रेणुका डैम के पूरे पानी पर हक जता रहा था दिल्ली, हरियाणा ने एेसे दी मात
हरियाणा ने दिल्ली को पानी के मामले में एक बार फिर मात दी है। इस बार मामला रेणुका डैम से मिलने वाले पानी का है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पानी के मामले में दिल्ली की सरकार को हरियाणा से फिर मात मिली है। दिल्ली ने हिमाचल प्रदेश में बनने वाले रेणुका डैम से छोड़े जाने वाले पूरे पानी पर अपना दावा ठोका था। लेकिन, हरियाणा की आपत्ति के बाद दिल्ली का यह दावा खारिज कर दिया गया है। ऊपरी यमुना नदी बोर्ड ने दिल्ली के दावे को रद कर दिया।
जानकारी के अनुसार, आरंभ में दिल्ली की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रेणुका डैम से छोड़े जाने वाला समस्त पानी को दिल्ली को देने का प्रस्ताव था। हरियाणा की आपत्ति के बाद अब डैम में स्टोर होने वाले अतिरिक्त पानी को ही दिल्ली को उपलब्ध कराया जाएगा। ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाइआरबी) ने यह निर्णय लिया है।
डैम के निर्माण के बाद बचने वाला अतिरिक्त पानी ही दिल्ली को मिलेगा
भंडारण के बाद हिमाचल की गिरि नदी से बहने वाला अतिरिक्त पानी ही दिल्ली को मिलेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किशाऊ और रेणुका बांध निर्माण के लिए समझौता करने की सहमति दे दी है। इसके तहत यमुना नदी की दो सहायक नदियों टोंस और गिरि पर 1.04 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) और 0.404 एमएएफ पानी हो जाएगा। दोनों बांध 660 मेगावाट और 40 मेगावाट बिजली भी पैदा करेंगे।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल की मौजूदगी में इसी साल 28 अगस्त को लखवार परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैैं। दूसरा एमओयू साइन होने के बाद दिल्ली को अतिरिक्त कच्चे पानी की आपूर्ति करने का हरियाणा का दबाव कम होगा। किशाऊ परियोजना देहरादून (उत्तराखंड) और सिरमौर (हिमाचल प्रदेश) जिलों में टोंस नदी पर स्थित है, जो यमुना की सहायक नदी है। इससे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की लगभग 2950 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) और हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) इस संयुक्त उद्यम को पूरा करेंगे। 12 मई 1994 के एमओयू के अनुसार भागीदार राज्यों द्वारा अपने हिस्से के अनुपात में पानी लिया जाएगा जबकि बिजली की आपूर्ति उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को की जाएगी। रेणुका परियोजना जिला सिरमौर (हिमाचल) प्रदेश में यमुना नदी की सहायक गिरि नदी पर स्थित है। इससे हिमाचल की 1216 हैक्टेयर भूमि जलमग्न होगी।
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' 9588 करोड़ की परियोजना में हरियाणा का हिस्सा 458 करोड़'
'' इन परियोजनाओं की कुल लागत 9588.60 करोड़ रुपये है। राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित होने के कारण 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। शेष 10 प्रतिशत राशि में हरियाणा अपने हिस्से के 458.52 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा।
- राजीव जैन, मीडिया सलाहकार, सीएम हरियाणा।