दहिया दंपती के पास हैं 786 नंबर वाले एक हजार नोट
संस, कालका : दहिया दंपती को खास नंबर वाले नोट एकत्र करने का अनूठा शौक है। अंदाजा इसी से
संस, कालका : दहिया दंपती को खास नंबर वाले नोट एकत्र करने का अनूठा शौक है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके पास 786 नंबर वाले एक हजार नोट मौजूद हैं। राज सिंह दहिया रेलवे में गार्ड मेल एक्सप्रेस पद पर तैनात हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पत्नी जयवंती दहिया के साथ मिलकर अपने इस शौक को जुनून बना लिया है। यही वजह है कि उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में पहले ही दर्ज हो चुका है। दहिया के मुताबिक अब उनका नाम कलाम बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हुआ है।
दहिया के पास ऐसे एक हजार नोट मौजूद हैं, जिनके नंबर में कहीं न कहीं समान रूप से 786 नजर आता है। इस सीरिज के हजार नोट एकत्र करने की उपलब्धि हासिल करने वाले राज सिंह दहिया वैसे तो इन दिनों कालका में रह रहे हैं, लेकिन वे स्थायी रूप से आजाद नगर रोहतक के रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि उनके पास जो नोट हैं, उनके नंबर के आखिरी अंक 000786 या 999786 हैं। इसी संग्रह की वजह से उनका नाम कलाम बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुआ है। अपने बेटे से हुए प्रेरित
राज सिंह दहिया ने बताया कि साल 1993 में एक साल सहारनपुर, 1994 से 2014 तक बठिंडा में कार्य किया है। सन 2014 में पदोन्नत होकर वे कालका में आए। उन्होंने बताया कि उन्हें रेलवे में पहले वेतन के तौर पर नए नोट मिलते थे। लगभग हर माह वे 10 रुपये के नए नोट का पैकेट 786 नंबर वाले ही लेते थे। उनकी पत्नी जयवंती दहिया 786 वाला नोट अलग से रख लेती थी। जयवंती ने बताया कि साल 2012 में उनके बेटे जयराज दहिया की माचिस संग्रह की प्रदर्शनी देखकर हमने भी संग्रह करने की सोची। तब तक जयवंती दहिया के पास काफी संख्या में 786 नंबर वाले नोट एकत्र हो चुके थे। जयवंती ने बताया कि वह एक घरेलू महिला हैं। उनके दो बच्चे बेटा जयराज दहिया और एक बेटी कनिश्का हैं। सालगिरह बना यादगार
उन्होंने बताया कि कलाम बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज होने का पत्र उन्हें शादी की सालगिरह से एक दिन पहले मिला है। इस तरह उनकी 26वीं सालगिरह निश्चित रूप से यादगार होगी।
केवल नोट ही नहीं, रेलवे टिकट भी
जयराज दहिया का नाम 2017 में अपने पिता के साथ लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो चुका है। राज सिंह दहिया के पास ऐसे रेलवे रिर्जवेशन टिकट हैं, जिस पर 6 बार 786 अंकित है। इस टिकट के संग्रह की वजह से उनका नाम कलाम बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हुआ है। उन्होंने बताया कि इस टिकट को प्राप्त करने में लगभग ढाई साल का समय लगा।
और भी कई उपलब्धि
राज सिंह दहिया का नाम कोहिनूर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड, यूनिक बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड और लगातार 3 बार लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो चुका है। उन्होंने बताया कि उन्हें खुशी है कि वह रेलवे में हैं। उन्होंने रेलवे टिकटों का संग्रह कर रिकार्ड बनाया है। इस पर विभाग की ओर से उन्हें सराहना भी मिली है। इसके लिए डीआरएम अंबाला ने साल 2017 में अवार्ड से सम्मानित भी किया था। रेलवे की विभागीय पत्रिकाओं में भी राज सिंह दहिया को कई बार जगह मिल चुकी है।