बिजली मंत्री बोले- 24 घंटे बिजली लें, चाहे जितने ट्रांसफार्मर लगवाएं, मगर गुड पे मास्टर बनें
रणजीत चौटाला रानियां से निर्दलीय विधायक बने और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बाकी निर्दलीय विधायकों को नजरंदाज करते हुए उन्हें सरकार में शामिल होने का मौका दिया।
चंडीगढ़। प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए त्याग करने वालों में अगर किसी का नाम सबसे पहले आता है, तो वह हैं स्वर्गीय देवीलाल। उनके छोटे बेटे रणजीत सिंह चौटाला हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में बिजली, जेल और अक्षय ऊर्जा मंत्री हैं। अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे रणजीत चौटाला रानियां से निर्दलीय विधायक बने और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बाकी निर्दलीय विधायकों को नजरंदाज करते हुए उन्हें सरकार में शामिल होने का मौका दिया।
1987 में चौधरी देवीलाल जब मुख्यमंत्री थे, तब रणजीत चौटाला कृषि मंत्री थे। रणजीत सिंह सांसद भी रह चुके हैं। पहली बार रोडी से विधायक बने और दूसरी बार रानियां से चुनाव जीतने के बाद अपने राजनीतिक कौशल के बल पर भाजपा की पहली पसंद बन गए। कांग्रेस में रहते हुए रणजीत चौटाला को वह सम्मान कभी नहीं मिल पाया, जो उन्हें भाजपा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिया है। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने हरियाणा के बिजली व जेल मंत्री रणजीत चौटाला से कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...
- चौधरी साहब, हरियाणा में बिजली बरसों से बड़ा मुद्दा है। कभी बिजली की कमी तो कभी रेट की अधिकता के चलते सरकारें कठघरे में खड़ी होती रही। इस महकमे की छवि सुधारने के लिए क्या प्लान है?
- देखिए, 1970 में एक समय था जब लोग बिजली का इंतजार करते थे। आज जगमग योजना में लोगों को 24 घंटे बिजली मिल रही है। डोमेस्टिक (घरों) में 16 घंटे की सप्लाई है और ट्यूबवेलों को आठ घंटे बिजली दी जा रही है। हमने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात कर बुआई के समय आठ की बजाय दस घंटे बिजली दी, जिसका किसानों ने खूब फायदा उठाया। मुङो मुख्यमंत्री ने बिजली विभाग में काम करने और सुधारों के लिए फ्री-हैंड दिया है। शर्त यह है कि राजस्व का नुकसान न हो और आम पब्लिक को पूरा फायदा मिले।
- बिजली विभाग अक्सर घाटे में रहा है। लाइन लास कम होने का नाम नहीं ले रहे। लोग बिजली तो चाहते हैं मगर बिलों का भुगतान करने के हक में नहीं हैं?
- पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि बिजली मुफ्त में नहीं दी जा सकती। दूसरा यह कि अब बिजली निगम घाटे में नहीं रहे। लाइन लास जो पहले 30 फीसदी थे, अब घटकर 14 रह गए हैं। अगले दो सालों में इन्हें 12 फीसदी पर लाना है। सरकार ने खूब मेहनत कर लोगों को बिजली के बिलों के भुगतान के लिए प्रेरित करने का बीड़ा उठाया है। हम राज्य के सभी 22 जिलों में बिजली पंचायतें करने जा रहे हैं। हिसार-फतेहाबाद से इसकी शुरुआत कर रहे हैं। हरियाणा ने एक टोलफ्री नंबर 1912 जारी किया है, जिस पर उपभोक्ताओं की किसी भी समस्या का त्वरित समाधान होगा। केंद्र सरकार हरियाणा की तारीफ कर चुकी है। हमारा लोगों से सिर्फ यही कहना है कि वे चाहे जितने मर्जी ट्रांसफार्मर लें, जरूरत के हिसाब से जितनी मर्जी बिजली की लाइनें खिंचवाएं, हम सब कुछ करेंगे, लेकिन गुड (अच्छे) पे मास्टर (भुगतान करने वाले) बनें।
- बिजली निगमों के घाटे की एक बड़ी वजह बिलों का भुगतान नहीं होना है। आम लोग तो छोड़िए, सरकारी विभागों पर बड़ी रकम बकाया है?
- हमने बकाया वसूली के अभियान में तेजी ला दी है। सरकारी विभागों पर पहले करीब 1500 करोड़ रुपये बकाया थे, जो अब 350 करोड़ रुपये के आसपास बचे हैं। आम लोगों पर पांच हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि थी। लोग अब धीरे-धीरे भुगतान कर रहे हैं। उन्हें समझ में आ रहा है कि कोई भी सरकार अपने घर से मुफ्त बिजली नहीं दे सकती। अब लोगों पर मात्र 1600 करोड़ रुपये बकाया हैं, जो जल्द आने की उम्मीद है।
- दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अक्सर मुफ्त बिजली देने की हिमायत करते हैं। उनकी दलील है कि यह सरकार की जिममेदारी है?
- हरियाणा और दिल्ली में काफी अंतर है। दिल्ली में केंद्र सरकार की खूब मदद मिलती है। मुफ्त बिजली किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। इसके साथ ही हमारा विभाग लोगों को अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल की तरफ बढ़ाने जा रहा है। सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों को प्रोत्साहित कर लोगों को इस दिशा में तैयार कर रहे हैं।
- विपक्ष खासकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा आरोप लगाते हैं कि पिछले पांच सालों में भाजपा कोई नया बिजली का कारखाना नहीं लगा पाई है?
- बिजली के लिए कारखाना लगाना जरूरी नहीं है। हरियाणा के पास उसकी जरूरत से अधिक बिजली है। प्रदेश के लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से भरपूर बिजली दी जा रही है। नए प्रोजेक्ट की दिशा में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।
- हरियाणा में जेलों की काफी जमीन खाली पड़ी है, लेकिन उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। क्या किसी योजना पर काम कर रहे हैं?
- हरियाणा में किसी जेल के पास 20 एकड़ तो किसी के पास पांच एकड़ जमीन है। कुल मिलाकर करीब डेढ़ सौ एकड़ जमीन ऐसी है, जिस पर हम प्राकृतिक खेती करने की सोच रहे हैं। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संचालक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से हमें इस बारे में प्रेरणा मिली है। मैंने स्वयं और मेरे विभागीय अधिकारियों ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी हासिल की है। हमारे पास जेलों में कैदियों के रूप में काफी मानव श्रम है। हम जेलों की खाली जमीनों पर आर्गेनिक प्राकृतिक खेती करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इसका एक फायदा यह होगा कि जब कोई कैदी जेल से बाहर जाएगा तो वह प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेगा तथा बाकी लोगों को भी प्रेरित करेगा।
- हरियाणा की जेलों की हालत बेहद खराब है। उनके रखरखाव व कैदियों को उनमें रखने में काफी दिक्कतें आ रही। क्षमता से अधिक कैदी भरे पड़े हैं?
- राज्य सरकार कम से कम सात नई जेल बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। अब चूंकि जमीन काफी महंगी मिलती है या फिर नहीं मिलती, इन तमाम फैक्टर की वजह से देरी हो रही है। फतेहाबाद व चरखी दादरी समेत अन्य जिलों में यह जेल बनाई जाएंगी। नई जेल बनने के बाद कैदियों के रखरखाव में किसी तरह का व्यवधान पैदा नहीं होगा।
- अब राजनीतिक बातें करते हैं। पिछले दिनों आपने कोशिश की थी कि चौटाला परिवार एक हो जाए। कितनी सफलता मिली थी और कहां पेंच फंस गया?
- जब मेरी भाभी (ओमप्रकाश चौटाला की धर्मप}ी) का देहावसान हुआ, तब मैंने परिवार की एकजुटता की काफी कोशिश की थी। हालांकि चुनाव से पहले भी इस तरह के प्रयास हुए, लेकिन तब लगने लगा था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। लोग भी एकजुटता चाहते थे। अजय और अभय को एक साथ बैठा भी लिया था, लेकिन हर चीज अपने हाथ में नहीं होती।
- क्या अभी भी आपको चौटाला परिवार की एकजुटता की कोई संभावना नजर आती है?
- अब पानी काफी बह चुका है। मुङो नहीं लगता कि अब कुछ सुलह हो पाएगी। कहां दिक्कत रही और क्यों नहीं बात बन पाई, इन पर चर्चा करने का फिलहाल कोई फायदा नहीं है।
- रिश्ते में आपके पोते दुष्यंत चौटाला ने काफी छोटी उम्र में मुकाम हासिल कर लिया। वह भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं? आपका ही पौधा है?
- दुष्यंत चौटाला मेरा पोता है, लेकिन राजनीतिक पौधा ओमप्रकाश चौटाला का ही है। स्व. देवीलाल के बाद ओमप्रकाश चौटाला हमारे पूरे परिवार के सबसे बड़े हैं। मैंने तो अब से पहले कांग्रेस की ही राजनीति की है। दुष्यंत को ओमप्रकाश चौटाला ने राजनीतिक ब्रेक दिया। दुष्यंत सांसद बना। अब अपनी मेहनत से विधायक भी चुना गया। उपमुख्यमंत्री तक पहुंचा। पहली बार का अनुभव है। परफारमेंस अच्छी है।
- ओमप्रकाश चौटाला आजकल फरलो पर आए हुए हैं। कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि दुष्यंत चौटाला इनेलो में होते तो मुख्यमंत्री बन सकते थे?
- ओमप्रकाश चौटाला मेरे बड़े भाई हैं। आदरणीय हैं। मुझसे अक्सर बात करते हैं। अभय भी बात करते हैं। मैं जब मंत्री बना और मेरा जन्मदिन था, मुझे ने बधाई दी, लेकिन मैं किसी तरह की गलतफहमी में नहीं रहता। किसी की वजह से किसी को गलतफहमी आए, मैं इसे नहीं मानता।
- हरियाणा में इनेलो चौधरी देवीलाल का राजनीतिक पौधा है। कई बार इनेलो सत्ता में रही। अब इस पार्टी का राजनीतिक भविष्य कैसा लगता है आपको?
- किसी भी दल अथवा नेता का राजनीतिक भविष्य जनता तय करती है। इस चुनाव में लोगों ने इनेलो के प्रति भरोसा नहीं जताया। अब इनेलो व जजपा दोनों की परफारमेंस का आकलन प्रदेश के लोग करेंगे। तब वे रिपोर्ट देंगे कि उन्हें कौन पसंद है और कौन नहीं है।
- आपने ताऊ देवीलाल की पाठशाला से राजनीति शुरू की। कांग्रेस में रहे। भाई ओपी चौटाला इनेलो में हैं। अब आप भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। कैसा महसूस करते हैं?
- मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि जब मैं अपने पिता स्व. देवीलाल के साथ था, तब वह मेरा गोल्डन पीरियड था। 1985 से 1990 का वह समय आज भी याद करता हूं। तब मैं ही निर्णय लेने की पावर में था। स्व. देवीलाल पूरे देश में किंगमेकर की भूमिका में सामने आए। उन्होंने वीपी सिंह, चंद्रशेखर, मुलायम सिंह, हेगड़े, एनटी रामराव और लालू यादव सरीखे नेता दिए। कई अनगिनत सीएम बनाए। महात्मा गांधी के बाद स्व. देवीलाल की गिनती देश के लोकप्रिय नेताओं में होती है।
- आपने भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ भी कांग्रेस में काम किया और अब भाजपा में मनोहर लाल के साथ काम कर रहे हैं?
- कांग्रेस में रहते हुए पार्टी ने मुझे मेरे कद के हिसाब से कभी इस्तेमाल नहीं किया। मुङो भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों ने किनारे लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ईमानदारी के साथ मेरा साथ दिया। उनकी एक अच्छी बात है। वह ईमानदार हैं। परिवारवाद के चक्कर में नहीं पड़ते। अपने परिवार के सदस्यों को भी सीएम निवास पर अनावश्यक नहीं आने देते। मुङो या तो देवीलाल ने मंत्री बनाया था या फिर अब मनोहर लाल ने मंत्री बनाया है।
- हरियाणा की भाजपा सरकार में साझीदार जजपा की कार्य प्रणाली पर हुड्डा और अभय सिंह सवाल उठाते हैं। कहते हैं कि गठबंधन टूटने वाला है?
- राजनीति संभावनाओं का खेल है। कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। जिस तरह से सरकार वर्किंग मोड में है, उसे देखकर मैं दावा कर सकता हूं कि यह सरकार पूरा समय चलेगी और पूरी मजबूती के साथ लोगों के हित में काम करते हुए आगे बढ़ेगी। मुझ समेत सभी मंत्रियों और पूरी सरकार का जोर परफारमेंस (नतीजे देने) पर है।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें