गुरमीत राम रहीम को हाे सकती है बड़ी सजा, गंभीर धाराओं में हुआ दोषी करार
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में भी दोषी करार दिया गया है। पंचकूला की विशेष सीबीआइ ने थोड़ी देर पहले फैसला सुनाया।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में बड़ी सजा हो सकती है। कानूनविदों का मानना है कि गुरमीत राम रहीम और तीन अन्य अारोपितों को गंभीर धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया। पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत के जज जगदीप सिंह ने गुरमीत सहित चार आरोपिताें को इस शुक्रवार को दोषी करार दिया था। अदालत सजा पर फैसला 17 जनवरी को सुनाएगी। गुरमीत अभी साध्वी दुष्कर्म मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में 20 कैद की सजा काट रहा है। गुरमीत के साथ कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल सिंह को दोषी करार दिया गया है। सीबीआइ के वकील एचपीएस वर्मा के अनुसार इस मामले में कम से कम उम्रकैद व अधिकतम फांसी की सजा सुनाई जा सकती है।
छत्रपति हत्याकांड में भी दोषी करार, 17 जनवरी को सुनाई जाएगी सजा
पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ अदालत ने शुक्रवार को गुरमीत को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी करार दिया। डेरा सच्चा सौदा के तत्कालीन प्रबंधक कृष्णलाल, कारपेंटर निर्मल और कुलदीप सिंह को भी भादसं की विभिन्न धाराओं में दोषी माना। इन चारों को सजा 17 जनवरी को सुनाई जाएगी। अभी तय नहीं है कि गुरमीत को सजा सुनाने के लिए पंचकूला बुलाया जाएगा या फिर कोर्ट सुनारिया जेल में लगेगी। गुरमीत और कुलदीप को धारा भादसं की 302 और 120बी के तहत और कृष्ण लाल और निर्मल सिंह को भादसं की धारा 302, 120बी और आर्म्स एक्ट का दोषी करार दिया गया।
विशेष सीबीआइ कोर्ट ने तीन अन्य को भी दोषी करार दिया, उम्रकैद या फांसी की सजा सुनाई जा सकती है
मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल सिंह को अदालत में पेश किया गया। गुरमीत राम रहीम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनारिया जेल से ही पेश हुआ। इस दौरान पंचकूला के पूरे अदालत परिसर की पुलिस ने एक तरह से किलबंदी कर दी गई थी। कोर्ट परिसर और आसपास के क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी। वरिष्ठ पुलिस अफसर भी वहां मौजूद रहे। साध्वी दुष्कर्म मामले में गुरमीत राम रहीम को जज जगदीप सिंह इने ही सजा सुनाई थी। गुरमीत सुनारिया जेल में दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में 20 साल कैद की सजा काट रहा है।
कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुर गुरमीत राम रहीम ने जज का फैसला सुना तो उसके चेहरे पर मायूसी छा गई। विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद कुलदीप, कृष्ण लाल और निर्मल को हिरासत में ले लिया गया है। तीनों को अंबाला जेल भेज दिया जाएगा।
सीबीआइ ने साबित किया रामचंद्र छत्रपति को किशनलाल की रिवाल्वर थी
बता दें कि सीबीआइ ने चश्मदीदों के अलावा कोर्ट में यह भी साबित किया कि जिस रिवाल्वर से रामचंद्र को गोली मारी गई थी, वह आरोपित किशन लाल की लाइसेंसी रिवाल्वर थी। किशन लाल ने 23 अक्टूबर को यह रिवाल्वर आरोपित निर्मल सिंह और कुलदीप को दी थी। इस तथ्य को सीबीआइ ने ब्लेस्टिक एक्सपर्ट से भी कोर्ट में साबित करवाया। एक्सपर्ट ने कोर्ट में बताया था कि गोली उसी रिवाल्वर से चली थी, जोकि किशन लाल के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद दोषियों को अंबाला जेल जाती पुलिस।
राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह की गवाही रही अहम
गुरमीत राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह ने गवाही मेें कहा था कि पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने के लिए डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल सिंह को आदेश दिया था। गुरमीत राम रहीम 23 अक्टूबर 2002 को जालंधर के एक सत्संग से वापिस सिरसा पहुंचा, तो उसे कृष्ण लाल ने अखबार दिखाया, जिसमें साध्वियों के यौन शोषण के बारे में खबर छपी थी। खबर पढ़ते ही गुरमीत तिलमिला उठा। उसने मेरे सामने कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल को आदेश दिया कि रामचंद्र छत्रपति को मौत के घाट उतार दो। 24 अक्टूबर 2002 को रामचंद्र छत्रपति को उसके घर के बाहर गोलियों से भून दिया गया था।
एक बार गवाही देने के बाद मुकर गया था खट्टा सिंह
वैेसे बाद में खट्टा सिंह एक बार में मामले में अपने बयान से मुकर गया था। राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में सजा होने के बाद एक बार फिर खट्टा सिंह सामने आया और उसने सीबीआइ कोर्ट में अपने बयान दर्ज करवाए और अपना पुराना बयान दाेहराया। खट्टा सिंह ने कहा था कि वर्ष 2012 से 2018 तक वह डेरा प्रमुख के खिलाफ इसलिए सामने नहीं आया था, क्योंकि डेरा प्रमुख खुलेआम घूम रहा था। उसके परिवार को जान का खतरा बना हुआ था। खट्टा सिंह ने सीबीआइ अदालत में बताया था कि यदि वह डेरा प्रमुख के खिलाफ पहले बयान दे देता, तो उसे और उसके बेटे को डेरा प्रमुख जान से मरवा सकता था। इसकी मुझे धमकियां मिली थीं।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में सीबीआइ कोर्ट के समक्ष बयान दिया था कि उसे राम रहीम के खिलाफ बयान देने का दबाव डाला जा रहा है। खट्टा सिंह कह चुका था कि उसे इन मामलों में डेरा प्रमुख की भूमिका के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन 25 अगस्त 2017 को गुरमीत सिंह के साध्वी यौन शोषण मामले में सजा होने के बाद खट्टा सिंह ने दोबारा गवाही देने के लिए मौका मांगा था।
पूरे राज्य में कड़ी सुरक्षा, विशेष जज जगदीप सिंह की सुरक्षा भी पुख्ता की गई
फैसले के मद्देनजर पंचकूला शहर, पंचकूला के कोर्ट परिसर, रोहतक के सुनारिया जेल परिसर और सिरसा शहर व वहां डेरा सच्चा सौदा के आसपास कड़ी सुरक्षा है। पंचकूला में कोर्ट परिसर में सीबीआइ के विशेष जज जगदीप सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में लाया गया। मूल रूप से जींद के रहने वाले जगदीप सिंह ने ही साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा मुखी को सजा सुनाई थी।
पंचकूला के कोर्ट परिसर में तैनात पुलिसकर्मी।
सीबीआइ ने मामले में पेश किए 46 गवाह
बचाव पक्ष और सीबीआइ के वकील अपनी दलीलें कोर्ट के समक्ष पहले ही रख चुके थे। 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को गोलियाें से छलनी कर दिया गया था और 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति की मौत हो गई थी।
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने पहले ही साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में रामचंद्र छत्रपति ने साध्वियों का खत अपने अखबार में प्रकाशित किया था। आरोप है कि इसके बाद राम रहीम ने छत्रपति को मौत के घाट उतरवा दिया था। रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति ने बताया कि उनके पिता रामचंद्र छत्रपति ने ही सबसे पहले गुरमीत राम रहीम के खिलाफ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी पीडि़त साध्वी की चिट्ठी छापी थी। साल 2002 में इस रेप केस की जानकारी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने पहली बार दी थी।
सिरसा मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर दडबी गांव के रहने वाले रामचंद्र छत्रपति सिरसा जिले से रोज शाम को निकलने वाला अखबार छापते थे। ना सिर्फ छत्रपति ने चिट्ठी छापी बल्कि उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पीडि़त साध्वी से इस पत्र को प्रधानमंत्री, सीबीआई और अदालतों को भेजने को कहा था। उन्होंने उस पत्र को 30 मई 2002 के अंक में छापा था, जिसके बाद उनको जान से मारने की धमकियां दी गईं।
24 सितंबर 2002 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए। इस बीच छत्रपति को जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं। 24 अक्टूबर को छत्रपति शाम को आफिस से लौटे थे। उस समय उनकी गली में कुछ काम चल रहा था और वह उसी को देखने के लिए घर से बाहर निकले थे। उसी समय दो लोगों ने उन्हें आवाज देकर बुलाया और गोली मार दी। 21 नवंबर को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।
रामचंद्र छत्रपति ने न्याय के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
इसके बाद उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पिता की मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी। जनवरी 2003 में अंशुल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सीबीआई जांच करवाने के लिए याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने नवंबर 2003 में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। अपने पैतृक गांव दडबी में खेती किसानी करने वाला अंशुल अपनी मां कुलवंत कौर, छोटे भाई अरिदमन और बहन क्रांति और श्रेयसी के साथ अपने पिता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। अंशुल ने बताया कि हमने एक ताकतवर दुश्मन के साथ इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है और उम्मीद है कि 16 साल बाद अब हमें इंसाफ मिल जाएगा।
इस मामले में सीबीआइ की ओर से 46 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। बचाव पक्ष की ओर 21 गवाही पेश किए गए थे। हत्या के चश्मदीद रामचंद्र के बेटे अंशुल और अदिरमन थे। जिन्होंने कोर्ट में आंखों देखी ब्यां की थी। इसके अलावा हत्या के षड्यंत्र के बारे में गवाह खट्टा सिंह ने कोर्ट में बयान दिए थे। साथ ही डाक्टरों की भी गवाहियां हुई थी। बचाव पक्ष की दलीलें थी कि राम रहीम का पहली बार 2007 में केस में सामने आया था। साथ ही किसी भी आरोपित की पहचान नहीं हुई थी। मामले की जांच डीएसपी सतीश डागर और डीआइजी एम नारायणन ने की थी। कोर्ट मेें केस को साबित करने के लिए एडवोकेट एचपीएस वर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
-------------
रोहतक और सुनारिया जेल के आसपास के कड़ी सुरक्षा
रोहतक शहर, सुनारिया जेल और आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए। जेल के आसपास और शहर के मुख्य आठ नाकों पर पुलिस ने सख्त जांच पड़ताल के बाद ही लोगों को गुजरने दिया। जेल परिसर के आसपास ड्रोन कैमरे और घोड़ा पुलिस के माध्यम से भी सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई। जेल परिसर के आस-पास तथा शहर में कुल आठ नाके बनाए गए, जहां पर छह-छह पुलिसकर्मियों को जांच के लिए तैनात किया गए थे।
सिरसा में वीटा मिल्क प्लांट के पास तैनात पुलिस।
रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में अब तक का घटनाक्रम
- पत्रकार रामचंद्र छत्रपति द्वारा 'पूरा सच' में 30 मई 2002 को धर्म के नाम पर किया जा रहा है साध्वियों का जीवन बर्बाद समाचार प्रकाशित किया गया।
- 4, 7 और 27 जून 2002 को डेरा सच्चा सौदा से जुड़े बड़े समाचार प्रकाशित किए।
- डेरा अनुयायियों ने पूरा सच के खिलाफ कार्रवाई करने व प्रतिबंध की रखी मांग।
- 2 जुलाई 2002 को एसपी सिरसा को डेरे की धमकियों से अवगत करवाया और सुरक्षा की मांग रखी।
- अक्टूबर 2002 में डेरा के प्रबंधक कृष्ण लाल पूरा सच कार्यालय पहुंचे और यहां उन्होंने डेरे के विरूद्ध खबर लिखने के मामले को बंद करने को कहा।
24 अक्टूबर 2002 को डेरा में कारपेंटर का काम करने वाले दो युवकों ने रामचंद्र छत्रपति को उनके घर के बाहर गोली मारी। एक पकड़ लिया गया। शहर थाना में केस दर्ज।
- 24 अक्टूबर 2002 को एसआइ ने बयान दर्ज किए, लेकिन डेरा प्रमुख का नाम नहीं लिखा।
- 29 अक्टूबर 2002 को कृष्ण लाल ने सीजेएम फिरोजपुर की कोर्ट में सरेंडर किया।
- छत्रपति का 8 नवंबर 2002 तक क पीजीआइ रोहतक में चला इलाज। इसके बाद अपोलो भेज दिया गया।
- 8 नवंबर 2002 को ही छत्रपति के पिता सोहन राम ने मजिस्ट्रेट से बयान करवाए जाने की दरखास्त दी।
- 21 नवंबर को रामचंद्र छत्रपति का देहांत हो गया।
- 5 दिसंबर 2002 को सिरसा पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में दायर की चार्जशीट, डेराप्रमुख का नाम नहीं था।
- 2003 : अंशुल छत्रपति ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की।
- 10 नवंबर 2003 सीबीआइ को ट्रांसफर हुआ केस।
- 9 दिसंबर 2003 को सीबीआई ने शुरू की जांच, सीबीआई ने शहर थाना में एक केस और दर्ज किया, जिसमें डेरा प्रमुख का नाम भी शामिल किया।
- 30 जुलाई 2007 को सीबीआई ने पेश किया चालान। -2 जनवरी 2019: पंचकूला की विशेष सीबीआइ कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी। - 11 जनवरी 2019: विशेष सीबीआइ कोर्ट के जज जगदीप सिंह ने गुरमीत राम रहीम सहित चारों आरोपित दोषी करार।