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Excise policy पर बोले दुष्यंत- पहली बार माफिया से टकराई सरकार, 1100 करोड़ के नुकसान की परवाह नहीं

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आबकारी नीति में सरकार ने शराब माफिया का गठबंधन तोड़ा है। राजस्व बढ़ाया है। अब सारे ठेकों पर एक आदमी का कब्जा नहीं होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 11:02 AM (IST)
Excise policy पर बोले दुष्यंत- पहली बार माफिया से टकराई सरकार, 1100 करोड़ के नुकसान की परवाह नहीं
Excise policy पर बोले दुष्यंत- पहली बार माफिया से टकराई सरकार, 1100 करोड़ के नुकसान की परवाह नहीं

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार की इस बार की Excise policy (आबकारी नीति) पर भले ही सवाल उठाए जा रहे हैैं, लेकिन इस पालिसी ने शराब ठेकेदारों के करीब डेढ़ दशक पुराने सिंडिकेट को तोडऩे का काम किया है। राज्य की 800 पंचायतों में शराब ठेके नहीं खोलने से सरकार को 1100 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने वाला था, लेकिन बीयर के रेट कम कर और देसी शराब का कोटा घटाने के बावजूद अंग्रेजी शराब के दाम बढ़ाते हुए सरकारी खजाने को मालामाल किया गया है।

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हरियाणा सरकार ने इस बार साढ़े सात हजार करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक अंग्रेजी शराब का ठेका राजनीतिक संरक्षण की वजह से गुरुग्राम का एक ही ठेकेदार लिया करता था, लेकिन इस बार यह सिंडिकेट टूटा है। आबकारी एवं कराधान मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पहली बार शराब की सप्लाई सीसीटीवी के अधीन करने की शुरुआत की है।

जिन वाहनों के जरिये शराब की सप्लाई होगी, उनकी मैपिंग और पूरा रिकार्ड सरकार के पास रहेगा। ऐसा भी पहली बार हुआ कि अवैध ढंग से फैक्ट्री से बाहर आने वाली सस्ती अंग्रेजी शराब पर अंकुश लगाकर उसके न्यूनतम रेट में 900 रुपये प्रति पेटी बढ़ोतरी की है। अभी तक किसी भी ठेकेदार को कम से कम एक करोड़ पेटी की बिक्री का लक्ष्य था, जो 20 फीसदी घटा दिया गया है, जिस कारण ठेकेदार दबाव से मुक्त रहेंगे और शराब की अवैध बिक्री नहीं हो सकेगी।

बीयर की दो बड़ी कंपनियों हो-गार्डन और कोरोना का माल विदेशों से आयात होता है। अब यह बीयर भारत में बनने की संभावना है। इसलिए सरकार ने इनके रेट में कमी की है, ताकि इंडिया में बनने वाली विदेशी बीयर का प्रोत्साहित किया जा सके।

घर में शराब रखने के लिए लाइसेंस फीस में हुई बढ़ोतरी

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के अनुसार लोगों को घरों में शराब का स्टॉक रखने का लाइसेंस देने की नीति दशकों से चली आ रही है। अब घर में शराब रखना महंगा पड़ेगा। पूर्व की हुड्डा सरकार में लाइसेंस के लिए सालाना फीस 200 रुपये तय थी, जबकि लाइफ टाइम लाइसेंस दो हजार रुपये में दिया जाता था। इस बार की नीति में सालाना लाइसेंस फीस को 1500 रुपये और लाइफ टाइम के लिए 10 हजार रुपये तय किया है। दूसरे राज्यों की शराब को हरियाणा के लोग अपने घरों में नहीं रख सकेंगे। खरीदी गई शराब के बिल भी अपने पास रखने होंगे।

जिन ग्र्राम सभाओं में ठेके नहीं, वहां घर में शराब नहीं

जिन ग्राम सभाओं ने अपने यहां शराब के ठेके नहीं खोलने के प्रस्ताव पास किए हैं, उनमें घरों में शराब रखने के लाइसेंस नहीं मिलेंगे। प्रदेशभर की कुल 800 से अधिक ग्राम सभाओं के प्रस्ताव आए थे। इन गांवों में शराब के ठेके नहीं खुलेंगे। प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि करीब 11 प्रतिशत गांवों में शराब की बिक्री नहीं होगी। हरियाणा में कुल गांवों की संख्या करीब पौने सात हजार है।

हमने शराब माफिया को धूल चटा दी

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला का कहना है कि हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की यह Excise policy 15 सालों में पहली बार ऐसी है, जो निर्माताओं, खरीददारों, रिटेलर, दुकानदारों व ठेकेदारों के हित में है। शराब माफिया का गठबंधन तोड़ा है। राजस्व बढ़ाया है। अब सारे ठेकों पर एक आदमी का कब्जा नहीं होगा। जिन पंचायतों में शराब ठेका नहीं, वहां शराब घर में रखने का लाइसेंस भी नहीं देंगे। राजस्व का भी कोई नुकसान नहीं।

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