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सत्ता के गलियारे की अंदर की बातें... हमें हारा हुआ मंत्री न बोलिए प्लीज

सत्ता के गलियारों में कई तरह की चर्चाएं होती हैं जो खुलकर खबरें नहीं बन पाती। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही बातों को।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 03:43 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 08:58 PM (IST)
सत्ता के गलियारे की अंदर की बातें... हमें हारा हुआ मंत्री न बोलिए प्लीज
सत्ता के गलियारे की अंदर की बातें... हमें हारा हुआ मंत्री न बोलिए प्लीज

जेेेेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति के रंग भी निराले हैं। पिछली सरकार में जिन भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विरुद्ध अंदरूनी बगावत का झंडा उठाया था, उन्हें तब बागी विधायक कहलवाना पसंद नहीं था। इन विधायकों की दलील थी कि वे बागी नहीं बल्कि सुधारक विधायक हैं। इस बार भाजपा सरकार में ही जो आठ मंत्री चुनाव हारे हैं, उनमें से कई को पराजित मंत्री कहलवाना पसंद नहीं है।

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चुनाव हारे इन मंत्रियों की दलील है कि उन्हें योजनाबद्ध रूप से बार-बार पराजित मंत्री कहकर प्रचारित किया जा रहा है। इसका असर यह हो रहा कि जहां भी यह मंत्री लोगों या कार्यकर्ताओं के बीच जा रहे, वहीं उन्हें पूर्व मंत्री के रूप में स्वीकार करने की बजाय पराजित मंत्री के रूप में अंगीकार किया जा रहा है। इन चुनाव हारे मंत्रियों की दलील है कि जहां भी जाओ, वहीं लोग उन्हें ऐसी निगाह से देखते हैं, मानों उनसे पहले आज तक कोई मंत्री चुनाव न हारा हो। हार-जीत तो लगी रहती है, लेकिन यह पूर्व मंत्री चाहते हैं कि उनके साथ पराजित मंत्री के नाम का तमगा लगाना बंद किया जाए, ताकि वह अपनी पुरानी हार को भुलाकर नए सिरे से संगठन की मजबूती के लिए काम कर सकें।

हार में भी ढूंढा जीत का मूलमंत्र

हरियाणा में इस बार जो चुनाव नतीजे आए, उनके लिए भाजपा किसी सूरत में तैयार नहीं थी। लगातार मंथन बैठकों के दौर चल रहे। हार के कारण खोजे जा रहे। कोई जन आशीर्वाद यात्रा पर अंगुली उठा रहा तो कोई कह रहा कि जन आशीर्वाद यात्रा से बढिय़ा माहौल बना है। कोई वरिष्ठ नेताओं का सहयोग नहीं मिलने से आहत है तो कोई अधिकारियों के बदले रुख का शिकार है।

बहरहाल, पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु नारनौंद विधानसभा सीट से हुई अपनी हार में भी पाजीटिव दृष्टिकोण ढूंढ रहे हैं। उनके समर्थकों ने गुणा भाग लगाकर दावा किया कि पूरे हरियाणा में नारनौंद एकमात्र ऐसी विधानसभा सीट है, जहां लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिले मतों से अधिक वोट विधानसभा चुनाव में मिले हैं। मेवात की दो सीटें अपवाद हैं। बाकी तमाम सीटें ऐसी हैं, जहां लोकसभा चुनाव से कम वोट मिले हैं। कैप्टन के समर्थकों ने हार में ही जीत का मंत्र ढूंढकर आगे की तरफ रुख कर लिया है। भाजपा के दिल्ली दरबार में भी इस गणित की जानकारी दे दी गई है। अब देखते हैं कि इसके क्या और किस तरह के नतीजे सामने आते हैं।

बड़े पंडित जी नहीं बनेंगे महामहिम

बड़े पंडितजी चुनाव क्या हारे उनके शुभचिंतक उन्हें पूर्वोत्तर राज्यों में से किसी एक राज्य का महामहिम बनाने पर तुल गए हैं। हालांकि पिछले दिनों अपनी पार्टी की प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा लेने बड़े पंडित जी जब नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन पहुंचे तो उन्होंने साफ कह दिया था कि वे महामहिम नहीं बनेंगे क्योंकि अभी तो वे न तो टायर्ड हैं और न ही रिटायर्ड। वैसे एक बात बता दें, बड़े पंडितजी का सम्मान पूरा है। जब कोर कमेटी की बैठक होने में समय बकाया था तो बड़े पंडित जी सूबे के बड़े डंडादार दाढ़ी वाले बाबा के कमरे में आ गए। दाढ़ी वाले बाबा बेशक कितने भी डंडादार हों मगर वे बड़े पंडित जी के सामने पूरी तरह निष्ठावान कार्यकर्ता की तरह नजर आए और उन्होंने कमरे में बड़े पंडित जी के लिए अपनी कुर्सी भी छोड़ दी थी।

गुर्जर के पड़ोसी हो गए कटारिया

केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया अब दिल्ली अपने साथी केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के पड़ोसी हो गए हैं। गुर्जर आठ तुगलक लेन पर रहते हैं तो कटारिया को अब केंद्र में राज्य मंत्री होने के कारण तुगलक लेन पर दो नंबर आवास आवंटित हो गया है। कटारिया ने पिछले दिनों खुद इसकी जानकारी गुर्जर को दी। गुर्जर ने भी कटारिया को शुभकामनाएं दीं। असल में दोनों मंत्री एक ही मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं और अब दिल्ली में पड़ोसी भी हो गए हैं। गुर्जर और कटारिया दोनों के बीच मैत्री नोंकझोंक भी चलती रहती है। पिछले दिनों जब कटारिया और गुर्जर नई दिल्ली के हरियाणा भवन में भाजपा कोर कमेटी की बैठक में जा रहे थे तो कटारिया ने मीडिया का हाथ उठाकर अभिवादन किया। इस पर गुर्जर ने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे कटारिया साहब को ही विशेष रूप से छापें।

विधानसभा से चूके, अब राज्यसभा पहुंचने के सपने

विधानसभा चुनाव में शिकस्त के चलते सरकार में दखल कम होने से परेशान भाजपा के कई दिग्गजों ने अब राज्यसभा में पहुंचने का ख्वाब देखना शुरू कर दिया है। न केवल सपने ले रहे, बल्कि गोटियां फिट करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। हरियाणा में भाजपा कोटे की दो राज्यसभा सीटें अब खाली हैं, जबकि तीसरी कांग्रेस कोटे की सीट कुछ दिनों बाद खाली हो जाएगी। भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। पार्टी में करीब आधा दर्जन बड़े चेहरे राज्यसभा पहुंचने की लॉबिंग में जुटे हैं तो सहयोगी जजपा में भी संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को भरोसा दिया जा रहा। समर्थक भी अपने आकाओं की राज्यसभा में एंट्री पक्की बता माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इस दावे में दिग्गजों को कम से कम अपने समर्थकों को जोड़े रखने में तो मदद मिलेगी ही।

रिटायर्ड आइएएस से बेटी खाली कराएगी बंगला

अफसरशाही में रिटायरमेंट के बाद क्या-क्या दिन देखने पड़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। बीते 30 जून को रिटायर हुए हरियाणा काडर के आइएएस अनिल कुमार चंडीगढ़ में जिस सरकारी बंगले में रहे थे, वह उन्हें चार महीने में खाली करना था। अब यूटी प्रशासन ने उनकी ही एसडीएम बेटी की ड्यूटी लगाई है जो उनसे बंगला खाली कराएगी। इसको लेकर अफसरशाही में खूब चर्चा है। यूटी प्रशासन की हाउस अलॉटमेंट कमेटी ने एसडीएम सेंट्रल नाजुक कुमार को सेक्टर 16 स्थित सरकारी मकान नंबर 514 में रह रहे उनके पिता से बंगला खाली कराने के निर्देश दिए हैं। चंडीगढ़ प्रशासन में गृह सचिव रह चुके अनिल कुमार को 31 अक्टूबर तक मकान खाली करना था, लेकिन उन्होंने नहीं किया। अफसरों की निगाह पिता के विरुद्ध बेटी के एक्शन पर टिकी है।

बदल दिए इंस्पेक्टर, नहीं मिला दया

दाढ़ी वाले बाबा ने सूबे का गृहमंत्री बनते ही पुलिस और सीआइडी को हाइटेक बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। खासकर टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले सीरियल 'सीआइडी' के नायक दया के मुरीद विज ने पहले ही दिन साफ कर दिया कि उन्हें भी अपने महकमे में ऐसे ही अफसर चाहिए। आनन-फानन में लंबे समय से एक ही जगह पर जमे सीआइडी इंस्पेक्टरों के तबादले भी कर दिए, लेकिन फिलहाल तो विज की तलाश पूरी नहीं हो पाई है। लिहाजा गृह मंत्री ने पुलिस के पेंच जरूर कस दिए हैं जिसके खिलाफ उनके पास शिकायतों के ढेर लगे हैं। गृहमंत्री के तेवरों को देख बड़े अफसर भी अपने मातहतों को चौकस होकर काम करने की ट्रेनिंग देने में लगे हैं ताकि किसी पर गाज न गिर जाए। (प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, बिजेंद्र बंसल एवं सुधीर तंवर)

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