डेढ़ दशक बाद कंडेला चबूतरे पर चौटाला परिवार की एंट्री, गाेलीकांड के बाद लगा था बैन
हरियाणा के जींद जिले के कंडेला के ऐतिहासिक चबूतरे पर चौटाला परिवार की 16 साल बाद एंट्री हुई है।16 साल पहले पुलिस फायरिंग में नौ किसानों के मारे जाने के बाद चौटाल परिवार पर बैन था।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले जींद के कंडेला गांव के ऐतिहासिक चबूतरे पर 16 साल के बैन के बाद चौटाला परिवार की दोबारा एंट्री हो गई है। कंडेला खाप ने अपना फरमान वापस लेते हुए चौटाला परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेता दुष्यंत चौटाला को चबूतरे पर एंट्री दी। इस तरह इनेलाे से निकाले जाने के बाद जननायक जनता पार्टी बनाने वाले सांसद दुष्यंत चौटाला कंडेला खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर बैन के बाद जाने वाले चौटाला परिवार के पहले सदस्य बन गए हैैं। दुष्यंत चौटाला इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के पोते हैैं।
पुलिस फायरिंग में कंडेला में मारे गए थे नौ किसान, तब से चौटाला परिवार की एंट्री बंद
करीब 16 साल पहले 2002 में आंदोलन कर रहे किसानों पर फायरिंग के बाद कंडेला खाप ने इस चबूतरे पर चौटाला परिवार की एंट्री बंद कर दी थी। किसान बिजली बिल सहित विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन कर रहे थे अौर उन्होंने इस दौरान अधिकारियों को बंधक बना लिया था। इसके बाद पुलिस और किसानों में टकराव हो गया। इस पर पुलिस ने फायरिंग की। इसमें नौ किसानों की मौत हो गई आैर करीब 80 लोग घायल हो गए। इस घटना से पूरे हरियाणा में हड़कंप मच गया था और पूेर देश में यह गोलीकांड सुर्खियों में आ गया था। उस समय आेमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे।
इसके बाद इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व पूर्व सांसद डाॅ. अजय सिंह चौटाला तक को कंडेला खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर नहीं आने दिया गया। अजय सिंह चौटाला सांसद दुष्यंत चौटाला के पिता हैैं। दो दिन पहले कंडेला गांव में पहुंचे दुष्यंत का कार्यक्रम इसी चबूतरे पर हुआ। भाजपा नेता एवं गांव के पूर्व सरपंच विनोद भारद्वाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दुष्यंत बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे।
विनोद भारद्वाज ने भाजपा छोड़कर जेजेपी में शामिल होने की घोषणा की। दुष्यंत के कार्यक्रम के दौरान चबूतरे पर खाप प्रतिनिधियों के अलावा गांव के मौजिज लोग मौजूद रहे। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो सरकार के कार्यकाल में भारतीय किसान यूनियन ने कंडेला गांव को अपने आंदोलन का मुख्य केंद्र बनाया हुआ था। किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए चौटाला सरकार ने तमाम प्रयास किए, लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी और नौ किसानों की मौत हो गई।
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इस घटना के बाद कंडेला खाप ने फैसला लेकर चौटाला परिवार की गांव में एंट्री पर रोक लगा दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने तब किसानों के हित में कंडेला गांव से पैदल यात्रा भी निकाली थी। सत्ता में आने के बाद हुड्डा सरकार ने किसानों को शहीद का दर्जा भी दिया था। हुड्डा सरकार में विपक्ष के नेता रहते हुए ओमप्रकाश चौटाला ने कंडेला गांव में जाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया।
दुष्यंत के पिता पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला तक की एंट्री गांव में नहीं हो पाई थी। पाकिस्तान के लाहौर से दीनबंधु सर छोटूराम का सामान लेकर पहुंचे अजय चौटाला ने पूरे प्रदेश में उस समय यात्रा निकाली थी। उनकी इस यात्रा को भी कंडेला गांव में नहीं घुसने दिया गया था। अब दुष्यंत के कंडेला में पहुंचने के बाद कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं ने जन्म ले लिया है।
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