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Haryana BY Election: दुष्‍यंत ने अभय चौटाला से सीधा टकराव टाला, ऐलनाबाद में भाजपा को आगे कर खेला सेफ गेम

Haryana By Election जजपा नेता और हरियाणा के उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला ने अपने चाचा व इनेलाे नेता अभय सिंह चौटाला से सीधा टकराव टाल दिया है। जजपा ने ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा को आगे कर सेफ गेम खेला है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 10:11 AM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 10:11 AM (IST)
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला और जजपा नेता व उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला। (फाइल फाेटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Haryana By Election: जननायक‍ जनता पार्टी नेता और हरियाणा के उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला ने अपने चाचा व इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला से सीधा टकराव टाल दिया है। दुष्‍यंत चौटाला ने ऐलनाबाद सीट के उपचुनाव में भाजपा को आगे कर 'सेफ गेम' खेला है। वैसे ऐलनाबाद के चुनावी रण में जजपा ने एक रणनीति के तहत भले ही भाजपा को आगे कर दिया, लेकिन इस दंगल में भाजपा व जजपा नेताओं की प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर लगी हुई है।

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ऐलनाबाद उपचुनाव में जजपा का उम्मीदवार होता तो बढ़ता राजनीतिक टकराव

भाजपा-जजपा गठबंधन की दो साल की सरकार के कार्यकाल में बरौदा के बाद ऐलनाबाद का दूसरा उपचुनाव होने जा रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि ऐलनाबाद में जजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी, लेकिन भाजपा को यह सीट सौंपकर जजपा ने जहां गठबंधन धर्म निभाया है, वहीं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इनेलो उम्मीदवार के रूप में अपने चाचा अभय सिंह चौटाला का सीधा सामना करने से बचते हुए संभावित टकराव भी टाल दिया है।

सोनीपत की बरौदा विधानसभा सीट पर भाजपा व जजपा गठबंधन ने पहला उपचुनाव मिलकर लड़ा था। बरौदा के रण में भाजपा ने पहलवान योगेश्वर दत्त के रूप में गठबंधन का उम्मीदवार रण में उतारा था, लेकिन गठबंधन को यहां पराजित होना पड़ा और कांग्रेस के इंदुराज नरवाल चुनाव जीत गए। ऐलनाबाद में 30 अक्टूबर को उपचुनाव  में मतदान है। इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला के तीन कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई थी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल अभी चूंकि तीन साल बाकी है, इसलिए संभावना जताई जा रही है कि इनेलो से अभय सिंह चौटाला ही चुनाव लड़ेंगे।

 दुष्यंत ने चाचा अभय से टाला टकराव, भाई दिग्विजय को परदे के पीछे रखा

जजपा यदि ऐलनाबाद में अपना प्रत्याशी लड़वाती तो दिग्विजय चौटाला, मीनू बैनीवाल और ओपी सिहाग में से कोई एक उम्मीदवार होता। दिग्विजय और मीनू के चुनाव लड़ने की स्थिति में अभय चौटाला और उनमें टकराव होना तय था, लेकिन अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने हर तरह के टकराव को खत्म करते हुए भाजपा को यह सीट सौंप दी।

कांग्रेस में जा चुके भाजपा के पूर्व उम्मीदवार पवन बैनीवाल ने ऐलनाबाद से 40 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे, जबकि जजपा उम्मीदवा ओपी सिहाग ने छह हजार से ज्यादा वोट पाए थे। ऐसे में भाजपा यदि इस सीट पर अपनी दावेदारी उपचुनाव में ही छोड़ देती तो आम चुनाव में उसे इस सीट को जजपा से हासिल करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती। ऐसे में भाजपा ने रिजल्ट की परवाह किए बिना भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर ऐलनाबाद के रण में अपना उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है।

 ऐसा ही भाजपा बरौदा के रण में कर चुकी है। भाजपा व जजपा गठबंधन का पूरा फोकस ऐलनाबाद के रण को जीतने पर होगा। इसके लिए तीन से पांच अक्टूबर के बीच प्रत्याशी की घोषणा की जा सकती है। आदित्य चौटाला, नताशा सिहाग और गोबिंद कांड़ा भाजपा के संभावित दावेदार हो सकते हैं।

भाजपा ने अपनी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को चुनाव प्रभारी बनाकर जाट व ग्रामीण मतों में सेंध लगाने की रणनीति अपनाई है। इसी तरह जननायक जनता पार्टी ने भी अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स. निशान सिंह को चुनाव प्रभारी बनाया है। निशान सिंह की लोगों में स्वीकार्यता अधिक नहीं है, लेकिन उन्हें आगे कर दुष्यंत विघटन के समय का कर्ज उतार हे हैं।

जजपा की ओर से इनसो अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला व राज्य मंत्री अनूप धानक को चुनाव सह प्रभारी बनाया गया है। परदे के पीछे रहकर सारा चुनावी गेम दिग्विजय चौटाला ही खेलने वाले हैं। जजपा ने पूर्व विधायक कृष्ण कांबोज, रामबीर पटौदी व सुमित राणा को सहयोगी की भूमिका में ऐलनाबाद भेजा है। इसी तरह भाजपा ने सुभाष बराला का सहयोग करने के लिए डा. कमल गुप्ता, कृष्ण लाल पंवार तथा कर्ण देव कांबोज को ऐलनाबाद के चुनावी रण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह चुनाव भाजपा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और जजपा में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व जजपा अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला की प्रतिष्ठा से जुड़ा है।


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