढ़ाने के विरोधी नहीं हैैं, लेकिन बच्चों को शिक्षा का बंदोबस्त करना भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ग्रामीण बच्चों का रिजल्ट इसलिए अधिक रहा, क्योंकि वे हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से पढ़े, जबकि शहरी बच्चों का रिजल्ट इसलिए खराब था, क्योंकि उनका बोर्ड से कोई ताल्लुक नहीं था। इसलिए ग्रामीण बच्चों के अधिक रिजल्ट का दावा करते हुए सरकार अपनी खामियां नहीं छिपा सकती।
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