आबकारी पॉलिसी घोषित: देसी शराब दस रुपये महंगी, अंग्रेजी का फैसला शराब निर्माताओं पर
हरियाणा ने छह हजार करोड़ के राजस्व लक्ष्य के साथ नई आबकारी एवं कराधान पॉलिसी घोषित कर दी है। देशी शराब पर आबकारी टैक्स 28 फीसद से बढ़ाकर 44 फीसद किया गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। छह हजार करोड़ के राजस्व लक्ष्य के साथ हरियाणा सरकार ने नई आबकारी एवं कराधान पॉलिसी घोषित कर दी है। अंग्रेजी शराब को बढ़ावा देने के लिए देसी शराब जहां दस रुपये महंगी कर 140 रुपये की गई है, वहीं इस पर आबकारी टैक्स को 28 फीसद से बढ़ा कर 44 फीसद प्रति लीटर कर दिया गया है।
अंग्रेजी शराब की कीमत बढ़ाने का फैसला शराब कारोबारियों पर रहेगा। हालांकि विदेशी शराब पर आबकारी कर की वर्तमान दर 44 से 200 फीसद को बढ़ाकर 49 से 210 फीसद प्रति लीटर किया गया है। शराब ठेकेदार चाहें तो देसी शराब का दस फीसद कोटा कम कर अंग्रेजी शराब का हिस्सा बढ़ा सकते हैं।
आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सोमवार को पत्रकारों के समक्ष नई आबकारी एवं कराधान पॉलिसी का खुलासा किया। सरकार ने दो साल के लिए शराब ठेके देने के बजाय पहले की तरह एक साल के लिए ही ठेकों की नीलामी करने का फैसला किया है।
देसी और अंग्रेजी शराब के कोटे में पचास-पचास लाख प्रूफ लीटर का इजाफा हुआ है। देसी शराब का कोटा एक हजार लाख प्रूफ लीटर और अंग्रेजी का 600 लाख प्रूफ लीटर रहेगा। शराब ठेकों की संख्या पिछले साल की तरह 2323 के आसपास ही रहेगी। देसी शराब के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्सपोर्ट ड्यूटी को 1.5 फीसद से घटाकर 0.50 फीसद किया गया है।
ठेकों की ई-नीलामी के लिए पूरे प्रदेश को छह जोन में बांटा गया है। रेस्टोरेंट और होटलों के लिए लाइसेंस फीस पिछले साल की तरह रहेगी। गुरुग्राम, फरीदाबाद और पंचकूला के बाद अब गुरुग्राम स्थित मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में भी पब लाइसेंस दिए जाएंगे। इस क्षेत्र में जापानी लोगों की बहुतायत है जिसके चलते सरकार के पास पब बार खोलने के लिए विशेष मांग आई थी।
ग्रामीण क्षेत्र में गोल्फ क्लब में शराब बिक्री के लिए भी लाइसेंस मिलेगा। बैंक्वेट हाल में आयोजित समारोह के दौरान शराब परोसने के लिए अब ऑनलाइन आवेदन होंगे। पंजीकृत बैंक्वेट के लिए पांच हजार और अपंजीकृत बैंक्वेट के लिए एक दिन का शुल्क दस हजार रुपये रखा गया है।
पर्यावरण संरक्षण पर फोकस, कमाई में खेल और ग्रामीण विकास को हिस्सा
नई आबकारी पॉलिसी में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष फोकस रहेगा। प्लास्टिक के नुकसान को देखते हुए शराब निर्माता कंपनियों को बीस फीसद शराब कांच की बोतल में देनी होगी। बाकायदा इन बोतलों पर सरकार की मुहर रहेगी। इसके अलावा खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए कुल कमाई का एक फीसद हिस्सा खेल गतिविधियों पर खर्च किया जाएगा।
इसी तरह ग्रामीण विकास के लिए प्रति लीटर बीयर से कमाई पर तीन रुपये, देसी शराब पर पांच और अंग्रेजी शराब से होने वाली कमाई पर सात रुपये दिए जाएंगे। इस पैसे में 70 फीसद हिस्सा ग्राम पंचायतों, 20 फीसद पंचायत समितियों और दस फीसद जिला परिषदों को मिलेगा।
शराब तस्करी रोकने को इनफोर्समेंट विंग
अवैध शराब का कारोबार रोकने के लिए इनफोर्समेंट विंग बनेगी। इसमें पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल किए जाएंगे ताकि शराब माफिया का नेटवर्क तोड़ा जा सके। इसके अलावा शॉपिंग मॉल्स में शराब का डिस्पले करने के लिए छूट रहेगी। अंग्रेजी शराब के ठेकों का लाइसेंस ई-नीलामी के जरिये एक ही व्यक्ति को दिया जाएगा। आधार मूल्य 62.5 करोड़ रुपये रखा गया है। इस तरह वैट को मिलाकर करीब 110 करोड़ रुपये राजस्व आएगा।
कम गांवों ने दिए शराब ठेके खोलने के प्रस्ताव
इस साल 500 ग्राम पंचायतों ने सरकार को लिखित अर्जी देकर शराब ठेके नहीं खोलने की फरियाद लगाई जिनमें से 198 पंचायतों की दरख्वास्त मंजूर हुई। पिछले साल 650 गांवों ने ठेके नहीं खोलने का अनुरोध किया था जिनमें से 185 पंचायतों का प्रस्ताव सरकार ने मान लिया। पूरी तरह से अवैध खुर्दे और शराब की तस्करी से मुक्त गांवों मेें ही सरकार शराब ठेके नहीं खोलने की पॉलिसी बनाई है।
चालू सत्र में कमाए 5682 करोड़ रुपये
आबकारी विभाग ने चालू सत्र में आबकारी टैक्स से 5200 करोड़ रुपये कमाए। शराब पर वैट के रूप में 482 करोड़ का टैक्स अलग से मिला। इस तरह कुल राजस्व 5682 करोड़ रुपये आया। इस तरह कुल कमाई में करीब 13 फीसद का इजाफा हुआ। लाइसेंस फीस से 3200 करोड़ रुपये मिले। खास बात ये कि हाईवे किनारे शराब ठेके बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां दूसरे राज्यों का राजस्व घटा, वहीं हरियाणा में इसका कोई अधिक असर नहीं दिखा।
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