हरियाणा में वर्षों से अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों की जा सकती है नौकरी
हरियाणा में नवचयनित 18 हजार 218 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को जहां विभिन्न विभागों में ज्वाइन कराया जा रहा है, वहीं अनुबंध पर लगे कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू हो गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में 1995 के बाद पहली बार हुई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पक्की भर्ती का असर बरसों से अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों पर पड़ने वाला है। नवचयनित 18 हजार 218 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को जहां विभिन्न विभागों में ज्वाइन कराया जा रहा है, वहीं अनुबंध पर लगे कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू हो गई है। करीब 15 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ऐसे हैैं, जो छंटनी के दायरे में आ सकते हैैं।
शुक्रवार को उच्च शिक्षा, पुलिस व शहरी निकाय विभाग में अनुबंध पर लगे चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाने के आदेश जारी हुए हैैं। सर्व कर्मचारी संघ ने सरकार के इस निर्णय की निंदा की है। संघ ने छह-सात सालों से डीसी रेट पर अनुबंध पर लगे कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बजाय अन्य विभागों में रिक्त पड़े पदों पर एडजेस्ट करने की मांग की है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान धर्मबीर फोगाट व महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि विभिन्न कर्मचारी नेताओं ने छंटनी किए कर्मियों से मुलाकात की। 30 जनवरी को सचिवालय व निदेशालयों से छंटनी होने वाले कर्मचारियों की मीटिंग बुलाई गई है। सर्व कर्मचारी संघ ने इस मामले में बातचीत के लिए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा है।
लांबा ने कहा कि संघ नव चयनित कर्मचारियों की ज्वाइनिंग के कतई भी खिलाफ नहीं है। संगठन के लोग नव चयनित कर्मचारियों के मेडिकल कराने व ड्यूटी ज्वाइन कराने के काम में लगे हैैं। सरकार ने अपने घोषणा पत्र में सफाई कर्मचारियों सहित कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया था, मगर सरकार इस वादे से मुकर गई और अब छंटनी पर उतर आई है।
सरकार ने पक्की भर्ती कर कर्मचारियों को दी बड़ी राहत
सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने कहा कि एक तरफ कर्मचारी संगठन पक्की भर्ती की मांग करते हैैं और दूसरी तरफ इसका विरोध करते हैैं। इस तरह की बात उन्हें शोभा नहीं देती। एक सवाल के जवाब में राजीव जैन ने कहा कि अनुबंधित कर्मचारियों के अनुबंध में यह शर्त होती है कि रिक्त पद भरने की स्थिति में उन्हें दूसरी जगह काम की तलाश करनी होगी। इसके बावजूद हमारी सरकार किसी का अहित होने देने के हक में नहीं है।