हरियाणा के बर्खास्त पीटीआइ को दीपाली पर तोहफा, मिली स्कूलों में खेल और विशेष सहायक की भूमिका
हरियाणा सरकार ने दीपावली पर बर्खास्त पीटीआइ शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया है और उनको नई भूमिका दी है। राज्य सरकार ने बर्खास्त पीअीआइ को स्कूलों में खेल और विशेष सहायक की भूमिका दी है। उनको नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर हरियाणा निकाले गए पीटीआइ (शारीरिक शिक्षक) को दीपावली का तोहफा मिला है। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में इन्हें खेल और स्कूल विशेष सहायक के रूप में भूमिका दी है। उनको नियुक्ति देना शुरू हो गया है। कई जिलों में बर्खास्त पीटीआइ को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए हैं, जबकि जिला या स्कूलों का अलाटमेंट लेटर अलग से जारी किया जाएगा।
दीपावली पर नियुक्ति पत्र हुए जारी, जिलों और स्कूल का आवंटन बाद में
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में एक दशक पहले भर्ती 1983 पीटीआइ को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर पिछले दिनों निकाल दिया गया था। पीटीआइ की नई भर्ती के बाद प्रदेश सरकार ने बर्खास्त पीटीआइ के प्रति हमदर्दी दिखाते हुए इन्हें अनुबंध आधार पर स्कूलों में ही फिर से तैनात करने का रास्ता निकाला। नई जिम्मेदारी के तहत इन्हें स्कूलों में विद्यार्थियों को कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी सहित अन्य सुरक्षात्मक उपायों में मदद के लिए लगाया जाएगा।
मानदेय में हर महीने मिलेगा एकमुश्त 24 हजार रुपये मानदेय
खेल एवं स्कूल विशेष सहायकों को पहले जहां प्रतिदिन के हिसाब से 700 से एक हजार रुपये देने की योजना बनाई गई थी, वहीं अब उन्हें हर महीने एकमुश्त 24 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। हालांकि सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान सुभाष लांबा ने कहा कि खेल और स्कूल विशेष सहायक नियुक्त किए जा रहे पीटीआइ को नौकरी की सुरक्षा की गारंटी मिले। उन्हें प्रारंभिक वेतनमान सुनिश्चित किया जाए। तभी उन्हें कुछ न्याय मिलेगा।
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आरटीए के सहायक सचिवों और ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टरों को राहत नहीं
दूसरी ओर, हरियाणा सरकार द्वारा रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी के सहायक सचिवों, ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर, ट्रांसपोर्ट सब इंस्पेक्टर को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। इन अधिकारियों ने सरकार द्वारा उनको हरियाणा राज्य परिवहन में एक साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजने को चुनौती दी है। मामले में बहस के दौरान हरियाणा के एडीशनल एडवोकेट जनरल जगबीर मलिक ने बेंच को बताया कि सरकार ने रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी में भ्रष्टाचार कम करने के लिए यह निर्णय लिया है। सरकार का यह निर्णय उचित है।
सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने याची पक्ष की सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग अस्वीकार कर दी। कोर्ट ने कहा कि अगर चाहें जो यह कर्मचारी अवकाश पर जा सकते है और सरकार उनका अवकाश स्वीकार कर देगी, लेकिन कोर्ट सरकार के आदेश पर रोक नहीं लगाएगी। कोर्ट ने इस मामले में बहस के 19 नवम्बर की तिथि तय करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
इस मामले में प्रदीप कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट से मांग की है कि सरकार द्वारा 17 अक्टूबर के उस आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें सहायक सचिवों सहायक सचिवों, ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर, ट्रांसपोर्ट सब इंस्पेक्टर को हरियाणा राज्य परिवहन में एक साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही 27 अक्टूबर के उस आदेश को भी रद करने की मांग की गई, जिसके तहत उनका रोडवेज के जीएम कार्यालय में तबादला कर दिया गया।
याची के अनुसार सरकार का यह निर्णय कानूनन गलत है क्योंकि हरियाणा राज्य परिवहन में कही भी यह पद नहीं है, ऐसे में वो वहां जाकर क्या करेंगे। ज्ञात रहे कि डीटीओ कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हरियाणा सरकार के विभिन्न जिलों में डीटीओ कार्यालय के कर्मचारी को रोडवेज व रोडवेज के कर्मचारी को डीटीओ कार्यालय में ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए थे।