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हरियाणा में करोड़ों के Post Metric Scholarship Scam में 12 अफसर-कर्मचारियों पर FIR

राज्य सतर्कता ब्यूरो ने Post Metric Scholarship Scam में दो तत्कालीन उप निदेशकों के साथ ही अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के 12 कर्मचारियों पर FIR दर्ज कराई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 10:42 AM (IST)
हरियाणा में करोड़ों के Post Metric Scholarship Scam में 12 अफसर-कर्मचारियों पर FIR

जेेेेेेएनएन, चंडीगढ़। Post Metric Scholarship Scam में राज्य सतर्कता ब्यूरो ने दो तत्कालीन उप निदेशकों के साथ ही अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के 12 कर्मचारियों पर FIR दर्ज कराई है। हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी और चरखी दादरी जिलों में हुई जांच के बाद हिसार स्थित विजिलेंस थाने में यह केस दर्ज किए गए हैं। आरोप है कि स्कॉलरशिप घोटाले में इनकी अहम भूमिका रही।

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एससी-बीसी वेलफेयर डिपार्टमेंट के जिन अफसरों पर केस दर्ज हुआ है, उनमें एक्स डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार (चंडीगढ़ मुख्यालय) और राजिंद्र सिंह (चंडीगढ़ मुख्यालय) के अलावा सेवानिवृत्त जिला कल्याण अधिकारी बलवान सिंह शामिल हैं। इसके अलावा भिवानी में रहे पंचकूला के जिला कल्याण अधिकारी विनोद कुमार चावला, भिवानी में रहे नारनौल के जिला कल्याण अधिकारी सुरेश कुमार, चंडीगढ़ मुख्यालय में कार्यरत निलंबित सहायक बिलेंद्र सिंह और सोनीपत जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय के निलंबित लेखाकार कम लिपिक सुरेंद्र कुमार शामिल हैं।

साथ ही विभाग के ही तेजपाल, अरविंद सांगवान, राजकुमार, अशोक कुमार और सुनील कुमार पर FIR दर्ज कराई गई है। तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार और राजेंद्र सांगवान, सहायक बलेंद्र सिंह, लेखाकार सुरेंद्र कुमार और रिटायर्ड जिला कल्याण अधिकारी बलवान सिंह का नाम रोहतक में दर्ज हो चुकी FIR में भी शामिल है।

राज्य सतर्कता ब्यूरो की ओर से इससे पहले रोहतक, सोनीपत व झज्जर जिले में हुए घोटाले को लेकर रोहतक विजिलेंस थाना और यमुनानगर में मिले फर्जीवाड़ा को लेकर पंचकूला विजिलेंस थाने में FIR दर्ज कराई जा चुकी है। जांच में अभी तक इन जिलों में 26 करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आ चुका है, जबकि अन्य जिलों में जांच अभी चल रही है।

तत्कालीन निदेशक संजीव वर्मा ने किया था घोटाले का खुलासा

पिछले साल विभाग विभाग के तत्कालीन निदेशक संजीव वर्मा ने छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था जिसके तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े। शुरुआत में संजीव वर्मा की शिकायत को हल्के में लिया गया था, लेकिन जब उन्होंने धरने पर बैठने की धमकी दी तो चंडीगढ़ में पहली FIR दर्ज हुई। हालांकि बाद में वर्मा को विभाग से हटा दिया गया, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पूरा मामला विजिलेंस को सौंप दिया था।

तीन सालों में दी गई छात्रवृत्ति की जांच

विजिलेंस की ओर से वर्ष 2016-17 से लेकर 2018-19 तक छात्रों को दी जा रही स्कॉलरशिप की जांच की जा रही है। बताया जाता है कि छात्रों के आधार नंबर बदलकर यह फर्जीवाड़ा किया गया और कई फर्जी छात्रों के नाम स्कॉलरशिप जारी की गई।

बता दें कि अनुसूचित जाति के लाभपात्रों को 230 से 1200 रुपये प्रतिमाह तक छात्रवृति और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। इसी प्रकार पिछड़े वर्ग के छात्रों को 160 से 750 रुपये तक प्रतिमाह और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। वर्ष 2017-18 से टयूशन फीस का 25 फीसद या 5 हजार रुपये में से जो भी कम है, दिया जाता है। वर्ष 2016 से ऑनलाइन छात्रवृत्ति कर दी गई जिसके बाद पूरा खेल उजागर हो गया।

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