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51 साल का हुआ हरियाणाः एसवाइएल, अलग राजधानी और हाई कोर्ट का सपना अधूरा

हरियाणा आज 51 साल का हो गया है। लेकिन कुछ मुद्दे एेसे हैं जो आज तक हल नहीं हो पाए हैं। सियासतदानों ने अब इसमें दादूपुर नलवी नहर का मुद्दा भी जोड़ दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 01 Nov 2017 09:32 AM (IST)Updated: Wed, 01 Nov 2017 10:24 AM (IST)
51 साल का हुआ हरियाणाः एसवाइएल, अलग राजधानी और हाई कोर्ट का सपना अधूरा

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। मैं हरियाणा हूं। 51 बरस का हरियाणा। आज के ही दिन मैं पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया। जिंदगी में तमाम उतार-चढ़ावों के बीच जवानी के खूबसूरत लम्हों को जिया तो सीने पर कभी न भूल सकने वाले जख्म भी सहे। दक्षिण से लेकर उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक विकास के तमाम द्वार खुले, लेकिन अब भी कई समस्याएं ऐसी हैं जिन्हें सुलझाने के लिए मुझे आपके सहयोग की जरूरत है।

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चार मुद्दे तो ऐसे हैं जो मुझे जन्म से ही गहरा दर्द देते रहे हैं। सियायत के खेल में किसी ने इसका मर्म नहीं समझा। हांसी-बुटाना लिंक नहर नया मसला है जो चुनाव में ही सुर्खियों में रहता है। सियासतदानों ने अब इसमें दादूपुर नलवी नहर का मुद्दा भी जोड़ दिया।

बेशक बड़े भाई पंजाब से अलग होने के बाद मैंने अपनी अलग पहचान बनाई। कई मामलों में उसे पीछे भी छोड़ा, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनको लेकर आज भी पंजाब से ही मुकाबला है। मेरे कर्मचारी पंजाब के समान वेतनमान एवं भत्ते मांग रहे। सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर शुरू से ही पंजाब ने हठधर्मिता दिखाई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर नहर को पाट दिया और अब भी मेरे हिस्से का पानी देने को तैयार नहीं। इसी तरह अलग राजधानी का मुद्दा भी नहीं सुलझा। चंडीगढ़ में मुझे सिर्फ चालीस फीसद हिस्सा मिला, जबकि पंजाब को साठ फीसद। मजबूरन मुझे अपने आधे सरकारी कार्यालय पंचकूला शिफ्ट करने पड़े।

मेरा अलग हाई कोर्ट का सपना भी अधूरा है। दक्षिण हिस्से में हाई कोर्ट की बेंच स्थापित करने की कवायद से अब कुछ उम्मीद बंधी है। बड़े भाई से हिंदी भाषी इलाके को लेकर भी टकराव खत्म होता नहीं दिखता। पंजाब के हिंदी भाषी इलाके मुझे मिलने चाहिए।

हिंदी भाषी इलाके, एसवाईएल का पानी और अलग राजधानी स्थापित करने का पूरा खर्च मिले तो चंडीगढ़ पंजाब को देने की बात कही जाती है। पर क्या यह उचित होगा, इस पर भी मंथन करने की जरूरत है। मुझे इस बात का बेहद सुकून है कि सीएम मनोहर लाल मेरे किसी हिस्से को अलग-अलग नहीं समझते।

तब और अब
                                   1966             2017       
जिले                             7                  22
जनसंख्या                  एक करोड़          2.54 करोड़
ग्रामीण आबादी          82.34 फीसद      70 फीसद
जनसंख्या घनत्व           227              573 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
प्रति व्यक्ति आय           504             1.80 लाख रुपये वार्षिक
सकल घरेलू उत्पाद         332 करोड़       618560 करोड़
राजस्व संग्रहण                75 करोड़      68810 करोड़

 हरियाणा का बुनियादी  ढांचा

शिक्षा   : राज्य में करीब नौ हजार प्राइमरी स्कूल हैं। कॉलेज 217 और सात विश्वविद्यालय हैं।
स्वास्थ्य : रोहतक पीजीआइ समेत छह बड़े मेडिकल कॉलेज। 10295 बेड की क्षमता वाले 59 नागरिक अस्पताल, 486 पीएचसी और 119 सीएचसी हैं। वहीं 2630 उप केंद्र हैं।
परिवहन : प्रदेश में कुल 1500 किमी की लंबाई के साथ करीब 30 नेशनल हाईवे हैं। 2500 किमी की लंबाई के साथ कई स्टेट हाईवे हैं। रोडवेज के बेड़े में चार हजार बसें हैं जो प्रतिदिन 13.50 लाख यात्रियों को ले जाती हैं।
खेती : प्रदेश में 3.7 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र है। यह कुल क्षेत्र का 84 फीसद के लगभग है। कुल सिंचित क्षेत्र करीब 3 मिलियन हेक्टेयर में से 43.4 फीसद नहरों और 56.7 फीसदी ट्यूबवेल से सिंचित है।
बिजली : प्रदेश में 13818.02 मेगावाट बिजली का उत्पादन थर्मल और हाइडल प्रोजेक्ट से हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 55 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ता हैं। 5500 करोड़ का बिजली बिल बकाया है।

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