शहर में झुकते पेड़ गिरकर बन रहे लोगों की जान के लिए आफत
मथुरादास लाजवंती सुभाष हितैषी फाउंडेशन की बैठक में पंचकूला में 20 से 40 फुट ऊंचे वृक्षों के गिरने से शहरवासियों को गंभीर रूप से चोटिल होने पर चिता व्यक्त की गई।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : मथुरादास लाजवंती सुभाष हितैषी फाउंडेशन की बैठक में पंचकूला में 20 से 40 फुट ऊंचे वृक्षों के गिरने से शहरवासियों को गंभीर रूप से चोटिल होने पर चिता व्यक्त की गई। चेयरमैन भारत हितैषी ने बताया कि शहर के वृक्षों की ऊंचाई 20 से 40 फुट हो चुकी है और वृक्षों की नियमित प्रूनिग न किए जाने के कारण वृक्ष एक तरफ झुकते जा रहे हैं, जो कभी भी गिरकर शहरवासियों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। भारत हितैषी ने बताया कि एक जुलाई को सेक्टर-10 के मकान नंबर 201 निवासी 75 वर्षीय सुभाष भारद्वाज सैर कर रहे थे कि अचानक मकान नंबर 205 के सामने एक ऊंचा वृक्ष उन पर आ गिरा और उनके पैर की दो हड्डियों में फ्रैक्चर हो गया। दो महीने के लिए उन्हें प्लास्टर लगाया गया है। सुभाष भारद्वाज के अनुसार वृक्ष गिरने के समय कोई आंधी, तूफान या बारिश नहीं हो रही थी।
फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक डा. एस कुमार और प्रधान एनसी स्वामी, एसपी विज ने बताया कि 20 दिन पहले सेक्टर-10 के मकान नंबर 172-173 के मध्य एक बहुत बड़ा वृक्ष जड़ से उखड़ कर गिर गया, जोकि किसी भी सेक्टर वासी के लिए जानलेवा हो सकता था। उन्होंने बताया कि 20 दिन बीत जाने पर वह आज भी गिरा हुआ है। वृक्ष मकान नंबर 172-173 के सामने बिखरा पड़ा है और नगर निगम सोया पड़ा है। संरक्षक बीएम कौशिक, मुख्य मार्गदर्शक एसके शर्मा, मुख्य सलाहकार प्रो. बीके गुप्ता, दिनेश सिगला, संगठन सचिव सुभाष शर्मा, सचिव प्रेम लाल गुप्ता ने मांग की कि नगर निगम के बागवानी विभाग को नियमित रूप से शहर के वृक्षों की लंबाई मोटाई ऊंचाई की जांच करनी चाहिए और इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि क्या वृक्ष के नीचे की जमीन वृक्ष को मजबूती से पकड़ने के योग्य है या नहीं!
फाउंडेशन के मार्गदर्शक अमित गुप्ता, कुसुम अरोड़ा, शिव कुमार वर्मा, एनके खोसला, जीडी बत्रा, तरसेम गर्ग, आरके शर्मा, सतीश गोयल ने नगर निगम महापौर कुलभूषण गोयल एवं आयुक्त धर्मवीर सिंह से मांग की कि पंचकूला शहर में लगे वृक्षों की नियमित प्रूनिग एवं छंटाई की जाए, ताकि बारिश और आंधी, तूफान में वृक्ष किसी भी नागरिक को नुकसान ना पहुंचाएं। भारत हितैषी ने आग्रह किया कि वृक्षों की कटाई के बाद साथ-साथ कटी हुई टहनियों और पत्तों के ढेर को उठाएं, ताकि इस कचरे से पानी की निकासी के लिए बने ड्रेनेज सिस्टम ब्लॉक ना हो और जलभराव की स्थिति पैदा ना करें।