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आक्सीजन कमी से मौतों के आंकड़े पर हरियाणा विधानसभा में मनोहर लाल व भूपेंद्र सिंह हुड्डा में नोकझोंक

हरियाणा विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा में जमकर वाद विवाद हुआ। मनोहर लाल ने कहा कि आक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई जबकि हुड्डा ने कहा कि वह सदन को गुमराह कर रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 03:39 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 09:49 PM (IST)
आक्सीजन कमी से मौतों के आंकड़े पर हरियाणा विधानसभा में मनोहर लाल व भूपेंद्र सिंह हुड्डा में नोकझोंक
मनोहर लाल व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की कमी से मौतों के आंकड़ों को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में शून्यकाल के दौरान जमकर हंगामा हुआ। सदन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच एक बार फिर तीखी बहस हुई। सरकार ने सत्र की शुरूआत में शुक्रवार को बयान दिया था कि राज्य में आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। तब भी हुड्डा और मनोहर लाल के बीच तीखी बहस हुई थी।

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सोमवार को सदन में पूर्व सीएम हुड्डा ने सवाल किया कि जिस परिवार में आक्सीजन की कमी से मौत हुई है, उसमें सरकार के इस बयान को लेकर क्या बीत रही होगी। हंगामे के बाद सीएम ने घोषणा कि कोरोना में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार किसी भी चिकित्सकीय लापरवाही या आक्सीजन की कमी के आरोपों की उच्चस्तरीय कमेटी से जांच कराई जाएगी।

नेता प्रतिपक्ष हुड्डा ने शून्यकाल की शुरूआत में कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर सरकार के बयान पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह कैसे कहा जा सकता है कि राज्य में आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। उन्होंने आंकड़े रखे कि अकेले गुरुग्राम में आठ मौत आक्सीजन की कमी के चलते हुई। इस पर सीएम ने कहा कि वे मंगलवार को सदन में इस मुद्दे पर अपना बयान जारी करेंगे। हुड्डा ने नेता सदन के कथन का विरोध करते हुए कहा कि फिर सरकार कोरोना से हुई मौतों पर शुक्रवार को दिए बयान को वापस ले।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वे कोरोना की वैश्विक महामारी के लिए सरकार को दोषी नहीं ठहरा रहे हैं, मगर सरकार का यह बयान कतई गले नहीं उतरेगा कि आक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी थी मरीजों की जान की रक्षा करने की और इस बाबत सरकार ने प्रयास भी किए गए। उनके दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी मरीजों के लिए हर संभव चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई।

सीएम ने बताया कि कोरोना से राज्य में 13 हजार मौत हुईं। इनमें से 3500 लोग बाहर के थे। उन्होंने बताया कि सरकार के पास तीन शहरों हिसार, रेवाड़ी और गुरुग्राम में चिकित्सकीय लापरवाही की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट आई हैं। इसमें गुरुग्राम, रेवाड़ी में यह पाया गया कि यहां मौत आक्सीजन की कमी से नहीं हुई। हिसार के सोनी अस्पताल में हुई मौत के मामले में भी यह रिपोर्ट आई कि वहां लापरवाही हुई है। सीएम के बयान से असंतुष्ट हुड्डा ने इसके बाद मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पढ़नी शुरू कर दी। इस पर नेता सदन मनोहर लाल ने सरकार कोरोना से हुई मौतों की बाबत एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करेगी। यह रिपोर्ट सदन में रखी जाएगी।

स्पीकर से भी उलझे हुड्डा

शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष इतने उत्तेजित हो गए कि वे विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से भी उलझ गए। उन्होंने अध्यक्ष से कहा कि यह उनका अधिकार है कि वह नेता सदन से राज्य के ज्वलंत मुद्दे पर जवाब मांग सकते हैं। लेकिन बीच में आप ही स्पीकर से लेकर सरकार की तरफ से भी जवाब दे देते हैं। हालांकि इसी दौरान सीएम मनोहर लाल ने हुड्डा के हर सवाल का जवाब दिया।

कमल गुप्ता ने कांग्रेस को घेरा

कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर हंगामे के बीच हिसार से भाजपा विधायक डाक्टर कमल गुप्ता ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि यह महामारी वैश्विक थी। इससे निबटने के आंकड़ों पर नजर डालें तो विश्व और विकसित देशों की तुलना में भी राज्य सरकार के प्रयास काफी सार्थक रहे हैं। महामारी के दौरान कुछ हादसे होते हैं मगर यह देखा जाना चाहिए कि सरकार के प्रयास कैसे रहे। कमल गुप्ता ने कांग्रेस सदस्यों के हंगामे पर कहा कि डाक्टरों पर आरोप लगाकर जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, यह गलत है। इससे तो डाक्टर मरीज को देखने में कतराएंगे।

विश्वविद्यालयों में राजनीति पर सदन में छिड़ी बहस, कोई झुकने को तैयार नहीं

हरियाणा के विश्वविद्यालयों को राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल करने पर विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा व जजपा गठबंधन तथा विपक्ष में बैठी कांग्रेस के बीच जमकर तर्क-वितर्क हुए। कांग्रेस ने विश्वविद्यालयों में राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर सवाल उठाए तो जवाब में सरकार ने कहा है कि कांग्रेस भी ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालयों में करती रही है। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी विश्वविद्यालयों व कालेजों में छात्र-छात्राओं से संवाद करने जाते हैं। पहले आप अपने नेता को ऐसा करने से रोकिए।

कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने एक सवाल के जरिये सरकार से पूछा कि 2019 से आज तक राज्य के कितने विश्वविद्यालयों में किस-किस राजनीतिक दल ने कितने कार्यक्रम आयोजित किए और क्या ऐसे आयोजन उचित हैं। इसके जवाब में शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि जननायक जनता पार्टी व भारतीय जनता पार्टी द्वारा दो राजनीतिक कार्यक्रम एमडीयू रोहतक में आयोजित कराए गए हैं। इसके लिए अनुमति देने का अधिकार कुलपति का होता है। दोनों राजनीतिक दलों के लोगों ने एक बार 59 हजार रुपये तथा दूसरी बार एक लाख 77 हजार रुपये किराये के रूप में जमा कराए हैं।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि विधायक ने 2019 से अब तक हुए राजनीतिक कार्यक्रमों की जानकारी मांगी है, लेकिन वह भूल रहे हैं कि कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ ने भी 2017 में एक कार्यक्रम किया था। विधायक बीबी बत्रा मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक दलों के झंडे लगने से उचित संदेश नहीं जाता है। पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने भी इसका विरोध किया। माहौल गरम होता देख मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मोर्चा संभाला।

मनोहर लाल ने कहा कि विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्था होती है। अपनी आय में बढ़ोतरी के लिए विश्वविद्यालयों को यह अधिकार है कि वे कोई भी उचित साधन अपनाएं। किसी भी कार्यक्रम की अनुमति देना कुलपति के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसे में यदि भविष्य में इन विश्वविद्यालयों में कोई राजनीतिक आयोजन नहीं होना है तो यह विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर फैसला लेना होगा। इसमें सरकार का न तो कोई हस्तक्षेप है और न ही किसी तरह की भूमिका है।


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