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हरियाणा में ITI में Contract Employees को नौकरी पर लगाने में खेल, DC Rate देकर वापस लिया जा रहा एक हिस्सा

हरियाणा में आइटीआइ में ठेका कर्मचारियों को लगाने के नाम पर खेल चल रहा है। आइटीआइ कर्मियों को डीसी रेट देकर एक हिस्सा वापस लिया जा रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 04:29 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 04:34 PM (IST)
हरियाणा में ITI में Contract Employees को नौकरी पर लगाने में खेल, DC Rate देकर वापस लिया जा रहा एक हिस्सा
हरियाणा में ITI में Contract Employees को नौकरी पर लगाने में खेल, DC Rate देकर वापस लिया जा रहा एक हिस्सा

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की आइटीआइ में ठेका कर्मचारियों को नौकरी पर लगाने के नाम पर मोटी रकम वसूलने और सरकार द्वारा निर्धारित डीसी रेट देकर एक हिस्सा वापस लेने का खेल चल रहा है। ठेका कर्मचारियों द्वारा शिकायत करने के बाद इस पर अंकुश लगाने के बजाय ऐसे कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। इस गोरखधंधे में सर्विस प्रोवाइडर (ठेकेदार) व विभागीय अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।

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सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष सुभाष लांबा के अनुसार कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के मंत्री मूलचंद शर्मा को पत्र लिखकर मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की गई है। उच्चस्तरीय जांच कराने पर काफी बड़ा घोटाला सामने आएगा। तब तक नौकरी से निकाले गए सभी ठेेेका कर्मचारियों को वापस सेवा में लिया जाना चाहिए। पत्र में ठेकेदार को बीच से हटकर ठेका कर्मचारियों को सीधा विभाग के पे रोल पर लेने, समान काम समान वेतन और सेवा सुरक्षा प्रदान करने की की भी मांग की गई है।

सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि प्रदेश की आइटीआइ में 1240 ठेका कर्मचारी आउटसोर्सिंग पॉलसी-वन के अंतर्गत सफाई कर्मचारी व माली के पदों पर काम कर रहे है। इन कर्मचारियों का ठेकेदार सर्विस प्रोवाइडर (ठेकेदार) विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर भारी आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैंं।

इन कर्मचारियों ने सर्व कर्मचारी संघ को बताया है कि श्रम आयुक्त हरियाणा द्वारा 21 अक्टूबर 2010 को जारी पत्र की उल्लंघना कर हर साल ठेका बदलने पर कर्मचारियों के एक हिस्से को हटाकर मोटी रकम लेकर नए कर्मचारियों को लगाया जाता है, जबकि श्रम आयुक्त के पत्र में स्पष्ट निर्देश हैं कि ठेकेदार बदल जाने पर भी पुराने कर्मचारियों को काम पर लगाना आवश्यक है।

सुभाष लांबा के अनुसार एक तो वेतन समय पर नहीं मिलता, दूसरा बैंक में पूरा वेतन जमा करवाकर उसकी करीब आधी राशि वापस ले ली जाती है। विरोध करने पर उन ठेका कर्मचारियों को काम से हटा दिया जाता है। ईपीएफ व इएसआइ में भी भारी अनियमितता है। अवकाश वाले दिन भी कर्मचारियों को बुलाकर काम लिया जाता है।

सर्विस प्रोवाइडर व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कर्मचारियों के शोषण के साथ सरकार के खजाने को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ठेका जितने कर्मचारियों का होता है, उससे कम कर्मचारी काम पर लगाए जाते है। काम करने के लिए औजार तक के पैसों की भरपाई कर्मचारियों से की जाती है। हरियाणा के कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री मूलचंद शर्मा का कहना है कि यदि कोई शिकायत मिलती है तो वह पूरे मामले की जांच को तैयार हैं।


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