Fake Degree: शिक्षा माफिया का कई राज्यों में जाल, खुलासा- 62 हजार फर्जी डिग्रियां बांटकर 180 करोड़ ठगे
Fake Degree हरियाणा सहित कई राज्यों में फैले शिक्षा माफिया को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। वह धड़ल्ले से फर्जी डिग्रियां बांट रहा है। पुलिस इस माफिया की जड़ तक पहुंंच गई है। जांच में पता चला है कि शिक्षा माफिया ने 62 हजार फर्जी डिग्रियां बांटकर 180 करोड़ ठगे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Fake Degrees: सावधान हो जाएं, क्योंकि शिक्षा माफिया ने हरियाणा सहित कई राज्यों में फर्जी डिग्रियों का जाल फैला रखा है। हरियाणा पुलिस शिक्षा माफिया की जड़ तक पहुंच गई है। जांच में खुलासा हुआ है कि शिक्षा माफिया ने करीब 62 हजार फर्जी डिग्रियां बेचकर 180 करोड़ रुपये लोगों से ठगे हैं। अब तक शिक्षा माफिया से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
हरियाणा पुलिस शिक्षा माफिया की जड़ तक पहुंंची, फर्जी डिग्रियां व डिप्लोमा बनाने वाले 11 धरे
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में डी-फार्मा के रजिस्ट्रेशन में लंबे समय से चल रही गड़बड़ियों का व्यापक स्तर पर पता चला है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हस्तक्षेप के बाद स्टेट क्राइम ब्यूरो फार्मेसी का डिप्लोमा कराने वाले शिक्षा माफिया की जड़ तक जाने में कामयाब हो गई है।
हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों की फार्मेसी काउंसिल में पकड़ी गई भारी गड़बड़ी
स्टेट क्राइम ब्यूरो ने विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के चेयरमैन व सचिव समेत इस बोर्ड के पांच सदस्यों को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। इन पांचों सदस्यों समेत विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 62 हजार फर्जी डिग्रियों व डिप्लोमा के अलावा करीब 180 करोड़ रुपये अवैध ढंग से इस कारोबार से कमाने की सूचना पुलिस के हाथ लगी है।
फर्जी निकला छत्तीसगढ़ का विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड, चेयरमैन व सचिव समेत पांच सदस्य गिरफ्तार
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष धनेश अदलखा ने विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड बिलासपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने तथा डी-फार्मा समेत विभिन्न विषयों की फर्जी अंक तालिकाएं बनाने के संबंध में एक शिकायत सरकार को दी थी। फार्मेसी काउंसिल में पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है। कुछ सदस्य चाहते हैं कि डी-फार्मा करने वाले सभी विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन बिना किसी जांच पड़ताल के हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में कर दिया जाए, लेकिन अध्यक्ष धनेश अदलखा समेत कई सदस्य इसके हक में नहीं हैं।
बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात में सक्रिय शिक्षा माफिया ने खूब ठगा बच्चों को
उन्हें शुरू से ही शक था कि छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से विद्यार्थियों को फर्जी डिग्रियां प्रदान की जाती हैं। उनके आधार पर डी-फार्मा व बी-फार्मा के डिप्लोमा कराए जाते हैं। यह सारा खेल मोटा पैसा लेकर विद्यार्थियों के बिना कालेज जाए और बिना पढ़ाई किए होता है। फिर हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों की फार्मेसी काउंसिल में यही शिक्षा माफिया अपने द्वारा कराए जाने वाले डी-फार्मा डिप्लोमा को रजिस्ट्रेशन कराने की लड़ाई लड़ता है।
डी फार्मा की 750 डिग्रियाेंं पर हरियाणा में रोक के बाद हुआ पूरे मामले का खुलासा
हरियाणा में करीब 750 ऐसे केस को तुरंत रोक दिया गया। राज्य फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष को इन डी-फार्मा के फर्जी होने का शक था, लेकिन एक गुट इनके फर्जी होने के बावजूद काउंसिल में उनके रजिस्ट्रेशन को लेकर अड़ा हुआ था। कुछ लोग इसकी शिकायत लेकर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता और गृह मंत्री अनिल विज तक भी पहुंचे। मामला जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक पहुंचा तो उन्होंने स्टेट क्राइम ब्यूरो को इसकी जांच सौंप दी।
कई चरणों की जांच पड़ताल के बाद स्टेट क्राइम ब्यूरो ने विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) का फर्जी होना पाया। एसीपी अमित दहिया के नेतृत्व वाली टीम ने बोर्ड के चेयरमैन सुरेंद्र नैन व सेक्रेटरी नितिन लांबा निवासी हिसार तथा बोर्ड के तीन अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इस काम में लगे छह अन्य दलालों को गिरफ्तार किया गया है, जो विद्यार्थियों को इसी बोर्ड द्वारा फर्जी तरीके से 12वीं कक्षा का सर्टिफिकेट बनाकर देते थे तथा फार्मेसी का डिप्लोमा कराने में मदद करते थे।
छत्तीसगढ़ बोर्ड के नाम पर जारी कराए गए 62 हजार फर्जी सर्टिफिकेट
पुलिस सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार पदाधिकारियों ने माना है कि विद्यालय एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड छत्तीसगढ़ एक ट्रस्ट है। इस बोर्ड द्वारा अब तक 62 हजार छात्र-छात्राओं को फर्जी सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं। दलालों द्वारा इन फर्जी सर्टिफिकेट जारी कराने के बाद बच्चों को पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा से बिना कालेज गए ही फार्मेसी की डिग्री दिलवाई गई।
12वीं कक्षा कराने के लिए सभी बच्चों से 30 से 40 हजार रुपये लिए गए हैं। फार्मेसी कराने के दो से ढ़ाई लाख रुपये प्रति बच्चा लेने की सूचना स्टेट क्राइम ब्यूरो की टीम को प्राप्त हुई है। इन सबकी रजिस्ट्रेशन हरियाणा राज्य के अलावा दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार फार्मेसी काउंसिल में करवाई गई। लगभग 180 करोड़ रुपये की लोगों से ठगी और फर्जीवाड़े की सूचना स्टेट क्राइम ब्यूरो को मिली है।
जांच में यह भी पाया गया कि इस गिरोह के सदस्यों के संबंध फार्मेसी काउंसिल के पदाधिकारियों से थे, जिनके द्वारा वह फार्मेसी काउंसिल हरियाणा में रजिस्ट्रेशन का कार्य कराते थे। ऐसे में 2019 तक डी-फार्मा के जितने भी पंजीकरण हुए हैं, वह सभी जांच के दायरे में आ गए हैं।
फार्मेसी काउंसिल ने 200 रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के नोटिस दिए
हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो भिवानी ने भी ऐसे ही केस में एक मुकदमा दर्ज किया था, जिसका संबंध छत्तीसगढ़ के बोर्ड से पाया गया है। फार्मेसी के कुछ पदाधिकारियों के रिश्तेदारों ने भी फर्जी डिग्रियां और बी-फार्मा की डिग्रियां की हैं, जिसकी तह में जाने के लिए स्टेट क्राइम ब्यूरो पूरी तरह से जुट गई है।
इन सभी की जांच के लिए काउंसिल द्वारा लगभग 200 ऐसे छात्रों के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के नोटिस दिए गए हैं, जिन पर शक है कि उन्होंने 12वीं व डी-फार्मा का डिप्लोमा गलत ढंग से किया है। बिहार फार्मेसी काउंसिल की फर्जी एनओसी के आधार पर रजिस्ट्रेशन की भी जांच हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल द्वारा की गई है, जो कि फर्जी पाई गई है। नेशनल ओपन स्कूल की फर्जी अंकतालिकाओं के आधार पर भी जांच चल रही है।