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हुड्डा की घेराबंदी : पूर्व सीएम सहित सात के ठिकानों पर ईडी के छापे

हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ठिकानों पर ईडी ने छापे मारे हैं। उनक साथ दो अफसरों व चार ठेकेदारों के यहां भी छापे मारे गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 10:48 AM (IST)
हुड्डा की घेराबंदी : पूर्व सीएम सहित सात के ठिकानों पर ईडी के छापे
हुड्डा की घेराबंदी : पूर्व सीएम सहित सात के ठिकानों पर ईडी के छापे

जेएनएन, चंडीगढ़। सीबीआइ के बाद अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। मानेसर जमीन घोटाले में सीबीआइ अधिकारियों की पूछताछ के बाद बृहस्पतिवार को ईडी की टीमों ने दिल्ली व हरियाणा में करीब दस स्थानों पर छापे मारे। ईडी की यह कार्रवाई छह घंटे से अधिक समय तक चली। इन छापों से हरियाणा की राजनीति गर्मा गई है।

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हरियाणा और दिल्ली में दस जगह छापे मार कर खंगाला रिकॉर्ड

प्रर्वतन निदेशालय की टीमों ने हरियाणा के एक आइएएस समेत दो अधिकारियों और गुरुग्राम में कई बिल्डरों के आवास व ठिकानों पर छापेमारी की। मानेसर जमीन घोटाले में सबसे पहले 12 अगस्त 2015 को मानेसर पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया था। इसके बाद सरकार ने यह केस सीबीआइ को सौंप दिया और सीबीआइ ने 17 सितंबर 2015 को हुड्डा व अन्यों के विरुद्ध केस दर्ज किया।

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सीबीआइ के बाद अब ईडी ने शुरू की कार्रवाई

ईडी की टीमों ने हुड्डा के दिल्ली, गुरुग्राम समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की। साथ ही चार बिल्डर्स समेत कुल आठ लोगों के यहां रेड की गई। सीबीआइ इस मामले में हुड्डा व उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। सीबीआइ जांच के चलते इसी मामले को आधार बनाते हुए ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था। सीबीआइ की तरफ से हुड्डा सरकार में अहम पदों पर तैनात रहे अधिकारियों से भी जानकारी मांगी जा चुकी है। सीबीआइ ने 15 मई को करीब नौ घंटे तक हुड्डा से पूछताछ की थी।

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बिल्डरों को फायदा पहुंचा था मानेसर भूमि विवाद में

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में करीब 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए गए थे। कुछ निजी बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण की धमकी देकर उनकी जमीन औने-पौने दाम में खरीदनी शुरू कर दी।

उद्योग विभाग के निदेशक ने 24 अगस्त 2007 को सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डरों द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण से रिलीज कर दिया। बिल्डरों ने तब 400 एकड़ जमीन खरीदी थी। इसका सारा फायदा बिल्डरों को मिला। इससे नाखुश किसान सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। मनोहर सरकार ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।


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